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June 6, 2025

NEET के छात्र ने पिता की रिवॉल्वर से की ख़ुदकुशी, परीक्षा परिणाम से था नाखुश 

ग्वालियर में NEET की आंसर शीट में कम नंबर देखकर स्टूडेंट ने खुद को गोली मार ली। फायरिंग की आवाज सुनते ही परिजन दौड़कर कमरे में पहुंचे। उसे तुरंत अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया।

NEET में कम आए थे अंक

NEET Student Suicide: घटना ग्वालियर के शताब्दीपुरम इलाके में मंगलवार रात करीब 8 बजे की है। मृतक की पहचान 18 वर्षीय निखिल प्रताप राठौर के रूप में हुई है। उसके पिता बृजभान सिंह राठौर सेना से रिटायर्ड हैं और परिवार समेत शताब्दीपुरम में रहते हैं। मंगलवार को जब NEET की आंसर-शीट जारी हुई तो माता-पिता ने उससे नंबर पूछे। NEET की आंसर शीट में कम नंबर देखकर स्टूडेंट ने खुद को गोली मार ली। गोली चलने की आवाज सुनते ही परिजन दौड़कर कमरे में पहुंचे जहां निखिल लहूलुहान हालत में पड़ा मिला । परीजन उसे तुरंत अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने प्रथम जांच में ही उसे घोषित कर दिया।
महाराजपुरा पुलिस ने पिस्टल जब्त करके जांच शुरू कर दी है। निखिल, जो पिछले दो वर्षों से NEET परीक्षा की तैयारी कर रहा था, ने उत्तर कुंजी से अपने अपेक्षा से कम अंकों को देखकर गहरे तनाव में आकर अपने पिता की लाइसेंसी पिस्तौल से खुद को गोली मार ली। पुलिस के अनुसार, निखिल के पिता ने जब उससे उसके अंकों के बारे में पूछा, तो वह चुप रहा और अपने कमरे में चला गया, जहां उसने यह कदम उठाया। परिवार ने उसे खून से लथपथ पाया और तुरंत अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया ।

पिता खुद छोड़ते थे कोचिंग

परिजन ने बताया- निखिल पढ़ाई को लेकर बेहद गंभीर था। पिता खुद उसे कोचिंग तक छोड़ने जाते थे। निखिल का बड़ा भाई बीटेक का छात्र है। सीएसपी नागेंद्र सिंह सिकरवार ने कहा- छात्र रिजल्ट के कारण तनाव में था। फिर भी हर एंगल से जांच की जा रही है।

बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बिगाड़ रहीं NEET JEE जैसी परीक्षाएं

NEET Student Suicide: यह दुखद घटना परीक्षा के तनाव और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को उजागर करती है। NEET-JEE जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं का दबाव बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है, विशेषकर जब वे अपेक्षित परिणाम नहीं प्राप्त कर पाते। हाल के वर्षों में कई प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में बेहतर या उम्मीद के अनुरूप परिणाम हासिल न करवाने के चलते कई परीक्षार्थियों ने खुदकुशी को गले लगा लिया। परिवार की उम्मीदें, बढ़ता पीयर प्रेशर और बेहतर कैरियर के सपने बचपन पर हावी हो गए है। यह आवश्यक है कि माता-पिता, शिक्षक और समाज मिलकर छात्रों को भावनात्मक समर्थन प्रदान करें और उन्हें यह समझाएं कि एक परीक्षा जीवन का अंत नहीं है। मौके ज़िन्दगी में हर कदम पर मिलेंगे, लेकिन ज़िंदगी दोबारा नहीं मिलेगी!

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