देश के अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) में पिछले कई सालों से भूचाल चल रहा है। महाराष्ट्र की राजनीति में सत्ता पर काबिज होने के लिए नेताओं ने क्या-क्या गुल खिलाये है ये किसी से भी नहीं छुपा है। सत्ता हासिल करने के लिए रिसॉर्ट पॉलिटिक्स (Resort Politics) अपने चरम पर रही है। महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) के 5 साल पूरे होने आये लेकिन इन पांच सालों में महाराष्ट्र की जनता को सरकार की तरफ से राजनीतिक झटके ही मिले है। महाराष्ट्र की जनता ने अपने आखों से कई मुख्यमंत्री को बदलते हुए देखा है। साल 2014 में विधानसभा के चुनाव में महाराष्ट्र (Maharashtra Vidhan Sabha Election) में पहली बार गैर कांग्रेसी (Maharashtra Congress) यानी भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में आई। कांग्रेस के वोटों में 30 फीसदी गिरावट हुई और विधायकों की संख्या में 50 फीसदी की कमी। साल 2014 में महाराष्ट्र में बीजेपी ने सरकार बनाई और पूरे पांच साल तक देवेंद्र फडणवीस (Maharashtra Deputy CM Devendra Fadnavis) मुख्यमंत्री रहे। साल 2019 में एक बार फिर से बीजेपी महाराष्ट्र में सत्ता पर काबिज होने के लिए जनता के सामने आई और जनता के सामने तमाम वादों का पिटारा देवेंद्र फडणवीस ने खोल दिया। अपने मेनिफेस्टो (Maharashtra BJP Manifesto) में देवेंद्र फडणवीस इस बात का जिक्र करते हुए कहते हैं कि पिछले 5 सालों में अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में साल 2014 से लेकर साल 2019 के दरमियान महाराष्ट्र कई मामलों में देश की तुलना में नंबर वन बना।
कई मामलों में अग्रसर तो कई में फिसड्डी है महाराष्ट्र
देवेंद्र फडणवीस के दावों की मानें तो महाराष्ट्र अकेले इन्वेस्टमेंट (Investment in Maharashtra), रोजगार (Government Jobs in Maharashtra) इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में देश की तुलना में महाराष्ट्र ने पहला क्रमांक हासिल कर महाराष्ट्र की जनता का मान बढ़ाया है। शिक्षा क्षेत्र में महाराष्ट्र 17 वे नंबर से हटकर एक नंबर पर आ गया। वही हेल्थ के मामले में छठे क्रमांक से हटकर पहले तीन क्रमांक में आ गया। खेती के क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर सुधार हुआ है। टेक्नोलॉजी में बहुत इनवेस्टमेंट हुआ है। देश की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी (5 Trillion Economy) के नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करने के लिए महाराष्ट्र भी अपना 20 फीसदी योगदान देगा और महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन डॉलर्स इकोनॉमी को ले जाने के लिए काम किया जा रहा है लेकिन ये सब सत्ता पर काबिज नेताओं के दावों पर आधारित है। देश के अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र हमेशा से ही अग्रसर रहा है। लेकिन फिर भी महाराष्ट्र पर कई धब्बा लगता ही रहता है। किसान आत्महत्या, सूखाग्रस्त महाराष्ट्र (Drought in Maharashtra) जैसे कई मुद्दे है जहां महाराष्ट्र हमेशा कलंकित होता है।
फिर जारी होगा इलेक्शन मेनिफेस्टो और खुलेगा वादों का पिटारा
चुनावी माहौल है ऐसे में फिर से इलेक्शन मेनिफेस्टो (Maharashtra Election Report Card) जारी होगा, बड़े बड़े वादे किये जायेंगे, नेताओं द्वारा कसमें खायी जाएंगी। पुराने वादे कितने पूरे हुए और कितने अधूरे हैं इसी की पड़ताल करने के लिए The CSR Journal ने एक स्पेशल मुहीम शुरू की है Election Report Card, इस ख़ास सीरीज में हम जानेंगे नेताओं के चुनावी वादों में कितना रहा हकीकत और कितना रहा फ़साना। महाराष्ट्र में लोकसभा की कुल 48 सीटें हैं। Loksabha Election 2024 में Maharashtra BJP राज्य में सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ऐसे में आइये जानते हैं 2019 के संकल्प पत्र में क्या-क्या था? महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Election Report Card) उनमें से कितने वादे पूरे कर सकी और किन वादों में सरकार पर सवाल उठते हैं। Maharashtra Lokshaba Election 2024
