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March 12, 2025

जावेद शेख एंड डॉटर्स, गुप्ता एंड डॉटर्स- समय बदलने को है

श्रीनगर में ‘Javed Sheikh And Daughters’ साइनबोर्ड एक कश्मीरी पिता द्वारा अपनी बेटी के नाम को अपने व्यवसाय में शामिल करने की नीयत से लगाया गया था, तब, जब बेटियां माता-पिता के लिए महज एक ज़िम्मेदारी भर हुआ करती थीं और बेटों के माता-पिता होने पर लोग फ़ख़्र जताया करते थे। जावेद शेख ने अपनी दुकान पर ‘Javed Sheikh And Daughters’ नाम का साइनबोर्ड लगाया, जो रूढ़िवादी सोच को दरकिनार करता है। यह साइनबोर्ड बेटियों के नाम को व्यवसाय में शामिल करके पितृसत्तात्मक समाज में एक नई सोच को दर्शाता है।

Javed Sheikh And Daughters

‘Shrinagar शहर के Kokar बाजार में एक पुरानी जर्जर इमारत के बाहर लटका एक पुराना साइन बोर्ड एक प्रसिद्ध कश्मीरी परिवार और एक प्यार करने वाले पिता की यादें ताजा कर देता है, जिन्हें अपनी बेटियों पर गर्व था। ‘Javed Sheikh एंड Daughters’ Kokar Bazaar , Maisooma Shrinagar।’यह साइनबोर्ड साबित करता है कि कम से कम 51 साल पहले कश्मीर में Gender Biasness की उलटी गिनती शुरू हो गई थी। जावेद शेख कश्मीर के सबसे सम्मानित और प्रसिद्ध व्यापारियों में से एक शेख मोहम्मद अमीन के बेटे थे। परिवार का कश्मीर में लकड़ी का साम्राज्य था और जावेद इसके एकमात्र मालिक थे। परिवार की संस्कृति की एक झलक उनके जम्मू स्थित घर में इतालवी संगमरमर के भव्य उपयोग में दिखाई देती है, जिसे स्वतंत्रता से बहुत पहले बनाया गया था।
जावेद शेख का निकाह 1969 में Dilshad Beghum Sheikh से हुआ था जो बॉलीवुड अभिनेता फिरोज खान की सबसे छोटी बहन हैं। उनके अन्य दो भाई, अभिनेता/निमार्ता, संजय खान और अकबर खान हैं। Dilshaad Beghum कश्मीर और दिल्ली में एक जानी मानी Socialite हैं। 1980 के दशक के मध्य में जावेद की मृत्यु हो गई। Javed और Dilshad की तीन बेटियां हैं, शाहला, सबा और शीबा। गर्मियों में शहाला अपनी मां के साथ श्रीनगर के राजबाग के घर में रहती है और मां बेटी, दोनों सर्दियों में दिल्ली और मुंबई चली जाती हैं। शहाला मशहूर फर्नीचर कंपनी ‘Woodfort’ की मालकिन हैं। वह एक इंटीरियर डेकोरेटर भी है और उच्च गुणवत्ता वाले Walnut Wood Furniture का काम करती है। सबा ‘Illuminati’ नाम की एक Candle Company की मालकिन हैं, जबकि शीबा एक गृहिणी और दो बच्चों की मां हैं। जावेद शेख ने अपनी दुकान पर “Javed Sheikh And Daughters” नाम का साइनबोर्ड लगाया, जो रूढ़िवादी सोच को दरकिनार करता है। यह साइनबोर्ड बेटियों के नाम को व्यवसाय में शामिल करके पितृसत्तात्मक समाज में एक नई सोच को दर्शाता है।

‘Gupta And Daughters’

