ये गोमती है, गोमती नदी कभी लखनऊ के बाशिंदों के जीवन-जगत का मुख्य आधार हुआ करती थी। शाम ढलते ही सूर्य की किरणें इस नदी की लहरों से होकर पूरे शहर को सुनहरे लाल रंग से सराबोर कर देती थीं। लेकिन जैसे जैसे वक़्त बीता, गोमती सिमट गयी, प्रदुषण घर कर गया, गोमती गंदा नाला बन कर रह गई। नदी में पानी कम और काई अधिक दिखाई देती। सूरज की रोशनी वही है, लेकिन शाम-ए-अवध का सुनहरा सुरूर नदारद था। लेकिन डिफेन्स एक्सपो होने के बाद जैसे गोमती की काया पलट ही हो गयी, गोमती खूबसूरत दिखने लगी, डिफेन्स एक्सपो जैसे शानदार आयोजन से लखनऊ की लाइफ लाइन जाने जाने वाली गोमती नदी को बड़ा फायदा हुआ है। जिला प्रशासन ने गोमती नदी को गुजरात की साबरमती नदी के तट की तरह खूबसूरत और सांस्कृतिक केंद्र बनाने के लिए गोमती रिवरफ्रंट प्राधिकरण बनाने का फैसला किया है और इस काम के लिए जिला प्रसाशन की मदद करेगा सीएसआर, यानि कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी।
गुजरात के साबरमती नदी की तर्ज पर बनेगा लखनऊ में गोमती रिवरफ्रंट प्राधिकरण
अवध की शाम ढलते ही सतरंगी रोशनी से जगमग फव्वारे और गोमती पुल से नदी में गिरती रंगीन पानी की धार देखकर उधर से निकलने वाला हर कोई एक क्षण के लिए ठहर जाता है। अब बीजेपी की योगी सरकार गोमती रिवरफ्रंट प्राधिकरण बनाकर नदी की कायापलट करने की तैयारी में है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की शान कही जाने वाले गोमती रिवरफ्रंट बहुत जल्द टूरिस्ट स्पॉट में बदलने की तैयारी है, ठीक उसी तरह से जैसे गुजरात के साबरमती नदी किनारे गुजरात सरकार ने रिवरफ्रंट बनाया है। लखनऊ जिला प्रशासन ने गोमती किनारे ही बड़े स्तर पर डिफेंस एक्सपो का आयोजन किया था, जिसका उद्घाटन खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था, इस डिफेन्स एक्सपो के सफल आयोजन के बाद इसकी सुंदरता को बनाए रखने के लिए प्राधिकारण गठित करने की योजना जिला प्रशासन ने बनाई है।
सीएसआर फंड और पीपीपी मॉडल से बनेगा गोमती रिवरफ्रंट
लखनऊ मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम ने The CSR Journal से ख़ास बातचीत करते हुए बताया कि “रिवर फ्रंट को लेकर आकलन किया जा रहा है, यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं देखा जा रहा है। गोमती रिवरफ्रंट को सीएसआर फंड और पीपीपी मॉडल की मदद से भी विकसित किया जाएगा। सीएसआर फंड के तहत लखनऊ में कई कॉर्पोरेट कंपनियां काम कर रही है, कई काम इस सीएसआर फंड की मदद से हो रहे है और जल्द ही कॉर्पोरेट्स से बात कर रिवरफ्रंट के लिए भी कहा जायेगा, योजना के तहत यहां फूड कोर्ट, सेल्फी प्वाइंट और पार्किंग एरिया भी बनाई जाएगी। साथ ही कला, साहित्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनों होंगे, वाटर स्पोर्ट्स और दूसरे खेलों को भी प्रमोट किया जाएगा, जिससे पर्यावरण के साथ पर्यटन को नयी पहचान मिलेगी और शहर के लोगों का गोमती से जुड़ाव बढ़ेगा और इससे राजस्व को भी फायदा होगा”। बहरहाल गोमती को निखारने की कवायद में नगर निगम भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, साथ ही अलग-अलग विभाग भी अपनी मदद करेंगे।
गोमती पर राजनीति
जिला प्रशासन ये भी सोच रहा है कि गोमती किनारे किसी भी तरीके के राजनीतिक कार्यक्रम को अनुमति नहीं मिलेगी, यानी कि किसी भी राजनीतिक कार्यक्रम धरना-प्रदर्शन, रैली या गोष्ठी इन कार्यक्रमों की अनुमति नहीं रहेगी । भले ही यहां राजनितिक कार्यक्रम नहीं हो पायेगा लेकिन गोमती रिवरफ्रंट को लेकर राजनीति भी होनी शुरू हो गयी है। दरअसल गोमती किनारे डेवलपमेंट की शुरवात मायावती सरकार से शुरू हुआ, फिर अखिलेश सरकार ने इसे अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बनाया और फिर अब योगी सरकार इसमें और काया पलट कर रही है। दरअसल गोमती रिवर फ्रंट को लेकर श्रेय की राजनीति शुरू हो गयी है, डिफेंस एक्सपो के दौरान अखिलेश यादव ने नदी का फोटो ट्वीट कर ये परदेस नहीं लखनऊ है! ये बताया, जाहिर है गोमती जो उत्तर प्रदेश की सबसे प्रदूषित नदियों की लिस्ट में शुमार है ऐसे में अगर गोमती की दशा सीएसआर से सुधर रही है तो इसका स्वागत हर किसी को खुले दिल से करना चाहिए।