किसान भाइयों के लिए महाराष्ट्र सरकार ने क्या किया है (Agriculture in Maharashtra)
महाराष्ट्र में किसान ख़ुदकुशी (Farmers Suicide in Maharashtra) एक गंभीर समस्या है। महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या सरकार के लिए किसी संकट से कम नहीं है। किसानों के आत्महत्या का मामला सरकार के गले की फांस बन गई है। विधानसभा में पेश किए गए रिपोर्ट के अनुसार राज्य में रोज 7 किसान किसी न किसी कारण आत्महत्या कर रहे हैं। हालांकि सरकार ने किसानों को आत्महत्या करने से रोकने के लिए कई सारे कदम उठाए हैं लेकिन उनके सारी योजनाएं धरी की धरी रह गई है। विदर्भ के अमरावती और संभाजीनगर विभाग में किसानों के आत्महत्या (Farmers Sucide) के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। साल 2023 जनवरी से अक्टूबर के बीच राज्य में 2,366 किसानों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले अमरावती विभाग से आए हैं। यहां पर 951 किसानों ने आत्महत्या की है। इसके बाद छत्रपति संभाजीनगर विभाग में 877, नागपुर विभाग में 257, नासिक विभाग में 254 और पुणे मंडल में 27 किसानों ने खुदकुशी की है। आत्महत्या करने वाले किसान के परिवार को सरकार एक लाख रुपये की आर्थिक मदद हादसे के तत्काल बाद ही दे देती है।
किसान मरते रहे, सरकार देखती रही
मदद व पुनर्वसन मंत्री अनिल पाटील ने लिखित उत्तर में विधान सभा में कहा है कि किसान आत्महत्या (Farmers Suicide in Maharashtra) नहीं करे इसलिए लिए वसंतराव नाईक कृषि स्वावलंबन मिशन, कृषि समृद्धि योजना, महात्मा ज्योतिराव फुले किसान कर्ज मुक्ति योजना, एक रुपये वाली फसल बीमा योजना जैसी कई योजनाएं लागू कर सरकार मदद कर रही हैं। नमो किसान महा सम्मान योजना के तहत राज्य सरकार हर साल किसानों को 6,000 रुपये की मदद देती है। इसके अलावा बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदा आने पर किसानों को अलग से मदद करती है। आत्महत्या करने वाले किसान के परिवार को एक लाख रुपये देते हैं ताकि परिवार को उस वक्त राहत मिल सके। इतने उपायों और योजनाओं के बाद भी देश की तुलना में सबसे ज्यादा किसान महाराष्ट्र में आत्महत्या करते है। (Maharashtra Government Schemes for Farmers)
नहीं हुई किसानों की आय दोगुनी
जहां केंद्र सरकार ने किसानों की आय (Farmers Income Double) को दोगुना करने का काम कर रही है इस बीच किसान की ख़ुदकुशी सरकार पर एक कलंक है। केंद्र सरकार की मोदी गवर्नमेंट ने किसानों की आय दोगुना करने के लिए 2022 का लक्ष्य रखा था, लेकिन साल 2024 हो गए हैं अभी तक किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई है। देवेंद्र फडणवीस (DCM Devendra Fadnavis) ने साल 2019 के मेनिफेस्टो में इसका जिक्र करते हुए किसने की आय को दोगुना करने का जिक्र करते हुए किसान फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, सस्ते दामों पर यूरिया की उपलब्धता, सॉइल हेल्थ कार्ड, सिंचाई, इनाम योजना जैसी विविध योजनाओं को गिनाया और महाराष्ट्र की राज्य सरकार ने लागू किया लेकिन फिर भी किसानों की आय डबल नहीं हुई।
मिल रहा है केंद्र और राज्य सरकार से दोगुना किसान सम्मान निधि
