पत्रा चाल के निवासियों के आलीशान घरों का सपना जल्द होगा पूरा होने वाला है। पत्रा चाल के लोगों के लिए म्हाडा ने ऐसे घर बनाए है जिसके सामने प्राइवेट बिल्डर भी फेल है। 16 सालों के लंबे इंतज़ार के बाद अब पत्रा चाल के निवासियों को उनके हक़ का आशियाना मिलने जा रहा है। हम आपको बता दें कि गोरेगांव-पश्चिम स्थित सिद्धार्थनगर यानी पत्राचाल के मूल किरायेदारों के लिए पुनर्वसित इमारतों का कार्य पूरा हो गया है। ऐसे में अब MHADA ने अब इन पुनर्वसित इमारतों के 672 घरों के वितरण का निर्णय म्हाडा के मुंबई मंडल ने लिया है।
महज दो साल में म्हाडा ने खड़ा कर दिया सपनों का आशियाना
गौरतलब है कि पत्राचाल के 672 घर 2008 में खाली कर तोड़े गए थे और पुनर्विकास शुरू किया गया, लेकिन पुनर्विकास शुरू होने के कुछ सालों में ही इस परियोजना में बड़ा आर्थिक घोटाला साबित हुआ और यह परियोजना विवादों में फंस गई। इसके बाद डेवलपर के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए यह परियोजना उससे छीनकर MHADA को सौंप दी गई। म्हाडा ने 2022 में मूल किराएदारों के लिए 16 पुनर्वसित इमारतों का निर्माण कार्य शुरू कर अब इसे पूरा कर लिया है। जिसे OC मिलने के बाद से इन घरों के वितरण का रास्ता साफ हो गया है। (MHADA Lottery Latest News)
बड़ा एरिया, अच्छी एमिनिटीज का म्हाडा ने रखा है ख्याल
म्हाडा ने पत्राचाल के लोगों के सुख सुविधाओं का ख्याल भी बखूबी रखा है। एमिनिटीज की बात करें तो घर बड़े हैं, 2.5 बीएचके का एक फ्लैट है जिसका कारपेट एरिया 650 स्क्वायर फीट का है और 117 स्क्वायर फीट की बालकनी भी दी गई है। हर एक घर को एक पार्किंग भी दिया गया है। पूरे काम्प्लेक्स में 16 विंग बनाए गए हैं। अन्य एमिनिटीज (Amenities in MHADA Flat) की बात करें तो दो कम्युनिटी हाल, एक बच्चों के लिए प्ले एरिया और इसके अलावा गार्डन एरिया भी बनाया गया है।
पर्यावरण पूरक होता है MHADA Project – संजीव जायसवाल, वीपी व सीईओ, म्हाडा
MHADA VP and CEO Sanjeev Jaiswal ने यहां के रहवासियों के फिटनेस का भी बहुत बखूबी ध्यान दिया है। कॉम्प्लेक्स में एक फिटनेस सेंटर और एक मेडिटेशन सेंटर भी बनाए गए हैं। म्हाडा अब जहां भी कंस्ट्रक्शन करती है उसका ध्येय होता कि वह पर्यावरण पूरक हो ऐसे में रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंक के साथ-साथ एसटीपी प्लांट भी बनाया गया है। ये STP Plant in MHADA Building घरों से निकलने वाले सीवेज पानी को ट्रीट करके फ्लश में दुबारा इस्तेमाल भी करेगी। इससे भरी मात्रा में पानी की भी बचत होगी।