Enforcement Directorate (ED) ने क़रीब ₹415.10 करोड़ के “dishonestly” उपार्जित धन का मामला दर्ज किया है, जिसमें Al Falah University के संस्थापक और चेयरपर्सन Jawad Ahmed Siddiqui मुख्य आरोपी हैं। दिल्ली की अदालत ने उन्हें 13 दिनों के लिए ED कस्टडी में भेज दिया है, क्योंकि एजेंसी का कहना है कि उनके पास बहुत बड़े वित्तीय संसाधन हैं और खाड़ी देशों में परिवार होने के कारण वे भारत छोड़ने की कोशिश कर सकते हैं।

ठोस आरोप: झूठा NAAC और UGC accreditation दावों से मिली करोड़ों की फीस
ED की याचिका में कहा गया है कि Siddiqui और Al Falah Charitable Trust ने छात्रों और उनके माता-पिता को यह झूठा दावा करके आकर्षित किया कि यूनिवर्सिटी के पास NAAC accreditation और UGC recognition है। यह misrepresentation उन्हें बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को भर्ती करने में मददगार साबित हुआ, जिससे उन्होंने भारी रकम इकट्ठी की। एजेंसी का आरोप है कि यह पूरा एक fraudulent education business model था, जिसमें यूनिवर्सिटी की प्रतिष्ठा का लाभ उठाकर फंड क्लैम्पिंग की गई।
ED ने यह भी कहा है कि Trust ने इस रूप में ₹415.10 करोड़ को अपराध की कमाई के रूप में कमाया, जिसे उन्होंने व्यक्तिगत हितों, खासकर Siddiqui की निजी ज़रूरतों और lifestyle के लिए diverted कर दिया।

खोखली कमान और सबूतों के साथ छेड़छाड़ का डर
ED का दावा है कि Siddiqui का पूरा control था यूनिवर्सिटी के admissions, accounts, fee records और IT systems पर। इस वजह से उनकी custody में छेड़छाड़ या दस्तावेज़ों को नष्ट करने का खतरा भी एजेंसी ने अदालत को बताया है।
एजेंसी ने कहा है कि अभी तक पूरे ₹415 करोड़ ट्रेल की पहचान नहीं हो पाई है। कई बैंक अकाउंट, बैलेंस शीट के बाहर की संपत्तियाँ, और benami जमा की जांच अभी बाकी है। ED का यह भी कहना है कि Al Falah की शैक्षणिक इकाइयाँ पूरी तरह Siddiqui के नियंत्रण में थीं और केवल एक छोटा हिस्सा ही उसकी धन-उपार्जित राशि का पता चल पाया है।


