app-store-logo
play-store-logo
October 10, 2025

Karwa Chauth 2025: क्या करवा चौथ पर चौथ का चांद नहीं दिखेगा? जानिए कैसे संपन्न होगा व्रत

The CSR Journal Magazine
इस बार करवा चौथ पर कई लोग सोच रहे हैं,  “इस साल चांद क्यों नहीं दिखेगा?” मौसम और ज्योतिषीय कारणों से कुछ स्थानों पर रात में चांद देर से या कम दिखाई दे सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि व्रत अधूरा रह जाएगा। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए अखंड व्रत रख सकती हैं।
उत्तर भारत का प्रमुख पर्व करवा चौथ सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि प्रेम, निष्ठा और स्त्री-शक्ति का प्रतीक है। इस दिन विवाहित महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और अपने पति के लिए आशीर्वाद और समर्पण व्यक्त करती हैं। करवा चौथ का अर्थ ही है, “करवा” यानी मिट्टी का घड़ा और “चौथ” यानी चतुर्थी तिथि। यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।

करवा चौथ 2025 की तिथि, समय और शुभ मुहूर्त

  1. तिथि: शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

  2. सरगी का समय: प्रातः 06:20 बजे तक

  3. व्रत की कुल अवधि: लगभग 14 घंटे

  4. चंद्रोदय (Moonrise Time): रात 08:14 बजे

व्रत समाप्ति: चांद के दर्शन और पति के हाथ से जल ग्रहण

इस साल चंद्रोदय 10 अक्टूबर को रात 8 बजकर 14 मिनट पर होगा। चतुर्थी तिथि के समाप्त होने के बाद ही चांद दिखाई देगा, यानी पंचमी तिथि में। इसके बावजूद सुहागनें अर्घ्य देकर अखंड सौभाग्य और दीर्घायु की कामना करेंगी।

सरगी – सास का स्नेह और ऊर्जा का आशीर्वाद

करवा चौथ की शुरुआत सरगी से होती है। यह थाली सास अपनी बहू को देती हैं। इसमें फल, सूखे मेवे, हलवा, लड्डू, पूड़ी-दही, नारियल, सिंदूर और साड़ी (शगुन के रूप में) रखी जाती हैं।
‘सरगी’ क्यों कहलाई?
शब्द संस्कृत और पंजाबी मूल से आया है। “सहर” या “सेहरी” का अर्थ होता है भोर या सूर्योदय से पहले लिया जाने वाला भोजन। इसी समय व्रती महिलाएं निर्जला उपवास शुरू करती हैं, ताकि दिनभर ऊर्जा बनी रहे।

श्रृंगार और तैयारी: सुहाग के रंगों से सजी शाम

शाम होते ही महिलाएं श्रृंगार करती हैं। लाल, गुलाबी और सुनहरे रंग के परिधान पहनती हैं, मांग में सिंदूर भरती हैं, हाथों में मेहंदी लगाती हैं और चूड़ियों से श्रृंगार को पूर्ण करती हैं। यह रंग सुहाग, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक हैं।

पूजा विधि और कथा श्रवण: श्रद्धा का केंद्र

शाम को महिलाएं समूह में या घर पर पूजा करती हैं। मिट्टी या पीतल के करवे में जल, रोली, चावल, मिठाई और दीप रखकर चौथ माता की आराधना की जाती है। पूजा का मुख्य हिस्सा करवा चौथ की कथा है, जिसमें वीरावती और अन्य स्त्री-धैर्य की कहानियां शामिल होती हैं।
पूजा के दौरान पारंपरिक संवाद जैसे
“धापी की नी धापी?” — “जल से धापी, सुहाग से ना धापी”
इस पर्व में लोक-संस्कृति की मिठास घोल देते हैं।

करवा चौथ का भोग

  1. भोग में आमतौर पर शामिल होते हैं:
  2. सूजी का हलवा और पूड़ी – समृद्धि का प्रतीक
  3. फल और मिठाइयां – शुभता का संकेत
  4. पान, सुपारी, चावल और रोली – शुद्धता के प्रतीक
माता पार्वती को गेहूं से बने व्यंजन विशेष प्रिय हैं, इसलिए हलवा-पूरी मुख्य भोग के रूप में चढ़ाई जाती है। पूजा के बाद प्रसाद परिवार में बांटा जाता है।

चंद्रोदय – जब चांद बनता है प्रेम का साक्षी

रात को जब आसमान में चांद निकलता है, महिलाएं पहले छलनी में दीपक रखकर चंद्र देव को देखती हैं, फिर उसी प्रकाश से अपने पति का चेहरा निहारती हैं। जल अर्पित करने और पति के हाथ से जल ग्रहण करने के बाद व्रत समाप्त होता है।

करवा चौथ की उत्पत्ति – कब और कैसे शुरू हुआ यह पर्व

ऐतिहासिक रूप से यह पर्व उस युग से जुड़ा है जब राजपूत और क्षत्रिय योद्धा युद्धों पर जाते थे। पत्नियां उनके सुरक्षित लौटने की कामना करती थीं।
खेती-बाड़ी और फसल की समृद्धि से जुड़ी मान्यता भी है। मिट्टी के करवे में अनाज रखकर महिलाएं अच्छी फसल की कामना करती थीं।
स्त्री-मित्रता और बहनचारे का प्रतीक भी है। ‘कंगन सहेली’ या ‘धर्म बहन’ बनाने की परंपरा नवविवाहिताओं में अकेलापन कम करती थी।

आधुनिक युग में करवा चौथ का बदलता स्वरूप

आज करवा चौथ सिर्फ पति की लंबी उम्र का व्रत नहीं, बल्कि प्रेम, साझेदारी और समानता का उत्सव बन चुका है। कई जगह पुरुष भी अपने पत्नियों के साथ व्रत रखते हैं, दर्शाता है कि यह पर्व अब दो-तरफा प्रेम और सम्मान का प्रतीक बन गया है।

Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!

App Store –  https://apps.apple.com/in/app/newspin/id6746449540 

Google Play Store – https://play.google.com/store/apps/details?id=com.inventifweb.newspin&pcampaignid=web_share

Latest News

Popular Videos