इस बार आंधी नहीं बल्कि सुनामी थी, ऐसी जीत किसी भी पार्टी को देश में कभी नहीं मिली, साल 2014 से भी ज्यादा लहर, ज्यादा जनादेश और अटूट विश्वास जनता ने पीएम नरेंद्र मोदी पर दिखाया है।
बीजेपी पार्टी का मतलब आजकल नरेंद्र मोदी हो गया है यही वजह है कि अकेले अपने दम पर पीएम मोदी की झोली में छप्पड़ फाड़ सीटों की बारिश हुई है। 352 सीटों वाली बीजेपी गठबंधन ने ऐसा कारनामा कर दिखाया कि इस चुनाव में किसी की नही चली और कोई टिका भी नही। इस चुनाव में कांग्रेस के ऐसे दिग्गज भी चुनाव हार गए जो दशकों से अपनी पार्टी के सबसे मजबूत नेता माने जाते थे।
इस चुनाव ने न सिर्फ सबको चौंकाया, बल्कि एक बार फिर साबित कर दिया कि देश में मोदी लहर अब भी कायम है। बीजेपी ने इस चुनाव में खुद के दम पर करीब 300 का आंकड़ा पार किया और विपक्षी पार्टियों को करारी शिकस्त दी।
यूपी से लेकर बिहार और बंगाल से लेकर दिल्ली तक इन सभी राज्यों में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की और गठबंधन के दांव को भी नहीं चलने दिया। इस चुनाव में कई ऐसे दिग्गज नेता और चेहरे रहे, जिनकी हार ने सबको चौंका दिया। राहुल गांधी समेत कई ऐसे नेताओं की फेहरिस्त है, जिनकी हार ने सबको चौंका दिया।
इन दिग्गजों के पास अपनी सीट जीतने की ही
नहीं बल्कि सूबे की दूसरी सीटों पर प्रभाव डालने की जिम्मेदारी थी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर पूरे देश की जिम्मेदारी थी, लेकिन वो खुद अपनी अमेठी की सीट नही बचा पाए। इतना ही नही मोदी की प्रचंड लहर में कांग्रेस के 9 पूर्व मुख्यमंत्री भी मोदी लहर में जीत को तरस गए।
कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार दिग्विजय सिंह, शीला दीक्षित, हरीश रावत, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, अशोक चव्हाण, सुशील कुमार शिंदे, मुकुल संगमा, नबाम तुकी और वीरप्पा मोइली की भी हार हुई है। ये सभी नेता पूर्व में मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकिन इस चुनाव में इनका सियासी दमखम फीका साबित हुआ है।
कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के अलावा 3 अन्य दलों के मुख्यमंत्री भी इस चुनाव में हार गए हैं, इनमें जेडीएस के एचडी देवगौड़ा, झामुमो के शिबू सोरेन, झारखंड विकास मोर्चा के बाबूलाल मरांडी शामिल हैं।
सिर्फ मुख्यमंत्री ही नही कई प्रदेशों के अध्यक्ष भी कुछ नही कर पाए, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की कमान संभाल रहे राज बब्बर को भी शिकस्त का सामना करना पड़ा है, यूपी में 2 सीटें से घटकर एक पर पहुंची कांग्रेस के लिए राज बब्बर का स्टारडम भी कुछ नही कर पाया।
यही नहीं हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर को भी सिरसा लोकसभा सीट पर करारी शिकस्त मिली है, इसके अलावा मुंबई कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा को साउथ मुंबई से शिवसेना के अरविंद सावंत ने हरा दिया, गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी को भी आणंद सीट से हार का मुंह देखना पड़ा, पंजाब के गुरदासपुर से सांसद और प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ को भी मोदी लहर के चलते कुछ रोज पहले ही सियासत में आए अभिनेता सनी देओल से शिकस्त झेलनी पड़ी है। वही महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण भी हार गए।
तो आईये हम आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते है कि कौन से दिग्गज को करारी हार मिली है।
राहुल गांधी
कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार तीन बार चुनाव जीतने के बाद चौथी बार अमेठी सीट हार गए, बीजेपी प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी दूसरी बार में राहुल गांधी को हराने में कामयाब रहीं, इस लोकसभा सीट को कांग्रेस और गांधी परिवार का गढ़ कहा जाता है लेकिन इस बार स्मृति ने 55120 वोटों के अंतर से कांग्रेस अध्यक्ष को चुनाव हरा दिया, राहुल अमेठी के अलावा वायनाड से भी चुनाव लड़े थे, जहां से राहुल जीत गए।
