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March 18, 2025

ज्ञान भारतम मिशन की होगी शुरुआत, Manuscripts का होगा संरक्षण

Gyaan Bharatam Mission: भारत की समृद्ध सांस्कृतिक खजाने में अनगिनत पांडुलिपियां (Manuscripts) हैं जो सदियों के ज्ञान, कला, और परंपराओं को समेटे हुए हैं। इस अमूल्य विरासत को सुरक्षित रखने की अनिवार्यता को समझते हुए इस बार केंद्रीय बजट 2025-26 में ‘ज्ञान भारतम मिशन’ की घोषणा की गई, जिसके तहत एक करोड़ पांडुलिपियों ( Manuscripts) को संरक्षित और दस्तावेजित (Documentation) किया जाएगा। केंद्रीय बजट 2025-26 में ‘ज्ञान भारतम मिशन’ की शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य भारत की विशाल पाण्डुलिपि विरासत का सर्वेक्षण, दस्तावेज़ीकरण और संरक्षण करना है। इस पहल का उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों, संग्रहालयों, पुस्तकालयों और निजी संग्रहों में रखी एक करोड़ से अधिक Manuscripts को संरक्षित करना है। इस नई पहल को समायोजित करने के लिये, राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (National Manuscript Mission) NMM के लिये बजट आवंटन 3.5 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 60 करोड़ रुपए कर दिया गया है।

राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन-National Manuscripts Mission

केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय कुछ समय से राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन को पुनर्जीवित और फिर से शुरू करने पर विचार कर रहा था। इसीलिए NMM को वर्ष 2003 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के अंतर्गत संस्कृति मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था। हालांकि इसकी स्थापना 2003 में हुई थी, लेकिन तब इसे उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली और ये आगे नहीं बढ़ पाया। इसका उद्देश्य भारत की विशाल पाण्डुलिपि विरासत को संरक्षित करना और उसे सुलभ बनाना है। IGNCA की स्थापना वर्ष 1987 में अनुसंधान, शैक्षणिक अनुसंधान और कला के प्रसार के लिये एक स्वायत्त संस्थान के रूप में की गई थी।

Gyaan Bharatam Mission –

ज्ञान भरतं मिशन NMM शैक्षणिक संस्थानों, संग्रहालयों, पुस्तकालयों और निजी संग्रहकर्ताओं के पास मौजूद भारत की पांडुलिपि विरासत के सर्वेक्षण, दस्तावेजीकरण और संरक्षण के लिए एक विशेष मिशन है। इसका उद्देश्य एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों को कवर करना है ताकि उन्हे भविष्य के लिए संरक्षित किया जा सके। ज्ञान भारतम मिशन का एक प्रमुख घटक, भारतीय ज्ञान प्रणाली का राष्ट्रीय डिजिटल भंडार है। NMM ज्ञान साझा करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा और यह भंडार भारत के पारंपरिक ज्ञान को डिजिटल और केंद्रीयकृत करने में मदद करेगा। NMM दुनिया भर के शोधकर्ताओं, छात्रों और संस्थानों के लिए सुलभ होगा ताकि उन्हे अपनी सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि को पढ़ने, जानने और समझने का अवसर मिले।

पाण्डुलिपि (Manuscript) क्या है

पाण्डुलिपि या Manuscript कागज, छाल, कपड़े, धातु, ताड़ के पत्ते या किसी अन्य सामग्री पर कम से कम पचहत्तर वर्ष पुरानी हस्तलिखित रचना होती है जिसका महत्वपूर्ण वैज्ञानिक, ऐतिहासिक या सौंदर्यात्मक मूल्य होता है।। पांडुलिपियां सैकड़ों विभिन्न भाषाओं और लिपियों में पाई जाती हैं। अक्सर एक भाषा को कई अलग-अलग लिपियों में लिखा जाता है। उदाहरण के लिए, संस्कृत को उड़िया लिपि, ग्रंथ लिपि, देवनागरी लिपि और कई अन्य लिपियों में लिखा जाता है। पांडुलिपियां ऐतिहासिक अभिलेखों से भिन्न होती हैं, जैसे चट्टानों पर उत्कीर्ण शिलालेख, फ़रमान और राजस्व अभिलेख , जो इतिहास में घटनाओं या प्रक्रियाओं के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी प्रदान करते हैं। इन पाण्डुलिपियों में ज्ञान की सामग्री होती है जो हमारी सदियों पुरानी सांस्कृतिक धरोहर का लिखित प्रमाण होती है। सबसे प्रसिद्ध भारतीय पांडुलिपियों में से एक ‘Bakhshali Manuscript’ है तीसरी या चौथी शताब्दी में लिखी गई थी। Birch की छाल पर लिखा गया यह प्राचीन गणितीय पाठ, शून्य के उपयोग का पहला दर्ज़ उदाहरण माना जाता है। Manuscripts में इतिहास, धर्म, साहित्य, ज्योतिष और पारंपरिक कृषि समेत कई तरह के विषय शामिल हो सकते हैं। भारत में 80 से अधिक प्राचीन लिपियों में लिखी गई तकरीबन 1 करोड़ पांडुलिपियां हैं जिनमे से 75 प्रतिशत संस्कृत में और 25 प्रतिशत बाकी अन्य भाषाओं में लिखी गई हैं।

Asiatic Society Of Bengal

15 जनवरी 1784 को Sir Viliam Jones द्वारा स्थापित यह संस्था पांडुलिपि संरक्षण में अग्रणी है। ये संस्था प्राचीन Manuscripts को सक्रिय रूप से Digital बनाती है। Kolkata स्थित भारत का राष्ट्रीय पुस्तकालय 3,600 दुरलब और ऐतिहासिक पांडुलिपियों को सहेजे हुए है।

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