जामताड़ा, झारखंड का एक छोटा सा जिला। पहली नजर में इसका नाम आते ही इसकी छवि साइबर क्राइम के बड़े बड़े अपराधों के तौर पर बनती है। जामताड़ा जिला साइबर ठग के लिए जाना जाता था। यहां तक कि इसके नाम से फिल्में और वेब सीरीज भी बन चुकी हैं। लेकिन पिछले तीन सालों में इसकी सूरत धीरे धीरे बदल रही है। जामताड़ा जिले में किताबों की दुनिया बसायी जा रही है। अब यहां के हर पंचायत में कम्युनिटी लाइब्रेरी बनायी जा रही। झारखंड में जामताड़ा देश का एकमात्र जिला बन गया है जहां सभी ग्राम पंचायतों में सामुदायिक पुस्तकालय यानी कम्युनिटी लाइब्रेरी हैं।
जामताड़ा के डिप्टी कमिश्नर फैज अहमद मुमताज की बदौलत जिले में शिक्षा (Education in Jamtara, Jharkhand) की आयी है क्रांति
जामताड़ा जिले के डिप्टी कमिश्नर फैज अहमद मुमताज की बदौलत जिले में शिक्षा की क्रांति आयी है। डिप्टी कमिश्नर फैज अहमद मुमताज की अगुवाई में हर पंचायत में एक-एक सामुदायिक लाइब्रेरी खोली जा चुकी है। जामताड़ा जो पहले साइबर ठग के लिए मशहूर था, जहां के बेरोजगार और अशिक्षित युवक फ्री घूमने के लिए मजबूर थे अब कम्युनिटी लाइब्रेरी की वजह से भविष्य बदल रहा है। अब युवा वर्ग ऑनलाइन फ्रॉड करने के बजाए अपने घरों के पास लाइब्रेरी में जा रहे हैं। अपने सुनहरे भविष्य का ताना-बाना बुनने लगे हैं।
जामताड़ा के लाइब्रेरी में पढ़कर पास हुआ UPSC की परीक्षा
जामताड़ा के हर पंचायत में लाइब्रेरी की वजह से ज्ञान की गंगा का प्रवाह बड़े पैमाने पर हो रहा है। इन सामुदायिक पुस्तकालयों में जिले के बड़े अधिकारी भी आते है और बच्चों को पढ़ाते है। सामुदायिक पुस्तकालयों में सिविल सर्विसेस के अधिकारी आकर बच्चों की क्लास भी लेते है। अब तक आईएएस, आईपीएस और राज्य सिविल सेवाओं के अधिकारियों ने कुल 14000 क्लासेज लिए है। सामुदायिक पुस्तकालयों की मदद से बच्चों में कंपटीशन की तैयारियां हो रही हैं। यहां तक कि एक लाइब्रेरी के सदस्य ने तो यूपीएससी का मेंस एग्जाम तक निकाल लिया है। इन पुस्तकालयों में कंपटीशन, जनरल नॉलेज, NCERT और अन्य पाठ्यक्रम की किताबें रखी गयी है।
लाइब्रेरी की मदद से जामताड़ा के हर गांव को किताबों से जोड़ा गया
झारखंड के जामताड़ा की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खेती और इससे जुड़े कार्यों पर निर्भर है। बेरोजगारी, शिक्षा और साइबर क्राइम यहां की सबसे बड़ी समस्या थी। डिप्टी कमिश्नर फैज अहमद को जब इस जिले की कमान मिली तो गांव गांव में शिक्षा की मुहिम शुरू करने के विषय को प्राथमिकता में रखा। नवंबर 2020 से पंचायतवार एक-एक सामुदायिक लाइब्रेरी खोली गयी। देखभाल के अभाव से जिले में 124 सरकारी भवन ऐसे थे जो खंडहर होते जा रहे थे। इनकी मरम्मति करायी गयी। सरकारी भवनों को दोबारा से कम खर्चे पर रेनोवेट किया गया। वीरान, बेकार पड़े सरकारी मकानों को नयी सूरत दी गयी और आखिरकार पूरे जिले के पंचायतों में 118 में सामुदायिक पुस्तकालय खोले गये।
जामताड़ा की वीरान, जर्जर सरकारी इमारतों को दी नयी सूरत, बना लाइब्रेरी और ओल्ड एज क्लब
सरकारी जर्जर इमारतों को ना सिर्फ सामुदायिक लाइब्रेरी बनाया गया बल्कि 6 भवनों को ओल्ड एज क्लब में भी बदला गया। वर्तमान में 118 सामुदायिक पुस्तकालयों में रोजाना ही तकरीबन 5000 युवा और बच्चे शिफ्टों में पढ़ने पहुंच रहे हैं। छह ब्लॉक में स्थित ओल्ड एज क्लब में आकर क्षेत्र के सैकड़ों बुजुर्ग अपना अकेलापन दूर करने का जतन कर रहे हैं। जिले के ऐसे बुजुर्ग जो अकेलेपन के शिकार है उनके मानसिक, भावनात्मक और मेडिकल इशूज को एल्डर्स क्लब काफी मददगार साबित होता है।
जामताड़ा की लाइब्रेरी (Jamtara Library) बनाने में सीएसआर की भी मदद मिली – डीसी फैज़ अहमद मुमताज
The CSR Journal से ख़ास बातचीत करते हुए जामताड़ा के डीसी फैज़ अहमद मुमताज ने बताया कि “किसी भी समाज की सुनहरी सूरत गढ़ने में शिक्षा और स्वास्थ्य सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। निजी जिंदगी के साथ-साथ समाज में शिक्षा से परिवर्तन आता है और जामताड़ा में गांव-गांव में लाइब्रेरी खुलने से ना सिर्फ बच्चों का भविष्य सुनहरा हो रहा है बल्कि समाज में भी सकरात्मक बदलाव आ रहा है। जामताड़ा में लाइब्रेरी खोलने में सीएसआर की भी भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण रही। स्थानीय कॉरपोरेट्स के Corporate Social Responsibility – CSR पहल की मदद से लाइब्रेरी का इंफ्रास्ट्रक्टर को बनाने में मदद मिली”। जाहिर है शिक्षा में कितनी ताकत है इसका यही उदहारण है कि इस Community Library में पढ़कर एक शस्ख ने UPSC पास कर ली। उम्मीद है कि इस लाइब्रेरी के जरिये छोटे-छोटे स्तर पर ही सही लेकिन कामयाबी के बेहतरीन किस्से गढ़े जायेंगे।