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM Kisan Samman Nidhi) और मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि ये दोनों केंद्र और राज्य सरकार की किसानों के लिए सम्मान निधि दिया जाता है। अभी हालही में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) यवतमाल के दौरे पर थे जहां महाराष्ट्र के किसानों को अलग से 3800 करोड़ रुपए ट्रांसफर हुए हैं। यानि महाराष्ट्र के किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि के 12 हज़ार हर वर्ष मिल रहे हैं। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत अभी तक देश के 11 करोड़ किसानों के खाते में 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक जमा हो चुके हैं। इससे महाराष्ट्र के किसानों को 30 हज़ार करोड़ और यवतमाल के किसानों को 900 करोड़ रुपए मिलें है। ये पैसा छोटे किसानों के कितने काम आ रहा है। कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने गन्ने के लाभकारी मूल्य में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की है। अब गन्ने का लाभकारी मूल्य 340 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। इससे महाराष्ट्र के करोड़ों गन्ना किसानों और खेत मजदूरों को लाभ हो रहा है।
महाराष्ट्र के कई गांव सूखाग्रस्त, बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते लोग
विकसित भारत के लिए गांव की अर्थव्यवस्था का सशक्त होना बहुत ज़रूरी है। कहते है कि देश की आधी आबादी से ज्यादा लोग गांव में रहते है। गांव में रहने वाले हर परिवार की परेशानियों को दूर कर उन्हें आर्थिक संबल बनाने के प्रयास में महाराष्ट्र सरकार कहीं सफल तो ज्यादातर विफल नज़र आयी है। पानी का महत्व क्या होता है, ये विदर्भ और मराठवाड़ा (Vidarbha and Marathvada of Maharashtra) से बेहतर भला कौन जान सकता है। पीने का पानी हो या फिर सिंचाई का पानी विदर्भ और मराठवाड़ा के सूखाग्रस्त इलाके में हाहाकार रहता है। लेकिन अब कितना बदलाव आया है ये हर साल मीडिया रिपोर्ट में दिख ही जाता है। इन इलाकों में गरीब, दलित, पिछड़े और आदिवासी हमारी माताओं-बहनों के लिए जल संकट बहुत बड़ा संकट था। इस स्थिति से माताओं-बहनों को बाहर निकालने के लिए ही लाल किले से पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने हर घर जल की गारंटी दी थी। लेकिन आज भी ग्रामीण परिवारों तक पाइप से पानी नहीं पहुंचा है। पीएम द्वारा दिए गए आकड़ों की माने महाराष्ट्र में भी जहां 50 लाख से कम परिवारों के पास ही नल से जल (Nal Jal Yojana) था, आज लगभग सवा करोड़ नल कनेक्शन हैं। लेकिन जहां महाराष्ट्र की कुल आबादी 15 करोड़ है और महज सवा करोड़ नल कनेक्शन हैं ऐसे में ये आकड़े कितने कारगर है इसका अंदाजा आप खुद ही लगा लीजिये।
आर्थिक समृद्धि में महाराष्ट्र अग्रसर फिर भी इंडस्ट्रीज दूसरे राज्यों में जाने को मजबूर
आर्थिक समृद्धि में महाराष्ट्र अग्रसर है। महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर देश विदेश की कंपनियां निवेश करती है। स्विट्जरलैंड के दावोस में हालही में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) में महाराष्ट्र का डंका बजा है। अकेले महाराष्ट्र में निवेश को लेकर 3 लाख 53 हजार 675 लाख करोड़ का रिकॉर्ड एमओयू हुआ है। इन समझौतों के जरिए राज्य में बड़ी संख्या में 2 लाख रोजगार (Employment in Maharashtra) पैदा होंगे। महाराष्ट्र भारत में सर्वाधिक जीडीपी वाला राज्य है। All India औसत हिस्सेदारी में महाराष्ट्र का नॉमिनल GDP 14% और उच्चतम एफडीआई 29% है। महाराष्ट्र सरकार भले इन उपलब्धियों को रखे लेकिन सच्चाई ये भी है कि अब महाराष्ट्र से ज्यादा निवेश उत्तर प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना जैसे राज्यों में हो रहा है। इतना ही नहीं महाराष्ट्र से कई बड़ी परियोजनाओं दूसरे राज्यों में चली गयी। महाराष्ट्र की जगह दूसरे राज्यों को बड़ी परियोजनाएं मिलने के मुद्दे पर एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस की सरकार विपक्ष के निशाने पर भी रही है। सत्तारूढ़ सरकार राज्य में वेदांत-फॉक्सकॉन और टाटा-एयरबस परियोजनाओं को लाने में विफल रही। ये दोनों परियोजनाएं गुजरात के खाते में चली गईं। ऐसे में ऐसी क्या मज़बूरी है कि ये प्रोजेक्ट महाराष्ट्र का त्याग कर दूसरे राज्यों का रुख कर रहे है। (Investment in Maharashtra)
