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किसान दिवस – प्रेरित करती है किसान समृद्धि की ये कहानी

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किसान ये शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में एक छवि सी बन जाती है। छवि मज़बूरी की, छवि गरीबी की। किसानों की तस्वीर हम हमेशा से ही ऐसे देखते आये है। किसान अपने खेत में हल जोत रहा है और माथे पर हाथ लगाए आसमान की तरफ देखकर काले बादल का इंतज़ार कर रहा है। फसलें बर्बाद हो गयी है। जो किसान देश का अन्नदाता कहलाता है, वही अन्न के एक एक दाने के लिए मोहताज हो रहा है। उसकी माली हालत बद से बदतर हो रही है। यही सब कुछ हम देखते आये है। किसानों पर देश की राजनीतिक पार्टियां भी यही दिखाना चाहती है। राजनीति किसान के मुद्दे पर आज शुरू हो रही है और किसान पर ही खत्म।रही कसर देश की मीडिया ने पूरा कर दिया है। ऐसा नहीं है कि हर किसान समृद्ध है लेकिन ये भी सच्चाई है कि हर किसान बदहाल नहीं है। तो आईये किसान दिवस (Kisan Diwas – Farmers Day) पर देखते है ऐसे किसान की कहानी जो केले की खेती कर बन रहें हैं लखपति।

यूपी के बरेली में ये किसान केले की खेती से कमाते है लाखों रुपये

अरविंद गंगवार, धर्मेंद्र सहाय, वीरेंद्र कुमार ये फ़ेहरिस्त लंबी है, ये किसान है, बरेली के, लेकिन इनकी ख्याति पूरे उत्तर प्रदेश में है। कहते है कि अगर इंसान के अंदर जोश और जज्बा हो तो वह न सिर्फ अपनी मंजिल हासिल करता है। बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा का श्रोत भी बन जाता है। ऐसे ही प्रेरणा के श्रोत बने हैं ये किसान। इन किसानों ने पारंपरिक खेती को छोड़ कर खेती की ऐसी तरकीब निकाली कि ये अब सभी लखपति बन गए हैं। अरविंद गंगवार, धर्मेंद्र सहाय आपस में चाचा-भतीजे हैं और हम उम्र है। एमएससी की पढ़ाई करने के बाद खेती का ऐसा जुनून सवार हुआ कि लीक से हटकर वे केले की खेती में उतरे और लाखों की कमाई करके युवाओं के लिए प्रेरणा श्रोत बन गए। इन दोनों से सीखते हुए वीरेंद्र कुमार ने भी केले की खेती करना शुरू कर दिए है।

पारंपरिक खेती छोड़ अपनायी अत्याधुनिक खेती

मूल रूप से बरेली के शीशगढ़ इलाके के रहने वाले अरविंद गंगवार व उनके चाचा धमेंद्र सहाय कुछ साल पहले महाराष्ट्र गए थे। वहां केले की खेती देखकर मन में नौकरी-चाकरी या पारंपरिक खेती की बजाय केले की खेती करने के लिए मन बनाया। महाराष्ट्र में जब केले की खेती करने वाले किसानों की समृद्धि देखी तो उनका विचार ही बदल गया। वापस आकर गांव में 25 एकड़ जमीन में केले का बाग लगाया। आज खेती उनका पैशन बन गया है। वे आस-पास के करीब 150 लोगों को इसके माध्यम से रोज़गार भी दे रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में पढ़ाई के बाद नौकरी की दौड़ शुरू होती है लेकिन इन किसानों का खेती की ओर रुझान हो गया। आज उनकी योग्यता खेती के काम आ रही है और आधुनिक तरीके से खेती कर रहे हैं।

कैश क्रॉप में ज्यादा मुनाफा, बदल सकती है किसान की किस्मत

केला की खेती में पानी की अधिक आवश्यकता होती है। एक फीट केले का पौधा लगाया जाता है। 4 से 5 महीने में पौधा करीब 15 फीट ऊंचा हो जाता है। फूल आने के बाद दो महीने में दो मीटर लंबा तक केले का गुच्छा निकलता है। जुलाई से फसल तुड़ाई शुरू होगी। किसानों की मानें तो फसल बहुत अच्छी हुई है और कमाई भी अच्छी होगी। केले की खेती करता देख अब आसपास के किसान भी केले की खेती में अपनी रूचि दिखा रहें हैं। कैश क्रॉप होने की वजह से दूसरे किसान भी अब इन किसानों से प्रेरणा ले रहें हैं। धर्मेंद्र और अरविंद से खेती के टिप्स लेने के लिए देश के उत्तराखंड, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि राज्यों से उन्हें फोन भी आने लगे हैं।

किसान कल्याण के लिए मनाया जा रहा है राष्ट्रीय किसान दिवस

किसानों के कल्याण, उत्थान के लिए सदैव समर्पित पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी की आज जयंती है और देश के समस्त अन्नदाताओं को ये दिवस समर्पित है। इस साल किसान आंदोलन के बीच ‘राष्ट्रीय किसान दिवस’ मनाया जा रहा है। पिछले 28 दिनों से किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार का मानना है कि इन तीनों कानूनों से किसानों को बड़ा फायदा होगा। इससे बिचौलिए खत्म होंगे और किसानों की आय में इजाफा होगा। तो वहीं किसान तीनों कानूनों को खत्म करने की मांग पर अड़े हैं। हर साल 23 दिसंबर को देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन पर ‘राष्ट्रीय किसान दिवस’ मनाया जाता है। चौधरी चरण सिंह के कारण देश में जमींदारी प्रथा खत्म हुई थी। वो देश के जानेमाने किसान नेता थे जिनका राष्‍ट्रीय राजनीति में योगदान अहम है।
बहरहाल किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होगी तब तक देश की प्रगति संभव नहीं है। ऐसे में अब वक़्त आ गया है कि किसानों के मुद्दों को सरकार जल्द सुलझाए और राजनीति ना करते हुए किसानों की हित में काम करे। क्योंकि किसान है तो ही हमारा पेट भर रहा है। जय जवान जय किसान।