ग़ाज़ा में युद्धविराम की घोषणा को महीनों बीत चुके हैं, मगर ज़मीनी हालात अब भी बेहद चिंताजनक हैं। संयुक्त राष्ट्र की महिला कल्याण एजेंसी UN Women ने चेतावनी दी है कि लगातार जारी हिंसा, संसाधनों की कमी और तबाही के बीच, महिलाएँ अपने परिवारों को ज़िंदा रखने के लिए अंतिम उम्मीद बन गई हैं।
यूएन वीमैन की मानवीय कार्रवाइयों की प्रमुख सोफ़िया कैलटॉर्प ने हालिया ग़ाज़ा यात्रा के बाद बताया कि “हमलों की संख्या भले घटी हो, लेकिन हिंसा और हत्याएँ अभी भी बंद नहीं हुई हैं.” उन्होंने कहा कि युद्धविराम का मतलब यह नहीं कि युद्ध का दर्द खत्म हो गया है।

महिलाओं की जद्दोजहद
कैलटॉर्प ने कहा कि आज ग़ाज़ा में एक महिला होने का मतलब है भूख, डर और सदमे के बीच जीना। महिलाएँ बच्चों को गोलियों, बीमारी और ठंड से बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। ग़ाज़ा में इस समय 57 हज़ार से अधिक महिलाएँ अपने परिवार का पूरा बोझ अकेले उठा रही हैं।
उन्होंने बताया कि कई महिलाएँ पानी में भीगे तंबुओं में रह रही हैं, जहाँ बच्चे ठंड से कांपते हुए रात बिताते हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि कई परिवार भोजन के एक छोटे हिस्से के लिए भी घंटों इंतज़ार करने को मजबूर हैं।