महाराष्ट्र का इंफ्रास्ट्रक्चर है सबसे ऊपर (Infrastructure Development in Maharashtra)
इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में महाराष्ट्र दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे आगे है। मुंबई में मेट्रो का जाल बिछाना हो या एक्सप्रेस वे बनाना हो महाराष्ट्र दूसरे राज्यों के लिए नजीर रहा है। देश का पहला एक्सप्रेस वे मुंबई पुणे एक्सप्रेस वे बना, बांद्रा से वर्ली सी लिंक देश का पहला सी लिंक बना। मुंबई से नवी मुंबई सिर्फ 20 मिनट में अटल सेतु से पहुंचा जा सकता है। अभी हालही में पीएम मोदी ने मुंबई और इसके उपनगर नवी मुंबई को जोड़ने वाले देश के सबसे लंबे समुद्री पुल अटल सेतु का उद्घाटन किया। अटल सेतु ब्रिज ने मुंबई से नवी मुंबई तक आवागमन को बदल दिया है, जिससे यात्रा का समय 2 घंटे से घटकर 20 मिनट रह गया है। अटल सेतु ने न केवल यात्रा के समय को तेज कर दिया है, बल्कि प्रमुख शहरों के बीच कनेक्टिविटी में भी काफी सुधार किया है, जिससे क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिला है। मुंबई नागपुर समृद्धि महामार्ग (Mumbai Nagpur Samruddhi Highway) भी महाराष्ट्र की समृद्धि में एक महामार्ग का काम कर रहा है। नागपुर-मुंबई समृद्धि महामार्ग मुंबई के लोग केवल 10 घंटे में नागपुर पहुंच सकेंगे जो शहर से लगभग 800 किलोमीटर दूर है।
चुनावी मुद्दा होने के बावजूद, बदहाल है मुंबई गोवा का हाईवे (Mumbai Goa Highway)
मुंबई-गोवा हाईवे की बदहाली से परेशान लोग लगातार आंदोलन करते रहते हैं। मुंबई गोवा का हाईवे इतना जर्जर है कि पिछले 10 वर्षों में 6 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन हाल फिलहाल बदहाल है। मुंबई-गोवा हाईवे का निर्माण पिछले 15 सालों से जारी है। लेकिन ये प्रोजेक्ट है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। डेढ़ दशक में अब तक इस हाईवे पर करीब 1500 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। लेकिन अब महाराष्ट्र की शिंदे सरकार का दावा है कि इसका काम अगले महीने पूरा हो जाएगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इसकी जानकारी दी थी। बता दें कि मुंबई-गोवा हाईवे कोंकण में 66 पर्यटन स्थलों को जोड़ता है, लिहाजा इससे विकास को बहुत बढ़ावा मिलेगा। गौरतलब है कि इस सड़क का निर्माण कार्य साल 2011 में शुरू हो गया था। इस हाईवे के जरिए मुंबई से गोवा का सफर तय करने के मौजूदा समय में लगभग 6 घंटे कम हो जाएंगे।
गड्ढा मुक्त मुंबई का सपना नहीं बन पता हकीकत
मुंबई ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र में जब भी बारिश आती है, सड़कों पर बहुत गड्ढे हो जाते है। अगर अकेले मुंबई की बात करें तो हर साल करोड़ों रुपये खर्च कर गड्ढे भरे जाते है लेकिन कुछ ही दिनों में फिर से सड़कों पर गड्ढे हो जाते है। गड्ढों को लेकर सीएम (Maharashtra CM Eknath Shinde) ने दावा करते हुए कहा दो से ढाई साल में मुंबई गड्ढों से मुक्त हो जाएगी और सभी सड़कें पक्की हो जाएंगी। सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा पहले हर बरसात के मौसम में तारकोल की सड़कें बनाई जाती थीं और लोगों को गड्ढों में यात्रा करने के लिए मजबूर होना पड़ता था।
बीजेपी के मेनिफेस्टो रेलवे का जिक्र लेकिन मुंबईकरों को रेलवे से मिलती है सिर्फ असुविधा
