बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची विवाद ने तूल पकड़ लिया है। आरजेडी ने चुनाव आयोग पर बड़ा आरोप लगाते हुए एक मतदाता सूची का वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया है, जिसमें मधु कुमारी नाम की महिला का पति का नाम ‘हसबैंड-हसबैंड’ और माता का नाम ‘इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया’ दर्ज दिखाया गया है। आरजेडी का दावा है कि यह चुनाव आयोग की लापरवाही और खामियों का बड़ा सबूत है।
‘NRC का बैकडोर’, वोटबंदी का आरोप
आरजेडी की मीडिया सेल ने इस वीडियो को शेयर करते हुए SIR प्रक्रिया को ‘वोटिंग अधिकारों की डकैती’ और ‘NRC का बैकडोर’ करार दिया। तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि गरीब, दलित, पिछड़े और प्रवासी मजदूरों के नाम जानबूझकर काटे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी विधानसभा सीट से मात्र 1% वोटर भी हटे, तो नतीजे बदल सकते हैं।
चुनाव आयोग का तर्क और आंकड़े
चुनाव आयोग के अनुसार, 24 जून 2025 से शुरू हुई इस विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया का मकसद मतदाता सूची को शुद्ध करना है। अब तक 61–64 लाख नाम हटाए जा चुके हैं, जिनमें 18 लाख मृत और 26 लाख पलायन कर चुके लोग शामिल हैं। आयोग ने 11 दस्तावेजों की सूची जारी की है, जिसमें आधार और राशन कार्ड शामिल न होने पर विपक्ष सवाल उठा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में भी गूंजा विवाद
इस विवाद को लेकर आरजेडी, कांग्रेस, टीएमसी, एआईएमआईएम और INDIA गठबंधन के अन्य दल सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं। अदालत ने अंतरिम रोक से इनकार किया है, लेकिन आधार व राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को शामिल करने की सलाह दी है। अब सवाल यह है कि आरजेडी का पेश किया गया यह मामला ‘सुतली बम’ साबित होगा या फिर सचमुच का ‘एटम बम’?