राजधानी दिल्ली में सोमवार को Red Fort के पास हुए भीषण blast ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस धमाके में 13 लोगों की मौत और दो दर्जन से ज़्यादा घायल हुए। सरकार ने इसे फिलहाल “terrorist attack” मानकर जांच शुरू कर दी है। NIA और counterterrorism units मामले की तहकीकात कर रही हैं। लेकिन, दिलचस्प बात यह है कि दो दिन बीत जाने के बावजूद भारत सरकार ने किसी देश या संगठन का नाम लेकर आरोप नहीं लगाया है — न ही पाकिस्तान का।
यह चुप्पी कई सवाल खड़े करती है — खासकर इसलिए क्योंकि PM Narendra Modi ने इसी साल मई में कहा था कि “भविष्य में किसी भी आतंकी हमले को act of war माना जाएगा।”
“Act of War” का बोझ — अब तुरंत आरोप लगाना मुश्किल
मई 2025 में Pahalgam में हुए आतंकी हमले में 25 पर्यटकों की मौत के बाद भारत ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था। चार दिन चले India-Pakistan air conflict के बाद दोनों देशों ने ceasefire किया। इसके बाद मोदी ने कड़ा बयान दिया — कि अब कोई भी “terror act” भारत के खिलाफ “war act” माना जाएगा। लेकिन अब इसी बयान ने भारत को एक diplomatic trap में फंसा दिया है। विश्लेषकों का कहना है कि अगर भारत अब Delhi blast के लिए सीधे पाकिस्तान को दोषी ठहराता है, तो जनता और सेना के बीच तुरंत retaliation की मांग उठेगी।
Ajai Sahni, जो South Asia Terrorism Portal के निदेशक हैं, ने कहा —
“सरकार ने खुद को एक ऐसे कोने में धकेल दिया है जहां हर बयान पर सैन्य कार्रवाई की उम्मीद बन जाती है। यह कोई नीति नहीं, बल्कि राजनीतिक उत्साह में लिया गया निर्णय था।”
Red Fort Blast की जांच — Kashmir connection और Jaish-e-Muhammad
धमाके से कुछ घंटे पहले, Kashmir Police ने दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों में छापेमारी की थी और एक “interstate and transnational terror module” का पर्दाफाश किया था।
इस मॉड्यूल के तार Jaish-e-Muhammadऔर Ansar Ghazwat-ul-Hind जैसे संगठनों से जुड़े बताए जा रहे हैं।
पुलिस ने भारी मात्रा में explosives, detonators, circuits और remote devices जब्त किए — कुल 2,900 किलो से अधिक सामग्री बरामद हुई। दो Kashmiri medical professionals को गिरफ्तार किया गया है, जबकि एक डॉक्टर उमर नबी (Pulwama से) फरार है, जिसे अब blast के समय गाड़ी चलाने वाला संदिग्ध माना जा रहा है। जांच एजेंसियों का कहना है कि शुरुआती जांच में Pakistan-based logistical support के संकेत मिले हैं, लेकिन योजना और क्रियान्वयन local self-radicalised group ने किया
भारत क्यों सतर्क है?
Michael Kugelman, वॉशिंगटन डीसी स्थित South Asia विश्लेषक, का कहना है कि भारत के सामने इस वक्त “policy dilemma” है। “अगर भारत इस हमले को terrorist act घोषित करता है, तो उसे कुछ बड़ा करना पड़ेगा — जैसे सैन्य प्रतिक्रिया या air strike। लेकिन अगर सबूत पक्के न हों, तो अंतरराष्ट्रीय समर्थन खो सकता है।”
दरअसल, मई में जब भारत ने Pakistan पर air raids किए थे, तब उसने कोई ठोस सबूत साझा नहीं किए थे। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत को “aggressor” की छवि झेलनी पड़ी थी।
इसी कारण इस बार भारत ने ज्यादा संयम बरतने का फैसला किया है।
International Pressure और US Factor
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump ने मई संघर्षविराम का श्रेय खुद को दिया था, यह दावा करते हुए कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों पर दबाव डालकर युद्ध रोका।
भारत और पाकिस्तान दोनों ही US trade deals और diplomatic leverage के कारण अब कोई बड़ा कदम नहीं उठाना चाहते।
पाकिस्तान में भी धमाका — उधर से आया India पर आरोप
दिल्ली ब्लास्ट के अगले ही दिन पाकिस्तान की राजधानी Islamabad में भी एक suicide bombing हुई, जिसमें 12 लोगों की मौत और 30 घायल हुए।
पाकिस्तान के PM Shehbaz Sharif ने तुरंत भारत को जिम्मेदार ठहराया, कहते हुए —
“दोनों हमले भारत की state terrorism की मिसाल हैं।”
हालांकि पाकिस्तान ने कोई सबूत नहीं दिया, और भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
उधर पाकिस्तान-तालिबान और अफगानिस्तान के बीच भी हाल ही में border clashes हुए हैं, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है। विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान इन सब घटनाओं के लिए भारत को scapegoat बनाना चाहता है।
Intelligence Gaps और Future Strategy
Harsh Pant का मानना है कि मोदी सरकार की “no tolerance doctrine” के बावजूद भारत अभी संयम दिखा रहा है क्योंकि यह ब्लास्ट शायद premeditated terror plan नहीं था।
“संभव है कि यह blast किसी भागने के दौरान हुआ accidental explosion हो, न कि बड़ा आतंकी षड्यंत्र,” उन्होंने कहा।
फिर भी भारत ने जम्मू-कश्मीर में कई लोगों को हिरासत में लिया है और DNA tests से blast के mastermind की पहचान की जा रही है। इस घटना ने एक बार फिर यह दिखाया है कि India’s internal security को लगातार सुधार की जरूरत है — और जल्दबाजी में किसी देश को दोष देने से पहले सटीक तथ्यों पर ध्यान देना आवश्यक है।
दिल्ली ब्लास्ट ने भारत की सुरक्षा, कूटनीति और राजनीतिक बयानबाजी — तीनों पर बड़ा सवाल खड़ा किया है।
एक ओर देश “zero tolerance against terror” की नीति पर कायम है, वहीं दूसरी ओर उसे यह भी समझ आ गया है कि हर आरोप एक नई जंग की शुरुआत कर सकता है। इसलिए इस बार भारत ने वही रास्ता चुना है जो एक परिपक्व राष्ट्र अपनाता है — evidence first, accusation later। शायद यही वजह है कि दिल्ली धमाके के बाद भारत की चुप्पी, उसकी कमजोरी नहीं बल्कि उसकी strategic maturity का संकेत है।
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