बीजेपी अपने मेनिफेस्टो में रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर पर जिक्र करते हुए बहुत सी बातें लिखी है। बीजेपी के मेनिफेस्टो की माने तो केंद्र सरकार ने रेलवे पर बहुत फोकस किया है और बड़े पैमाने पर बदलाव कर रही है लेकिन ये धरातल पर नहीं है। एक एक करके महाराष्ट्र के रेलवे प्रोजेक्ट और रेलवे मुंबईकरों समेत महाराष्ट्र वासियों को कितनी सुविधाएं देती है इसकी पड़ताल करते है। बात करें बुलेट ट्रेन की तो मुंबई अहमदाबाद की तर्ज पर मुंबई नागपुर बुलेट ट्रेन (Bullet Train Latest News) लाया जायेगा। बीजेपी ने इसको लिए मेनिफेस्टो में जिक्र भी किया है। लेकिन सच्चाई यही है कि मुंबई से नागपुर के बीच प्रस्तावित बुलेट ट्रेन की अबतक सिर्फ डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) ही बनी है और आगे की कार्यवाही कुछ नहीं हुआ है। रही बात मुंबई अहमदाबाद बुलेट ट्रेन की तो हां जरूर यहां काम हुआ है। भारत के बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट (Bullet Train Project in India) के पहले फेज का काम तेजी से जारी है। इसमें 100 किमी का पुल तैयार हो चुका है। 250 किमी तक पिलर खड़े किए जा चुके हैं। देश की पहली बुलेट ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद (Ahmedabad News) के बीच चलेगी।
भीड़भाड़ है मुंबई की लोकल है तो सहूलियत देगी मुंबई की मेट्रो (Metro in Mumbai)
मुंबईकर सबसे ज्यादा देश को टैक्स देते है, मुंबईकर सबसे ज्यादा रेलवे का टिकट ख़रीदते है। इन सब के बावजूद मुंबईकरों को यात्रा कैसे करनी पड़ती है ये बताने की जरुरत नहीं है। मुंबई की लाइफ लाइन आमची लोकल ट्रेन ना सिर्फ जानलेवा बनती जा रही है बल्कि इतनी भीड़, इतनी भीड़ होती है कि मुंबई की लोकल से यात्रा करना मतलब यात्रा के दौरान सरसो का दाना गिरा दो तो शायद वो भीड़ में ट्रेन की फर्श पर गिरे। लोकल की इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने और सुविधाजन यात्रा का हर बाद भरोसा दिया जाता है लेकिन कुछ ख़ास नहीं हो पाता। हां जरूर मुंबई में मेट्रो के जाल से आनेवाले दिनों में सहूलियतें होंगी। करीब छह दशक पहले मुंबई में आने-जाने के लिए ट्राम का इस्तेमाल होता था, यात्रियों की संख्या बढ़ने पर ट्राम की जगह बेस्ट की बसों ने ले ली। जब बसें कम पड़ने लगीं, तो लोकल ट्रेन मुंबई की लाइफ लाइन बन गईं। अब एमएमआर में 337 किमी लंबा मेट्रो का जाल बिछा कर सरकार लोगों को सफर का नया विकल्प उपलब्ध करवा रही है।
महाराष्ट्र में शिक्षा पर जोर देने की बात में कितनी सच्चाई? (Education in Maharashtra)
शिक्षा व्यवस्था, किसी समाज में चलने वाली एक सामाजिक प्रक्रिया है। शिक्षा की ही बदौलत हर एक व्यक्ति का विकास संभव होता है। शिक्षा की वजह से ही किसी भी व्यक्ति के ज्ञान, कला-कौशल में बढ़ोतरी होती है और व्यवहार में बदलाव आता है। शिक्षा की वजह से ही लोग सभ्य, सुसंस्कृत, और योग्य नागरिक बनते हैं। विद्यालय, अर्थात वो स्थान जहां देश का भविष्य आकार लेता है। जहां हमारी भावी पीढ़ियां यानी हमारे बच्चों के बेहतर भविष्य की नींव रखी जाती है। विद्यालय बच्चों के व्यक्तित्व के निर्माण का सबसे महत्वपूर्ण केन्द्र होते है ऐसे में सरकारी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं का बेहतर होना बहुत जरुरी है। सबसे पहले यहां ये बताना जरुरी हो जाता है कि बेसिक एजुकेशन सिस्टम में सरकारी प्राइमरी स्कूल का इंफ्रास्ट्रक्चर कैसा है। वैसे तो महाराष्ट्र की सरकारी स्कूलों का इंफ़्रा बहुत क्लास लेवल का है ऐसा नहीं है। महाराष्ट्र के पहाड़ी इलाकों और दुर्गम क्षेत्रों में बच्चों के पढ़ाई की क्या हालत है ये खुद बच्चे और उनके अभिभावक जानते है। आजकल ई लर्निंग और ई क्लासेस का बहुत चलन है, सरकार ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर भी दे रही है लेकिन बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए सरकार कितनी सुविधाएं दे रही है ये किसी से छुपा नहीं है। महाराष्ट्र में बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में कई वादे किये है। स्कॉलरशिप यानी छात्रवृत्ति को लेकर बीजेपी ने एक विंडो प्रणाली लागू करने की बात तो कही थी लेकिन अभी तक वन विंडो सिस्टम शुरू नहीं किया गया