अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump के हालिया फैसले ने भारत-अमेरिका के रिश्तों में तनाव बढ़ा दिया है। 6 अगस्त को Trump ने भारतीय निर्यात पर 25% अतिरिक्त टैरिफ (Trump Tariff) लगाने की घोषणा की। इसके बाद भारतीय निर्यात पर कुल शुल्क 50% तक पहुंच गया, जो किसी भी अमेरिकी व्यापारिक साझेदार पर लगाया गया अब तक का सबसे ज्यादा दर है। Trump का आरोप है कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से Russia-Ukraine War को फंड कर रहा है। इस कदम से दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक रिश्तों पर असर पड़ना तय है।
India-America Defence Deal हथियार सौदे पर रोक
सूत्रों के अनुसार, भारत ने अमेरिका से नए हथियार और विमान खरीदने की योजना को फिलहाल स्थगित (India-US Defence Deal Halted) कर दिया है। यह योजना आने वाले हफ्तों में घोषित होनी थी और इसके लिए रक्षा मंत्री Rajnath Singh का वॉशिंग्टन दौरा तय था। लेकिन हालात बिगड़ने के चलते यह दौरा रद्द कर दिया गया है। भारत ने साफ किया है कि जब तक टैरिफ और द्विपक्षीय संबंधों को लेकर स्पष्टता नहीं आती, तब तक यह सौदा आगे नहीं बढ़ेगा।
टैरिफ विवाद की वजह India America Relationship खराब
Donald Trump पहले भी कई बार अपने टैरिफ निर्णयों में अचानक बदलाव करते रहे हैं। लेकिन इस बार मामला केवल आर्थिक नहीं, बल्कि Geopolitical भी है।
टैरिफ का कारण: रूस से भारत की तेल खरीद।
Trump का तर्क: भारत की इस खरीद से रूस की अर्थव्यवस्था को मदद मिलती है, जिससे वह यूक्रेन पर हमला जारी रख पा रहा है।
भारत का रुख: हमारा व्यापारिक फैसला स्वतंत्र है और इसका किसी युद्ध में समर्थन से कोई लेना-देना नहीं है।
भारत की रणनीति India Halts US Arms Purchase
भारत ने अमेरिका के साथ अपने रक्षा और आर्थिक रिश्तों को हमेशा प्राथमिकता दी है, लेकिन India’s Defence Procurement Policy में यह प्रावधान है कि किसी भी विदेशी सौदे को राष्ट्रीय हित के खिलाफ होने पर रोका जा सकता है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भारत की ओर से अमेरिका को एक सख्त संदेश है कि वह दबाव की राजनीति स्वीकार नहीं करेगा।
आगे क्या करेगा भारत?
सूत्रों के मुताबिक, भारत और अमेरिका के बीच इस विवाद को कूटनीतिक स्तर पर सुलझाने की कोशिशें जारी हैं। अगर टैरिफ में कमी या छूट मिलती है, तो US-India Defence Cooperation फिर से पटरी पर आ सकता है। लेकिन फिलहाल, भारत ने अपने रुख को स्पष्ट कर दिया है राष्ट्रीय हित पहले, सौदे बाद में।
जनता और बाजार पर असर
इस टकराव से न केवल रक्षा सौदों पर असर पड़ेगा, बल्कि भारतीय निर्यातकों के लिए भी यह झटका है। उच्च टैरिफ का मतलब है कि अमेरिकी बाजार में भारतीय वस्तुएं महंगी हो जाएंगी, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धा घट सकती है।