ज्योतिरादित्य सिंधिया
मध्य प्रदेश की गुना सीट पर 20 साल बाद बीजेपी का कब्जा हुआ है, यहां से सांसद और राहुल गांधी के करीबी ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी के केपी
यादव ने 125549 वोटों से हरा दिया है। सिंधिया पिछली बार की मोदी लहर में भी यह सीट बचाने में सफल रहे थे। सिंधिया इस सीट पर 2002 से सांसद थे और उनके कंधों पर न सिर्फ गुना बल्कि मध्य प्रदेश की अन्य सीटों पर भी कांग्रेस को जिताने की
जिम्मेदारी थी, साथ ही राहुल गांधी ने तो उन्हें पश्चिमी यूपी का प्रभारी भी बनाया था ताकि यूपी में पार्टी को मजबूती दिलाई जा सके। ना एमपी और ना यूपी दोनों ही जगह सिंधिया कमजोर साबित हुए।
मल्लिकार्जुन खड़गे
2019 की मोदी लहर में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को अपने सियासी करियर की पहली हार मिली है, खड़गे कर्नाटक की गुलबर्गा सीट से उम्मीदवार थे जहां बीजेपी के उमेश जाधव ने उन्हें 95452 वोटों से हरा दिया है। खड़गे ने 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच भी गुलबर्गा
सीट से जीत हासिल की थी और कांग्रेस संसदीय दल के नेता बने, यूपीए सरकार में रेल मंत्री, श्रम और रोजगार मंत्री का कार्यभार संभाल चुके खड़गे गुलबर्गा से दो बार सांसद रह चुके हैं।
मनोज सिन्हा
बीजेपी के कद्दावर नेता मनोज सिन्हा को गाजीपुर सीट से हार का सामना करना पड़ा। बसपा के अफजल अंसारी ने उन्हें हरा दिया।
मीसा भारती
राजद नेता और लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती पिछली बार की तरह इस बार भी पाटलिपुत्र सीट से हार गईं। उन्हें बीजेपी के रामकृपाल यादव ने हराया।
दिग्विजय सिंह
कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट से हार गए हैं। उन्हें बीजेपी की साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने हराया है।
शत्रुघ्न सिन्हा
बीजेपी छोड़ कांग्रेस का हाथ थामने वाले शत्रुघ्न सिन्हा को पटना साहिब सीट से हार मिली है। उन्हें इस बार केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हराया।
उपेंद्र कुशवाहा
रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा इस बार अपनी सीट नहीं बचा पाए। एनडीए छोड़कर यूपीए का हिस्सा होने वाले उपेंद्र को काराकाट से जदयू के महाबली सिंह ने हराया है।
मीरा कुमार
कांग्रेस की कद्दावर नेता और पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार को भी सासाराम से हार का सामना करना पड़ा है। मीरा कुमार भाजपा के छेदी पासवान से 165000 वोट से हारीं हैं।
जया प्रदा
बीजेपी की जया प्रदा को सपा के आजम खान ने हरा दिया। जया प्रदा चुनाव से पहले सपा में थी उसके बाद ही बीजेपी में गई थीं।
संबित पात्रा
ओडिशा की पुरी लोकसभा सीट से बीजेपी के स्टार प्रवक्ता संबित पात्रा की हार हुई है। संबित पात्रा को बीजेडी के पिनाकी मिश्रा ने हराया है।
शीला दीक्षित
दिल्ली कांग्रेस इकाई की प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित को भी हार का सामना करना पड़ा है, शीला दीक्षित को मनोज तिवारी ने हराया।
जाहिर है ये सभी नेता अपने पार्टी के धुरंधर नेता रहे है लेकिन जनता ने इन्हें चारों खाने चित कर दिया। एक गौर करनेवाली बात ये है कि पीएम मोदी जीत के बाद जब मंच पर बोलने आए तो इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि जनता ने फकीर की झोली को भर दिया, मैं 130 करोड़ देशवासियों का सिर झुकाकर नमन करता हूं। यही बात पीएम नरेंद्र मोदी को दूसरे नेताओं से जुदा करती है।
आज जनता ने जिन्हें करारी शिकस्त दी है, जिन्हें जमीन पर उठाकर पटक दिया है इन नेताओं के लिए एक सबक है कि जनता ही जनार्दन है और जनता ने ही आपको नेता बनाया है तो जनता और समाज के उत्थान के लिए आपको काम तो करना पड़ेगा, नही तो जनता ऐसे ही सबक सिखाएगी और नामोनिशान मिटा देगी।