राजस्थान की ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर सांभर एक बार फिर वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर चमक रही है। 27 दिसंबर से 31 दिसंबर तक आयोजित चौथे सांभर फेस्टिवल का भव्य उद्घाटन राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने किया। देश–विदेश से लाखों पर्यटकों की मौजूदगी में यह उत्सव राजस्थान की समृद्ध संस्कृति, लोककला, स्वाद और रोमांचक पर्यटन गतिविधियों का अद्भुत संगम बनकर उभरा है। सर्दियों की छुट्टियों में सांभर फेस्टिवल भारत ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए भी बड़ा आकर्षण बनता जा रहा है।
सांभर फेस्टिवल चौथा संस्करण, बढ़ता वैश्विक आकर्षण
यह चौथा सांभर फेस्टिवल है और इससे पहले आयोजित तीनों संस्करणों को जबरदस्त सफलता मिली थी। हर वर्ष इसकी लोकप्रियता में निरंतर वृद्धि हो रही है। राजस्थान पर्यटन विभाग के सहयोग से आयोजित यह महोत्सव अब सिर्फ एक स्थानीय आयोजन नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का पर्यटन उत्सव बन चुका है। उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने उद्घाटन के दौरान कहा कि सांभर फेस्टिवल राज्य की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर स्थापित करने का सशक्त माध्यम है और इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है।
संस्कृति और स्वाद का उत्सव
राजस्थानी खानपान व लोककला
सांभर फेस्टिवल में राजस्थानी खानपान पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। दाल-बाटी-चूरमा, गट्टे की सब्ज़ी, केर-सांगरी और मिठाइयों के साथ-साथ सांभर की प्रसिद्ध फेणी (फिनी) देशी-विदेशी मेहमानों को खासा पसंद आ रही है।
इसके साथ ही राजस्थानी लोक नृत्य, कालबेलिया, घूमर और पारंपरिक लोक संगीत की प्रस्तुतियाँ उत्सव में चार चाँद लगा रही हैं। कलाकारों के साथ पर्यटक भी लोकगीतों पर थिरकते नजर आ रहे हैं, जिससे फेस्टिवल का माहौल पूरी तरह जीवंत और रंगीन हो उठा है।
रोमांच की नई ऊँचाइयाँ एडवेंचर एक्टिविटीज़ का अनोखा अनुभव
सांभर फेस्टिवल में इस बार एडवेंचर टूरिज्म को विशेष स्थान दिया गया है।
हॉट एयर बैलून, पैरा मोटरिंग, पैरा ग्लाइडिंग, पैरा सेलिंग और स्मॉल एटीवी राइड जैसी रोमांचक गतिविधियों का आनंद हजारों लोगों ने लिया। ऊपर से सांभर झील और फेस्टिवल का नज़ारा देखना पर्यटकों के लिए यादगार अनुभव बन गया। रोमांच प्रेमियों के लिए यह फेस्टिवल किसी स्वप्नलोक से कम नहीं है।
पारंपरिक पर्यटन घुड़सवारी, कैमल सफारी और बच्चों का मनोरंजन
फेस्टिवल में घुड़सवारी और कैमल सफारी ने पारंपरिक राजस्थान की झलक दिखाई। दूर-दराज से आए पर्यटकों ने रेगिस्तानी संस्कृति को करीब से महसूस किया।
बच्चों के लिए विशेष मनोरंजन ज़ोन, झूले और गतिविधियाँ रखी गई हैं, जो परिवारों के लिए इस आयोजन को और भी खास बनाती हैं। यह फेस्टिवल हर आयु वर्ग के पर्यटकों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
प्रकृति का जादू सनसेट और फ्लेमिंगो ने मोहा मन
सांभर झील का सूर्यास्त और प्रवासी फ्लेमिंगो पक्षियों का नज़ारा पर्यटकों को रोमांचित कर रहा है। कैमरों में कैद होते ये दृश्य सोशल मीडिया पर भी अंतरराष्ट्रीय पहचान बना रहे हैं। सर्दियों की छुट्टियों में देश के कोने-कोने से लोग सांभर पहुंच रहे हैं, जिससे होटल, स्थानीय व्यवसाय और पर्यटन से जुड़े लोगों को बड़ा लाभ मिल रहा है।
सांभर फेस्टिवल अब केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि लोकल संस्कृति, पर्यटन और एडवेंचर का अनोखा अंतरराष्ट्रीय संगम बन चुका है। 31 दिसंबर तक चलने वाला यह महोत्सव राजस्थान को विश्व पर्यटन मानचित्र पर और अधिक मजबूती से स्थापित कर रहा है।
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Sanjay Malakar is a social worker and filmmaker who has dedicated his life to rural development. Through grassroots initiatives and powerful storytelling, he works to amplify rural voices and drive sustainable social change.

