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September 23, 2025

शंकर हाथी की दुखभरी कहानी, बिछड़े साथी और अकेलेपन ने ली जान

The CSR Journal Magazine
दिल्ली के राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (दिल्ली ज़ू) में अफ्रीकी हाथी शंकर की हाल ही में मौत हो गई। यह सिर्फ एक हाथी की मौत नहीं थी, बल्कि उसकी अकेलापन, जुदाई और उपेक्षा की कहानी भी है।

शंकर का सफर: अफ्रीका से दिल्ली तक

शंकर का जन्म साल 1996 में हुआ था। साल 1998 में ज़िम्बाब्वे सरकार ने शंकर को भारत भेजा। इसे तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा को तोहफे के रूप में दिया गया।दिल्ली चिड़ियाघर ने इसे राष्ट्रपति के नाम पर “शंकर” नाम दिया। शंकर के साथ मादा हाथी बोमई भी दिल्ली लाई गई, ताकि शंकर अकेला न रहे। शुरुआत में शंकर और बोमई की जोड़ी सभी की पसंद बन गई।लेकिन साल 2005 में बोमई की बीमारी के कारण उसकी मौत हो गई। इसके बाद शंकर अकेला पड़ गया।

शंकर का अकेलापन और दर्द

बोमई के निधन के बाद शंकर का व्यवहार बदल गया। हाथी सामाजिक जीव होते हैं, झुंड में रहना उनकी आदत होती है, लेकिन शंकर को अकेलेपन का दर्द सहना पड़ा।कई बार वह बेचैन, उदास और तनाव में दिखाई देता था, और कभी-कभी उत्तेजित हो जाता था। शंकर को अक्सर जंजीरों में बांधकर छोटे बाड़े में रखा जाता था।

लंबे समय की कैद और मानसिक असर

शंकर की देखभाल और स्थिति पर कई बार सवाल उठे। बेड़ियों और छोटे बाड़े ने शंकर की मानसिक स्थिति को और बिगाड़ दिया।दिल्ली चिड़ियाघर के एक वरिष्ठ पूर्व कर्मचारी ने बताया कि शंकर का व्यवहार लगातार बदलता जा रहा था, इसके बावजूद जू प्रबंधन उसके लिए साथी जुटाने में नाकाम रहा। उल्टा, उसे एशियाई हाथियों से अलग बाड़े में रखा गया।
साल 2024 से पहले भी शंकर की हालत कई बार खराब हुई, लेकिन इस साल उसके शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर इतना बढ़ गया कि वह खुद को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था। इस दौरान कई बार उसे बाड़े के अंदर जंजीरों में जकड़ना पड़ा। उसकी आक्रामकता और गुस्सा उसके अकेलेपन की वजह से बढ़ता ही गया।

शंकर के मौत से पहले का पल

17 सितंबर 2025 की सुबह तक शंकर सामान्य था और फल-सब्ज़ियाँ खा रहा था।दोपहर में उसकी हालत अचानक बिगड़ी, भूख कम हो गई और दस्त की समस्या हुई। शाम तक उसकी गिरावट बढ़ी और इलाज के दौरान शंकर की मौत हो गई।पोस्टमॉर्टम में मौत का कारण बताया गया  तीव्र हृदय विफलता और दिल में खून का थक्का।29 साल के शंकर की मौत एक्यूट कार्डिएक फेल्यूर यानी दिल का दौरा पड़ने से हुई।

पशु अधिकार संगठनों का आरोप

कई संस्थाओं ने कहा कि शंकर को जंजीरों में बांधना अमानवीय और क्रूरता है। उनका कहना था कि शंकर को साथी हाथी दिया जाना चाहिए था या उसे किसी सफारी पार्क/संरक्षित क्षेत्र में भेजा जाना चाहिए था।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद

WAZA (World Association of Zoos and Aquariums) ने शंकर की स्थिति को लेकर आपत्ति जताई। इसी वजह से दिल्ली ज़ू की सदस्यता निलंबित कर दी गई थी।
29 साल की  उम्र में शंकर की मौत हो गई, लेकिन उसकी कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि चिड़ियाघरों में रहने वाले जानवरों की देखभाल और उनके सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना कितना जरूरी है।
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