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December 15, 2025

Khidrapur Moonlight Astronomical Wonders: खिद्रापुर का अनोखा चांद प्रकाश पर्व, कोपेश्वर मंदिर में दिखता खगोलीय चमत्कार

The CSR Journal Magazine
Khidrapur Moonlight Festival: महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के शिरोल तालुका में बसे छोटे से गांव खिद्रापुर में हर साल दिवाली के बाद आने वाली त्रिपुरारी पूर्णिमा की रात एक ऐसा अद्भुत नजारा देखने को मिलता है, जिसे विज्ञान और अध्यात्म का संगम कहा जाता है। यहां के प्राचीन कोपेश्वर मंदिर में चांद की किरणें स्वर्गमंडप के गोलाकार झरोखे से सीधी नीचे बनी चंद्रशिला पर पड़ती हैं और एक बिल्कुल सटीक गोलाकार प्रकाश बिंदु बनाती हैं। यह खगोलीय घटना सिर्फ 6 से 12 सेकंड तक दिखाई देती है, पर यह क्षण हजारों श्रद्धालुओं और खगोलशास्त्रियों के लिए बेहद खास होता है।

Khidrapur Moonlight Astronomical Wonders: कोपेश्वर मंदिर में दिखता है अद्भुत खगोलीय चमत्कार

इस प्रकाश पर्व को देखने के लिए हर साल महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा और देशभर से लोग खिद्रापुर पहुंचते हैं। कई विशेषज्ञ, फोटोग्राफर और खगोलशास्त्री भी यहां आते हैं, क्योंकि यह दृश्य वास्तुकला और खगोलशास्त्र दोनों का अनोखा उदाहरण है। मंदिर के 48 खंभों वाले खुले स्वर्गमंडप की खास बनावट ही इस प्रकाश मिलाप को संभव बनाती है।

Khidrapur Moonlight Festival: हजारों साल पुरानी परंपरा

त्रिपुरारी पूर्णिमा की रात मंदिर में हजारों दीप जलाए जाते हैं, भजन, कीर्तन और पारंपरिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। यह उत्सव सदियों से यहां मनाया जा रहा है और आज भी उसी भव्यता के साथ जारी है। मंदिर कृष्णा नदी के किनारे स्थित है, और इसकी खूबसूरत शिल्पकला चालुक्य, शिलाहार और यादव राजवंशों की कला का बेहतरीन मिश्रण दिखाती है।

इतिहास और वास्तुकला का अनोखा संगम

भारत सरकार द्वारा संरक्षित स्मारक घोषित कोपेश्वर मंदिर शिव और विष्णु दोनों को समर्पित है। इसका गर्भगृह, विशेष शिखर, 48 स्तंभ और वर्तुलाकार मंडप इसे वास्तुकला का जीवंत उदाहरण बनाते हैं। यही वजह है कि कई फिल्मों की शूटिंग भी यहां होती रही है। Maharashtra के कोल्हापुर से मात्र 70 किमी दूरी पर स्थित यह मंदिर आज धार्मिक पर्यटन का बड़ा केंद्र बन चुका है। दीपोत्सव के दिनों में यहां हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है, जो इस अद्भुत “चांद-प्रकाश पर्व” का साक्षी बनने आते हैं। खिद्रापुर का यह अनोखा खगोलीय अनुभव न सिर्फ महाराष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि विज्ञान और अध्यात्म के मिलन का दुर्लभ उदाहरण भी है।
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