है। हां ये जरूर है कि छात्रवृत्ति पाने के लिए ऑनलाइन प्रणाली है लेकिन इंटीग्रेटेड सभी स्कॉलरशिप (How to get Scholarship in Maharashtra) के लिए कोई एक सिस्टम नहीं है। ग्रामीण महाराष्ट्र से शहरी क्षेत्र में आने वाले विद्यार्थियों के लिए यातायात के अधिक और सुगम व्यवस्था का बीजेपी ने वादा किया था लेकिन अलग से ऐसी कोई प्रणाली लागू नहीं की गयी है जिससे विद्यार्थियों के लिए यातायात सुगम हो सके। मुंबई के सेंट्रल यूनिवर्सिटी की स्थापना का भी वादा था जो की अभी अधूरा है। पारम्परिक पढ़ाई के करिकुलम में खेती की पढ़ाई कराई जायेगा ऐसा भी वादा बीजेपी ने किया था लेकिन ये वादा भी अधूरा है। मराठवाड़ा, उत्तर महाराष्ट्र और कोंकण में आईआईटी, आईआईएम और एम्स स्थापना की बात कही गयी थी लेकिन बीजेपी का ये वादा भी अधूरा है। खेलो इंडिया (Khelo India) के स्तर पर खेलो महाराष्ट्र का भी आयोजन किया जायेगा लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने अब तक नहीं किया है।
कैसा है महाराष्ट्र का स्वास्थ्य (Health in Maharashtra)
दूसरे राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र की स्वास्थ्य व्यवस्था अच्छी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Maharashtra CM Eknath Shinde) और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हेल्थ सर्विसेस (Health services in Mumbai, Maharashtra) और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ध्यान देते है। महाराष्ट्र के हर जिले में सरकारी अस्पताल है और सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (List of the Super Speciality Hospital in Mumbai, Maharashtra) की बात करें तो डिवीजन स्तर पर तो एक अस्पताल जरूर मिल जायेगा। स्वास्थ्य को लेकर महाराष्ट्र में बहुत सारी योजनाएं चलायी जा रही है जिससे ना सिर्फ महाराष्ट्र के लोगों को इसका फायदा हो रहा है बल्कि दूसरे राज्यों से आये गरीब और जरूरतमंद मरीजों को भी हो रहा है। आम लोगों के इलाज के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे खुद मुख्यमंत्री सहायता निधि चलाते है। इस Medical Help Cell से मिलने वाली आर्थिक सहायता की राशि 2 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपए भी कर दी गई है। लिवर ट्रांसप्लांट, बोन मैरो ट्रांसप्लांट, हॉर्ट ट्रांसप्लांट, कृत्रिम अंग लगाने व नवजात बालकों के आईसीयू में इलाज के लिए भी मुख्यमंत्री सहायता निधि से राशि उपलब्ध कराई जा रही है।
12 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा देने के लिए दो योजनाएं मिलाई गईं, एक कार्ड से 5 लाख का इलाज मुफ्त मिलेगा
महाराष्ट्र में स्वास्थ्य सेवा बेहतर करने और गरीब वर्ग तक इलाज की सुविधा पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई जन कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं (Health Insurance Scheme of Maharashtra)। ऐसी ही स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat Yojana) केंद्र की ओर से संचालित की जा रही है। स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने वाली ज्योतिबा फुले आरोग्य योजना (Jyotiba Phule Jan Arogya Yojana ) महाराष्ट्र सरकार चला रही है। अब इन दोनों योजनाओं को एक साथ मिलाकर यानी को-ब्रांड करके राज्य के लोगों को लाभ दिया जाएगा। आयुष्मान और ज्योतिबा फुले योजना का संयुक्त कार्ड बनेगा। आयुष्मान भारत योजना और ज्योतिबा फुले आरोग्य योजना को एक साथ को ब्रांड कर महाराष्ट्र राज्य में लागू करके प्रदेश में 12 करोड़ लोगों को आयुष्मान भारत योजना और ज्योतिबा फुले आरोग्य योजना का एक संयुक्त कार्ड बनाकर 5 लाख की स्वास्थ्य सुरक्षा देने का निर्णय लिया गया है। लेकिन सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल को बढ़ाने को लेकर महाराष्ट्र सरकार जरूर कम पड़ी है।