इन दिनों लुधियाना के एक मेडिकल शॉप की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। वजह जानकर आप भी हैरान हो जाऐंगे। PM Modi के स्लोगन ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ से भी आगे बढ़ते हुए लुधियाना के एक व्यापारी ने ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ के साथ-साथ ‘बेटी बढ़ाओ’ का नारा भी जोड़ दिया है और इसी के चलते उसने अपने व्यापार या दुकान का नाम ‘Gupta And Daughters’ रखा है। जहां एक ओर पिता और पुत्र/भाईयों ने लंबे समय से देशभर में फर्मों, व्यवसायों और दुकानों के नामों पर एकाधिकार कर रखा है, वहीं एक मेडिकल स्टोर पर महिला और उसके पिता के नाम वाला साइनबोर्ड सोशल मीडिया पर लोगों का दिल जीत रहा है और लोग बेटी के नाम को अपने व्यवसाय से जोड़ने के लिए स्टोर मालिक की सराहना कर रहे हैं।

Gender Biasness से परे हटने की कोशिश

लैंगिक रूढ़िवादिता को तोड़ते हुए लुधियाना के एक व्यवसायी ने अपने नवीनतम व्यवसाय का नाम ‘Gupta And Daughters’ रखा है, जो उनकी बेटी आकांक्षा और दुनिया भर की अन्य महिलाओं के लिए आदर सहित नमन है। व्यवसायी मनोज कुमार गुप्ता (54) ने अपना करियर एक बिल्डिंग कॉन्ट्रैक्टर के रूप में शुरू किया था और वे ‘Gupta And Sons’ नाम की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के भी मालिक हैं। हालांकि तीन साल पहले उन्होंने लुधियाना के सिविल लाइंस में ‘गुरु नानक मोदी-खाना’ के नाम से एक चैरिटेबल फ़ार्मेसी शुरू की, जिसके लिए वे नाम ढूंढ़ रहे थे।

PM Modi के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ से हुए प्रभावित

 गुप्ता ने कहा, “नामों पर विचार-विमर्श करते समय, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ‘ नारे से मैं बहुत प्रभावित हुआ और मैंने इसे अपनाने का फैसला किया। अलग-अलग नाम होने के बावजूद जब मैंने अपने परिवार को अपने फैसले के बारे में बताया तो वे खुश हुए। मैंने अपना मन बना लिया था और अपनी बेटी को न केवल भावना में, बल्कि नाम में भी स्वामित्व देने का फैसला किया। यह लैंगिक समानता का प्रतीक है।” कानून की छात्रा आकांक्षा ने कहा कि वह खुद को ऐसे माता-पिता की गौरवशाली बेटी मानती हैं जो लैंगिक समानता का उदाहरण पेश कर रहे हैं और लंबे समय से चली आ रही पितृसत्तात्मक मान्यताओं को तोड़ रहे हैं। उनके भाई जो एमबीए ग्रेजुएट हैं, उन्हें भी लगता है कि उन्होंने अपने पिता की  पहल जैसी कोई चीज न तो देखी है और न ही पढ़ी है, और उनकी प्रगतिशील सोच को सलाम करते हैं। गुप्ता सही मूल्यों को स्थापित करने के लिए अपने माता-पिता को तथा परिवार का नाम ऊंचा रखने के लिए अपनी पत्नी रमा को श्रेय देते हैं। ‘Gupta And Daughters’ का ‘Sikh Welfare Council’ के साथ गठजोड़ है जो गरीबों, जरूरतमंदों और हाशिए पर पड़े लोगों को मुफ्त में दवाइयां उपलब्ध कराता है।
ये दोनों Sign Boards महज एक Sign Board नहीं हैं, बल्कि मील का पत्थर हैं ये बताने के लिए’ कि समय बदलने को है। ये बताने के लिए, कि आगे की राह अब आसान होने वाली है। अब ज़्यादा दूरी नहीं तय करनी है बदलाव देखने के लिए। Gender Equality अब बस हकीकत होने को है। बस, रास्ते के पत्थर हटाते रहिए, क्यूंकि मंजिल तक पहुंचने के लिए हर कदम उतना ही ज़रूरी है।

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