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November 28, 2025

ग़ाज़ा: युद्धविराम के बावजूद हिंसा जारी, महिलाओं पर बढ़ा संकट परिवारों का अन्तिम सहारा बनीं महिलाएँ, हालात अब भी बेहद भयावह

The CSR Journal Magazine
ग़ाज़ा में युद्धविराम की घोषणा को महीनों बीत चुके हैं, मगर ज़मीनी हालात अब भी बेहद चिंताजनक हैं। संयुक्त राष्ट्र की महिला कल्याण एजेंसी UN Women ने चेतावनी दी है कि लगातार जारी हिंसा, संसाधनों की कमी और तबाही के बीच, महिलाएँ अपने परिवारों को ज़िंदा रखने के लिए अंतिम उम्मीद बन गई हैं।
यूएन वीमैन की मानवीय कार्रवाइयों की प्रमुख सोफ़िया कैलटॉर्प ने हालिया ग़ाज़ा यात्रा के बाद बताया कि “हमलों की संख्या भले घटी हो, लेकिन हिंसा और हत्याएँ अभी भी बंद नहीं हुई हैं.” उन्होंने कहा कि युद्धविराम का मतलब यह नहीं कि युद्ध का दर्द खत्म हो गया है।

महिलाओं की जद्दोजहद

कैलटॉर्प ने कहा कि आज ग़ाज़ा में एक महिला होने का मतलब है भूख, डर और सदमे के बीच जीना। महिलाएँ बच्चों को गोलियों, बीमारी और ठंड से बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। ग़ाज़ा में इस समय 57 हज़ार से अधिक महिलाएँ अपने परिवार का पूरा बोझ अकेले उठा रही हैं।
उन्होंने बताया कि कई महिलाएँ पानी में भीगे तंबुओं में रह रही हैं, जहाँ बच्चे ठंड से कांपते हुए रात बिताते हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि कई परिवार भोजन के एक छोटे हिस्से के लिए भी घंटों इंतज़ार करने को मजबूर हैं।

भोजन की भारी कमी

युद्ध से पहले के मुकाबले ग़ाज़ा में food prices चार गुना तक बढ़ गई हैं। एक अंडे की कीमत भी कई जगह दो डॉलर तक पहुँच गई है। बिना किसी आमदनी के जीवन बिताने वाली महिलाओं के लिए भोजन जुटाना लगभग असंभव होता जा रहा है।
कैलटॉर्प ने एक ऐसी महिला का ज़िक्र किया, जिसे युद्ध शुरू होने के बाद से 35 बार विस्थापन झेलना पड़ा है। इसके अलावा लगभग 12 हज़ार महिलाएँ और लड़कियाँ युद्धजनित गंभीर अपंगताओं के साथ जीने को मजबूर हैं।

मानवीय सहायता ही जीवनरेखा

यूएन वीमैन ने ज़ोर दिया कि ग़ाज़ा की महिलाओं के लिए स्थायी युद्धविराम और निरंतर मानवीय सहायता बेहद ज़रूरी है। भोजन, स्वच्छ पानी, दवाइयों और सुरक्षित आश्रय तक पहुँच सुनिश्चित करना सबसे बड़ा मानवीय दायित्व है।
साथ ही, युद्ध के सदमे से उबरने के लिए psychosocial support की व्यवस्था भी अनिवार्य है।
कैलटॉर्प ने कहा, “ग़ाज़ा की महिलाएँ काम करना चाहती हैं, नेतृत्व करना चाहती हैं और अपने हाथों से अपने शहर को फिर से बसाना चाहती हैं। किसी भी महिला या लड़की को सिर्फ़ जीवित रहने के लिए इतना संघर्ष नहीं करना चाहिए।”
उन्होंने स्पष्ट कहा कि ग़ाज़ा में मानवीय सहायता की आपूर्ति को सुरक्षित बनाया जाना चाहिए और हिंसा पर तत्काल रोक लगनी होगी।
ग़ाज़ा की महिलाओं की यह जद्दोजहद दुनिया को बताती है कि युद्ध चाहे धीमा पड़े, लेकिन उसका दर्द और असर लंबे समय तक बना रहता है।
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