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June 14, 2025

सरकारी नौकरियों में Domicile Reservation की मांग जोरों पर, RJD ने किया 100% आरक्षण का वादा, NDA अब भी मौन

जैसे-जैसे Bihar Assembly Election 2025 नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे सरकारी नौकरियों में Domicile Reservation यानी स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षण की मांग चुनावी बहस के केंद्र में आ गई है। यह मांग अब एक जनांदोलन का रूप लेती दिख रही है। 5 जून को पटना में कई छात्र संगठनों ने एकजुट होकर सरकार से स्थानीय युवाओं के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग की।
“वोट दे बिहारी, नौकरी ले बाहरी” आज युवाओं की नाराजगी और हताशा का प्रतीक बन गया है। उनका कहना है कि बिहार के युवाओं की मेहनत के बावजूद दूसरे राज्यों के कैंडिडेट्स नौकरी हथिया रहे हैं। यही कारण है कि यह मुद्दा अब महज रोजगार तक सीमित नहीं, बल्कि राजनीतिक विमर्श का बड़ा मुद्दा बन गया है।

बेरोजगारी और आरक्षण की पृष्ठभूमि

NITI Aayog की ताजा रिपोर्ट के अनुसार बिहार की बेरोजगारी दर 3.9% है, जो कि राष्ट्रीय औसत 3.2% से अधिक है। राज्य में बड़ी संख्या में युवा competitive exams की तैयारी करते हैं, लेकिन सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की कमी और बाहरी उम्मीदवारों की भागीदारी ने उनके आक्रोश को और भड़का दिया है।
बिहार की अर्थव्यवस्था अब भी कृषि-प्रधान है। मार्च 2025 की नीति आयोग रिपोर्ट ‘Macro and Fiscal Landscape of Bihar’ बताती है कि 2022-23 में 49.6% लोग कृषि पर निर्भर थे। केवल 5.7% रोजगार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में है, जो कि भारत में सबसे कम है। Private sector jobs की संख्या भी बेहद सीमित है। ऐसे में सरकारी नौकरियां युवाओं के लिए मुख्य सहारा बनी हुई हैं।

क्या है Domicile Reservation?

Domicile Based Quota यानी ऐसे नियम जिनके तहत किसी राज्य की सरकार केवल स्थानीय निवास प्रमाण पत्र (Domicile Certificate) रखने वाले अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देती है। छात्रों की मांग है कि: प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में 100% सीटें बिहार के निवासियों के लिए आरक्षित हों अन्य सरकारी नौकरियों में 90% आरक्षण दिया जाए केवल Bihar domicile वालों को,

दूसरे राज्यों में क्या स्थिति है?

अन्य कई राज्यों में पहले से Domicile Policy लागू है: उत्तराखंड में Class III और IV की नौकरियां केवल 15 साल से राज्य में रह रहे लोगों के लिए हैं महाराष्ट्र में मराठी भाषा और 15 साल का निवास जरूरी झारखंड ने 2023 में Class III और IV नौकरियों को 1932 के भूमि रिकॉर्ड के आधार पर स्थानीयों के लिए आरक्षित करने का बिल पास किया नागालैंड, अरुणाचल, मेघालय जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में जनजातीय और स्थानीय समुदायों को विशेष संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है

कानूनी अड़चनें और Article 16(2)

हालांकि, Indian Constitution के Article 16(2) के अनुसार, जन्म स्थान या निवास के आधार पर सरकारी नौकरी में भेदभाव नहीं किया जा सकता। Supreme Court ने भी अपने कई निर्णयों में Domicile Quota को खारिज किया है।

सरकारों का रुख: NDA चुप, विपक्ष मुखर

नीतीश कुमार की अगुआई वाली NDA सरकार ने अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। JDU नेता मनीष कुमार वर्मा ने कहा था कि Domicile आधारित नीति संविधान के खिलाफ है और अन्य राज्यों में रह रहे बिहारवासियों पर इसका असर पड़ सकता है।
हालांकि, RJD के नेता तेजस्वी यादव ने इसका खुला समर्थन करते हुए वादा किया है कि यदि उनकी सरकार बनी तो 100% सरकारी नौकरियों में बिहार के युवाओं को आरक्षण दिया जाएगा। जन सुराज पार्टी के प्रशांत किशोर ने भी इस मांग को न्यायसंगत बताया है।

क्या यह चुनावी गेमचेंजर बनेगा?

Domicile Reservation in Bihar Jobs अब न सिर्फ युवाओं की मांग बन चुकी है, बल्कि यह चुनावी समीकरण भी बदल सकता है। बेरोजगारी और पलायन से परेशान युवाओं में यह मुद्दा भावनात्मक और व्यावहारिक दोनों रूपों में गूंज रहा है। NDA सरकार की चुप्पी और विपक्ष की आक्रामकता इस मुद्दे को और गर्माने वाली है।
Bihar Election 2025 में यह मुद्दा Game Changer साबित हो सकता है। आगे देखना होगा कि क्या यह मांग संविधान की सीमाओं को पार कर राजनीतिक हकीकत बन पाएगी?

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