विकास में समान भागीदारी रखने वाली महाराष्ट्र की महिलाओं के सम्मान में महाराष्ट्र सरकार ने ये काम किये (Women Empowerment in MH)
विकास में समान भागीदारी रखने वाली महाराष्ट्र की महिलाओं के सम्मान के लिए महाराष्ट्र सरकार ने पिछले 5 सालों में बहुत सारे इनिशिएटिव लिए हैं। चाहे माझी कन्या भाग्यश्री योजना हो या अस्मिता योजना, महिला बचत ग्रुप को 27000 से लगभग चार लाख लेकर आने का काम महाराष्ट्र सरकार ने किया है। एसिड अटैक से मिलने वाली सरकारी मदद में भी महाराष्ट्र सरकार ने बढ़ोतरी की है। एवं महिला सुरक्षा के लिए भी महाराष्ट्र सरकार ने कई उपाय योजनाओं पर काम किया है। बीजेपी के मेनिफेस्टो की जिक्र करें तो महाराष्ट्र में महिलाओं के लिए कई लुभावने वादे किए गए लेकिन उसमें उन वादों में कुछ हद तक सच्चाई रही और बहुत हद तक फसाना है। भाजपा द्वारा जारी मेनिफेस्टो के अनुसार महिलाओं की आर्थिक विकास में 50 फीसदी की भागीदारी होगी। लेकिन सच्चाई इससे परे है। महिला उद्योगों और महिला बचत गट को सुविधा देते हुए वूमेन एंपावरमेंट पर काम किया जाएगा। वीमेन एम्पावरमेंट पर काम तो महाराष्ट्र सरकार ने किया है लेकिन महिला सशक्तिकरण कितनी महिलाओं तक पहुंची है ये अकड़ा सरकार के पास भी नहीं है। महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए ₹1 में सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध करने की बात तो बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में की है लेकिन मुंबई जैसे शहर और महाराष्ट्र के ग्रामीण में 1 रुपये में सेनेटरी नैपकिन कहां मिल रही है ये कोई नहीं बताने वाला है। शहर और ग्रामीण महाराष्ट्र में महिलाओं के लिए पर्याप्त संख्या में टॉयलेट्स (Women Toilets) बनाए जाएंगे ऐसी तो बातें मेनिफेस्टो में है लेकिन मुंबई में 1769 महिलाओं पर केवल एक टॉयलेट की व्यवस्था है। वहीं 696 पुरुषों पर एक टॉयलेट है। साल 2018 में यह देखा गया कि 4 सार्वजनिक शौचालयों में से सिर्फ 1 महिलाओं के लिए था। केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान के तहत तय किए गए मानक 100-400 पुरुषों तथा 100-200 महिलाओं के लिए 1 शौचालय से बहुत कम है। नौकरी करने वाली महिलाओं के लिए प्रत्येक जिले में कम से कम एक हॉस्टल बनाया जाएगा ऐसी बात भी मेनिफेस्टो में कही गयी है लेकिन महाराष्ट्र के सभी जिलों में Womens Hostels in Maharashtra नहीं है और जहां है वहां लंबी वेटिंग है। महिला अत्याचारों के मामले को निस्तारण करने के लिए अतिरिक्त न्यायालय की स्थापना की जाएगी ऐसा भी वादा किया गया है लेकिन कोर्ट में इतने लंबित केसेस है ऐसे में महिलाओं की सुनवाई ही कहां हो पायेगी।
समावेशी विकास और महाराष्ट्र (Inclusivity in MH)
कब बनेंगे ये स्मारक
भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक
हर एक राज्य समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलना चाहती है, सभी वर्गों का समावेशी विकास करना चाहती है। भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (Latest Updates about Baba Saheb Ambedkar Smarak) को नमन करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के इंदु मिल में भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का भव्य स्मारक बनाने का ऐलान किया था। बीजेपी ने इस भव्य स्मारक के उद्घाटन का साल 2022 रखा था लेकिन साल 2024 आ गया लेकिन अभी तक भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का भव्य स्मारक नहीं बन पाया है। भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर विविधांगी व्यक्तिमत्व के धनी थे। वंचित और उपेक्षित समाज के लोगों को उनका न्याय एवं हक़ मिलें, इसके लिए वे दिन-रात लड़े। मुंबई शहर यह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की कर्म भूमि के रूप में पहचानी जाती है। यहीं पर ही उन्होंने शिक्षा हासिल की है और विश्व स्तर के नेतृत्व के रूप में वे यहीं से पहचाने जाने लगे। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का प्रेरणादायी कार्य नए पीढ़ी तक पहुंचाया जा सके, इसके लिए डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का भव्य स्मारक बनाया जा रहा है।
छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने अभी हालही में कहा कि मुंबई के पास अरब सागर में छत्रपति शिवाजी महाराज (Latest Updates about Chatrapati Shivaji Maharaj Smarak) का प्रस्तावित भव्य स्मारक बनाना मुश्किल और बेहद महंगा होगा। बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में स्मारक का जल्द निर्माण करने की बात लिखी है। हम आपको बता दें कि स्मारक का प्रस्ताव सबसे पहले वर्ष 2004 में तत्कालीन कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सरकार द्वारा रखा गया था। फिर बाद में भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना सरकार और शिवसेना-कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सरकार द्वारा इसे आगे बढ़ाया गया। वर्तमान में शिवसेना-भाजपा-राकांपा (अजित पवार गुट) शासन के तहत अब भी यह एक ‘जीवित मुद्दा’ बना हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 24 दिसंबर 2016 को मोटरबोट में जाकर मरीन ड्राइव समुद्र तट के सामने 1.5 किलोमीटर दूर प्रस्तावित स्थल पर ‘जल पूजा’ करने के बाद इस परियोजना के बड़े पैमाने पर शुरू होने की उम्मीद थी।
बालासाहेब ठाकरे स्मारक
शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के स्मारक के निर्माण का भी मेनिफेस्टो में जिक्र किया गया लेकिन तारीख नहीं बताई गयी है। यह स्मारक मध्य मुंबई के शिवाजी पार्क स्थित मेयर के बंगले में बन रहा है। आपको बता दें कि 17 नवंबर 2012 को शिवाजी पार्क में शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे का अंतिम संस्कार किया गया था। तब यह एक अस्थायी स्मारक विकसित किया गया था। जिसे भव्य स्मारक के रूप में विकसित करने को लेकर सभी पार्टियां एकमत थीं। (Latest Updates about Balasaheb Thackeray Smarak) स्मारक को भव्य स्वरूप देने की योजना फडणवीस के मुख्यमंत्री काल में शुरू हुई, जब राज्य सरकार ने मेयर बंगले में 400 करोड़ रुपये के स्मारक के लिए हरी झंडी दी। 6056 वर्ग मीटर में फैले इस परियोजना में बालासाहेब ठाकरे के कामों को प्रदर्शित किया गया है।
महाराष्ट्र सरकार के राज में कितना है सुराज्य
राज्य में अगर सुराज्य हो तो विकास भी संभव है। महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था (Low and Order in Maharashtra) हो या गुड गवर्नेंस, (Good Governance of Maharashtra) सरकार ने सक्रिय भूमिका निभाई है। राज्य में कानून व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करते हुए पिछले 5 साल में पुलिस के 440 करोड़ के बजट में देवेंद्र फडणवीस ने बढ़ोतरी करते हुए इसे 2200 करोड़ लेकर आये। महाराष्ट्र के बड़े शहरों में सीसीटीवी का जाल बिछाना हो या साइबर पुलिस स्टेशन बनाना हो देवेंद्र फडणवीस और सीएम एकनाथ शिंदे को इसमें कामयाबी जरूर मिली है। सूखे की समस्या को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने फिर से जलयुक्त शिवार योजना की शुरुआत की। जिसकी वजह से जल संरक्षण के मामले में महाराष्ट्र नंबर-1 बन गया। महाराष्ट्र में पानी की समस्या को दूर करने के लिए जलयुक्त शिवार योजना को लाया गया है। इस योजना को देश के नामी-गिरामी उद्योगपति, बैंकर्स, एनजीओं और कई सारे धार्मिक ट्रस्ट भी समर्थन देने लगे हैं। योजना के तहत हर साल राज्य के 5,000 गांवों को पानी की समस्या से छुटकारा दिलाया जाएगा। महाराष्ट्र सरकार का मानना है कि किसानों को आत्महत्या करने से रोकने लिए उन्हें खेती के लिए पानी मुहैया कराना बेहद जरूरी है।