दुनिया भर में हर वर्ष 11 दिसंबर को International Mountain Day मनाया जाता है, एक ऐसा दिन जिसका उद्देश्य पर्वतों के संरक्षण, जलवायु सुरक्षा और पर्वतीय समुदायों की चुनौतियों पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करना है। वर्ष 2025 में संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन का विषय रखा हैI ग्लेशियर पहाड़ों और उसके बाहर पानी, भोजन और आजीविका के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह थीम इस बात पर ज़ोर देती है कि ग्लेशियर केवल बर्फ के विशाल ढेर नहीं, बल्कि धरती के लिए जीवनदायिनी जल–संपदा हैं, जिन पर करोड़ों लोगों की आजीविका निर्भर करती है।
पर्वतों का बढ़ता महत्व और खतरे
दुनिया की लगभग 27% सतह पर पर्वत फैले हुए हैं, और विश्व की 60% से अधिक आबादी किसी न किसी रूप में पर्वतीय संसाधनों पर निर्भर है। नदियों की उत्पत्ति, मौसम चक्र का संचालन, औषधीय पौधों की उपलब्धता और वनों की विविधता सब कुछ पर्वतों के कारण ही संभव है।
लेकिन बढ़ते जलवायु परिवर्तन, असंतुलित पर्यटन, जंगलों की कटाई और प्लास्टिक प्रदूषण की वजह से पर्वत तेजी से खतरे में आ रहे हैं। ग्लेशियरों का पिघलना, अचानक आने वाले बाढ़ और भूस्खलन इसके साफ संकेत हैं कि पहाड़ अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
International Mountain Day 2025 की विशेष थीम
इस वर्ष की थीम ग्लेशियरों की उस महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है जिसके कारण वे पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में अहम योगदान देते हैं।
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दुनिया के 70% ताजे पानी का स्रोत ग्लेशियर हैं।
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एशिया की कई विशाल नदियां- गंगा, सिंधु, ब्रह्मपुत्र, उंचे पर्वतों के ग्लेशियरों से ही निकलती हैं।
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कृषि, पेयजल, जलविद्युत उत्पादन और लाखों लोगों की आजीविका ग्लेशियरों पर निर्भर है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वैश्विक तापमान में हो रही तेज वृद्धि इन ग्लेशियरों को तेजी से पिघला रही है, जिससे आने वाले वर्षों में जल–संकट और प्राकृतिक आपदाओं का जोखिम बढ़ सकता है।
पर्वत दिवस का इतिहास और उद्देश्य
सन 2002 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 दिसंबर को International Mountain Day घोषित किया। इस दिन को मनाने का उद्देश्य है,
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पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाना
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पर्वतीय समुदायों की संस्कृति और जीवनशैली की रक्षा
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जलवायु परिवर्तन से पहाड़ों पर पड़ रहे प्रभावों की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करना
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स्थायी पर्यटन और प्राकृतिक संसाधनों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देना
पर्वतारोहण: रोमांच के साथ ज़िम्मेदारी
पर्वतारोहण केवल एक शौक नहीं, बल्कि अनुशासन, मानसिक शक्ति और तकनीकी कौशल की मांग करने वाला कठिन कार्य है। Mount Everest जैसी चोटियों पर चढ़ना दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण यात्राओं में से एक माना जाता है।
पर्वत पर चढ़ने से पहले क्या करें?
फिटनेस और स्टैमिना ट्रेनिंग
उच्च पर्वतों पर चढ़ने के लिए शरीर में ताकत और सहनशीलता बेहद ज़रूरी है। महीनों तक कार्डियो, रनिंग, हाई-इंटेंसिटी वर्कआउट की ट्रेनिंग करनी चाहिए।
तकनीकी प्रशिक्षण
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चट्टान पर चढ़ाई (Rock Climbing)
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रस्सी का उपयोग और नियंत्रण (Rope Handling)
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स्नो क्राफ्ट और बर्फ पर चलने की तकनीक
ये कौशल पर्वत के कठिन भूभाग पर संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।
अनुकूलन / उंचाई के अनुसार शरीर को ढालना
उंचाई बढ़ने पर ऑक्सीजन कम हो जाती है। इसलिए शरीर को धीरे-धीरे उंचाई की आदत डालना अनिवार्य है।
सही उपकरण- बर्फ पर चलने वाले नुकीले जूते के क्लिप (Crampons), बर्फ की कुल्हाड़ी (ice axe), सुरक्षा बेल्ट (harness), उच्च-उंचाई के विशेष जूते (high-altitude boots), ऑक्सीजन सिलेंडर (oxygen cylinders), ठंड में गर्मी बनाए रखने के लिए उपयोग होने वाला बैग (sleeping bag), तंबू (tent)— इनका सटीक उपयोग जानना ज़रूरी है।
पोषण और पानी
High-calorie भोजन, energy bars, dry fruits, सूप और hydration packs साथ रखना चाहिए। पानी की कमी से Altitude Sickness हो सकती है, जो जानलेवा भी साबित हो सकती है।
पर्वत पर चढ़ते समय क्या न करें?
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बिना गाइड या टीम के न जाएं
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अनुभवहीन पर्वताराही अकेले पहाड़ पर जाना बहुत खतरनाक है।
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मौसम को हल्के में न लें
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अचानक बर्फीले तूफान, तेज हवा और भारी बर्फबारी जान जोखिम में डाल सकते हैं।
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ऊर्जा और पानी की अनदेखी न करें
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Dehydration और कमजोरी उंचाई पर खतरनाक स्थिति पैदा कर सकती है।
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पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाएं
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प्लास्टिक कचरा, खुले में खाना पकाना और प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग पर्वतीय पर्यावरण के लिए घातक है।

