शिव की नगरी काशी में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने से वाराणसी के 84 घाट जलमग्न हो चुके हैं। शीतला मंदिर डूब गया है और कई मोहल्लों में बाढ़ का पानी घरों तक पहुंच गया है, जिससे लोगों में दहशत का माहौल है।
गंगा उफान पर, वरुणा भी अपनी हद से पार
Varanasi: काशी की पवित्र गंगा इन दिनों अपने उफान भरे रूप से लोगों में भय पैदा करने लगी है। मंगलवार सुबह 8 बजे केंद्रीय जल आयोग ने गंगा का जलस्तर 68.42 मीटर दर्ज किया, जो हर घंटे लगभग 4 सेंटीमीटर की दर से बढ़ रहा था। दोपहर तक यह रफ्तार कम होकर पर 2 सेंटीमीटर प्रतिघंटा पर आ गई, फिर शाम 7 बजे का स्तर 68.70 मीटर दर्ज किया गया, जो चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर से मात्र 1.56 मीटर नीचे है। इधर वरुणा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिसके कारण तटवर्ती इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है। गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि हो रही है, जिससे वरुणा नदी में पलट प्रवाह हो रहा है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है। वरुणा नदी का पानी किनारों से ऊपर उठकर आसपास के गांवों और निचले इलाकों में घुस गया है। वरुणा नदी के किनारे बसे कई इलाके जैसे कि पुलकोहना, सलारपुर, आदि में पानी घुस गया है और लोग सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं।
अस्सी घाट से राजघाट तक गंगा जल
गंगा के उफान का असर काशी के सभी 84 घाटों पर साफ दिख रहा है। अस्सी घाट के ‘सुबह-ए-बनारस’ मंच तक पानी पहुंच चुका है। दशाश्वमेध घाट पर स्थित शीतला माता का मंदिर पूरी तरह डूब गया है और केवल उसका ऊपरी हिस्सा बाहर दिखाई दे रहा है। मंदिर से मां की मूर्ति को अहिल्याबाई स्टेट स्थित अहिलेश्वर महादेव मंदिर ले जाया गया है और नित्य आरती, दर्शन और राग- सभी प्रक्रिया अब वहीं से जारी है।
नमो घाट पर ‘नमस्ते’ स्कल्पचर भी पानी में डूब गया है। अस्सी से राजघाट के बीच के सभी घाटों के मंदिर जलमग्न हैं, जिसकी वजह से अब केवल मंदिरों की छतरियां और उनका उनका शिखर ही दिखाई दे रहा है।
प्रशासन ने कुदरत के खिलाफ कसी कमर
प्रशासन द्वारा बाढ़ पीड़ितों को निकालने के लिए नावों की व्यवस्था की गई है, लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि पर्याप्त संख्या में नाव उपलब्ध नहीं हैं। बाढ़ के कारण लोगों को खाने-पीने की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है। जल पुलिस ने गंगा आरती पर प्रतिबंध लागू कर दिया है, ताकि श्रद्धालुओं को नाव या मोटरबोटों के माध्यम से घाट पर ले जाने से बचा जा सके।
दशाश्वमेध घाट पर ध्वजित जल पुलिस चौकी तक पानी पहुंच चुका है और उस क्षेत्र में आरती अब सांकेतिक रूप से की जाएगी। मणिकर्णिका घाट की छतों पर तथा हरिश्चंद्र घाट की गलियों में शवदाह जारी है, लेकिन बाढ़ के कारण अचानक समस्या बढ़ सकती है। तत्काल घाटों की सुरक्षा के लिए NDRF और PAC तैनात की गई है।
वरुणा नदी और वरुणा कॉरिडोर में भी जलस्तर बढ़ा है जिससे शहर के बीच बसे तटवर्ती इलाकों में कई मोहल्लों में बाढ़ की स्थिति बनी है। मंगलवार को ही हिदायत नगर समेत आसपास घरों में पानी भरने की ख़बरें सामने आई हैं। काशी में नगरीय व सामाजिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
गंभीर खतरे की पहली चेतावनी
नगवां नाले के पास बस्ती में पानी का प्रवेश हुआ है। हरिजन बस्ती, सोनकर बस्ती, डुमरांव बाग कॉलोनी से लेकर साकेत नगर, रोहित नगर और बटुआ पुरा तक पानी बढ़ने की आशंका है। रमना टिकरी में पहुंचा पानी करीब 5 फीट तक चढ़ चुका है, जिससे सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न हो गई हैं। नगवां प्राथमिक विद्यालय के पास राजस्व अधिकारियों द्वारा लगातार पैदल गश्त चल रही है। गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु से करीब 1.5 मीटर नीचे है, पर सतही जोखिम अभी भी बना हुआ है।
प्रशासन ने लोगों को सावधान रहने की हिदायत दी
जिला प्रशासन ने गंगा के आसपास रहने वाले काशीवासियों के लिए चेतावनी जारी की है ताकि लोग सुरक्षित रहें। कहा गया है कि नाविकों और घाटों पर जाने वालों को सतर्क रहना चाहिए क्योंकि चैनल गेट नियंत्रण कमजोर पड़ सकता है। नदी किनारे लोगों को सलाह दी जा रही है कि वे बाढ़ की स्थिति को देखते हुए कुछ सतर्क उपाय करें और जरूरी सामानों को ऊंची जगह रख लें।
यह बरसाती माहौल काशीवासियों के लिए जाना-पहचाना नहीं है। प्राचीन काशी नगरी के इन पावन घाटों का जलमग्न होना सिर्फ आस्था पर अड़चन नहीं खड़ा करता, बल्कि जनजीवन और संपत्ति को जोखिम में डालता है। कहीं गंगा का यह भयावह स्वरूप काशी की संस्कृति पर आत्मरक्षा की पाठशाला बन जाए, तभी प्रशासन की जल्दबाजी में आने वाली प्रतिक्रिया मायने रखेगी।
Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!