Thecsrjournal App Store
Thecsrjournal Google Play Store
March 9, 2025

भारत की पहली महिला पायलट सरला ठकराल: ट्रैनिंग के 8 घंटे बाद भरी पहली उड़ान

ट्रेनिंग के 8 घंटे बाद ही आसमान छूने निकल पड़ी थीं Sarla Thukral, कुछ ऐसी है भारत की पहली महिला पायलट की कहानी
क्‍या आपको पता है कि विश्‍व में सबसे ज्‍यादा महिला पायलट किस देश में हैं। अगर नहीं तो बता दें कि भारत किसी भी अन्य देश की तुलना में महिला पायलटों के अनुपात में सबसे ऊपर है। यहां के आसमान में महिलाएं राज करती हैं। इस समय Indian Airlines कंपनियों में करीब 12.4% महिला पायलट हैं, जो विश्व में औसत 5.4% से काफी अधिक है। देश की महिलाओं को आसमान में उड़ने के लिए पंख दिए थे भारत की पहली महिला पायलट Sarla Thukral ने! इन्‍होंने अपनी पहली सोलो फ्लाइट साड़ी पहनकर उड़ाई थी। पायलट ट्रेनिंग के लिए Sarla का दाखिला उनके ससुर ने जोधपुर फ्लाइंग क्‍लब में करवाया। जिस फ्लाइंग क्‍लब ने आज से पहले कोई लड़की नहीं देखी थी, आज वहां एक महिला साड़ी पहनकर प्लेन चलाना सीखने आई थी! Sarla Thukral को हैरान नज़रों से देखने वाले तब ये नहीं जानते थे कि साड़ी में लिपटी ये महिला एक दिन इतिहास में अपना नाम दर्ज़ करवा लेगी।

Sarla Thukral का जीवन परिचय

Sarla Thukral का जन्‍म 8 अगस्‍त 1914 को दिल्ली के एक नामी परिवार में हुआ था। सरला की शादी महज 16 साल की उम्र में पायलट D P Sharma के साथ हो गई थी। सरला को लोग प्यार से मति कहते थे। सरला की शादी जिस परिवार में हुई थी उस परिवार के सभी 9 सदस्य पायलट थे। शादी के बाद P D Sharma ने सरला में उड़ान भरने और विमानों के बारे में जानने की जिज्ञासा देखकर उन्हे पायलट बनने के लिए कहा। Sarla के लिए ये बात हैरान करने वाली थी,क्यूंकि 1914 में घर की चारदीवारी ही एक स्त्री का आसमान थी। शुरुआत में तो समाज के डर से सरला ने कई बार मना किया, पर आखिर में उनके पति ने उन्हें मना ही लिया। इतना ही नहीं, सरला के परिवार में बाकी सब भी खुश थे कि वो पायलट बनने के लिए तैयार हैं।

1936 में पहली बार उड़ाया Gypsy Moth Plane

पायलट ट्रेनिंग के लिए सरला का दाखिला उनके ससुर ने Jodhpur Flying Club में करवाया। इस फ्लाइंग क्‍लब ने आज से पहले कोई लड़की नहीं देखी थी आज वहां एक महिला साड़ी पहनकर प्लेन चलाना सीखने आई थी। फ्लाइंग स्कूल के लिए ये एक बहुत ही अलग स्थिति थी। Plane को किताबों के पन्नों पर देखने वाली Sarla का वास्तविक रूप से Plane से  आमना सामना यहीं हुआ। सरला की रूचि अपने काम के प्रति इतनी अधिक थी कि हर सवाल का जवाब उनकी ज़ुबान पर था। सरला की इस हाजिर जवाबी को उनके ट्रेनर ने देखा और महज़ 8 घंटे के अंदर ही उन्हें सरला की काबिलियत पर विश्वास हो गया। सरला ने Jodhpur Flying Club में ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग के दौरान, पहली बार उन्होंने साल 1936 में Lahaur में, Gypsy Moth नाम का दो सीटर विमान उड़ाया। इस दौरान उन्होंने भारतीय परंपरा का मान रखते हुए साड़ी पहनकर अपनी पहली सोलो फ्लाइट में उड़ान भरी थी। उस दिन सरला ने न सिर्फ अपना फ्लाइंग टेस्ट पास किया, बल्कि उन्होंने सोच लिया कि वो इसे और आगे तक ले जाएंगी। जब सरला ने अपनी पहली उड़ान भरी, तो वह न सिर्फ शादीशुदा थी, बल्कि एक 4 साल की बेटी की मां भी थीं।

इस तरह बनीं पहली महिला पायलट (First Indian Woman Pilot Sarla Thukral)

फ्लाइंग टेस्ट पास करने के बाद सरला अंदर से पायलट बनने के लिए तैयार हो चुकी थीं। सरला को अपना पहला ‘A’ लाइसेंस हासिल करने के लिए करीब 1000 घंटे तक प्लेन उड़ाने का अनुभव करना था। वह उस समय महज 21 साल की ही थीं, जब उन्होंने ये कारनामा करके दिखाया और ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला बनीं। पहला लाइसेंस मिलने के सरला ने Commercial Pilot का लाइसेंस लेने का प्‍लान बनाया। इसके लिए उन्होंने जोधपुर में टेस्ट देना था, लेकिन इससे पहले ही उन्हें खबर मिली की एक प्लेन हादसे में उनके पति की मौत हो गयी है। ये सदमा उनके लिए बहुत बड़ा था, मगर उनके पति की इच्छा थी कि सरला एक पायलट बनें। इसलिए Sarla ने जोधपुर जाकर अपनी ट्रेनिंग पूरी की। उन्होंने अपना लाइसेंस भी हासिल कर लिया और सोचा कि एयरलाइन्स में अपना करियर शुरू करें। मगर उससे पहले ही दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया, जिसके कारण सरला को जोधपुर से लाहौर वापस आना पड़ा।

शुरू किया दूसरा करियर

इन विपरीत परिस्थितियों में भी सरला ठकराल ने हार नहीं मानी। उन्होंने लाहौर के Mayo School Of Arts (अब National College Of Arts) से फाइन आर्ट्स और चित्रकला की पढ़ाई पूरी की। फाइन आर्ट्स और चित्रकला का अध्ययन करने के बाद उन्होंने पेंटिंग और डिजाइनिंग से अपने नए करियर की शुरुआत की। महिलाओं के बीच उनके बनाए डिज़ाइन काफी प्रसिद्ध भी हुए। दूसरे विश्व युद्ध के बाद जैसे ही उन्हें लगा कि उनका बिजनेस सही से चल पड़ा है,  उससे पहले ही देश का बंटवारा हो गया। लाहौर अब पाकिस्तान का हिस्सा बन चुका था, जिसके कारण उन्‍हें अपनी दोनों बच्चियों के साथ भारत वापस आना पड़ा। यहां पर उन्होंने परिवार के लिए अपना बिजनेस फिर से खड़ा किया। Vijay Lakshmi Pandit जैसी महिलाओं को उनके बनाए डिजाइन काफी पसंद आए। कई सालों तक सरला इसी तरह से अपना बिजनेस चलाती रहीं और अंततः 15 मार्च 2008 को उनका निधन हो गया। देश के बंटवारे के कारण Sarla Thukral भले ही आसमान में अपनी उड़ान देर तक नहीं भर पाईं, लेकिन चारदीवारी में दम तोड़ते हजारों पंखों को उड़ान भरने की ताकत वे दे गईं।

Latest News

Popular Videos