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October 27, 2025

Supreme Court का सख्त रुख: आवारा कुत्तों के केस में 3 राज्यों को छोड़ बाकी सब पर कार्रवाई तय

The CSR Journal Magazine
आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या और कोर्ट के आदेशों की अनदेखी पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ा रुख अपनाया। अदालत ने कहा कि जिन्होंने अब तक ‘पशु जन्म नियंत्रण’ (Animal Birth Control – ABC) नियमों के तहत हलफनामा दाखिल नहीं किया है, उनके मुख्य सचिवों को 3 नवंबर 2025 को व्यक्तिगत रूप से सुप्रीम कोर्ट में हाजिर होना होगा।
22 अगस्त को कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण संबंधी प्रगति रिपोर्ट (हलफनामा) जमा करें। मगर तीन महीने बीत जाने के बाद भी ज़्यादातर राज्यों ने ऐसा नहीं किया।

केवल 3 राज्यों ने निभाई जिम्मेदारी

जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन.वी. अंजारिया की पीठ ने पाया कि केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम (MCD) ने ही हलफनामा दाखिल किया है। कोर्ट ने बाकी सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी कर कहा,
“आपके अधिकारी अख़बार या सोशल मीडिया नहीं पढ़ते? जब सब जगह खबर चल रही है, तब भी कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?”सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अगली सुनवाई तक हलफनामा दाखिल नहीं किया गया, तो “हम ऑडिटोरियम में अदालत लगाएंगे ताकि सबको सबक मिले।”

देश की इमेज विदेश में खराब हो रही है

जस्टिस विक्रम नाथ ने सुनवाई के दौरान सख्त शब्दों में कहा तीन महीने बीत गए, फिर भी आदेश का पालन नहीं किया गया। यह न केवल लापरवाही है बल्कि इससे विदेशों में भारत की छवि भी खराब हो रही है।कोर्ट ने कहा कि पशु कल्याण और सार्वजनिक सुरक्षा दोनों ही सरकारों की जिम्मेदारी हैं, और इसे हल्के में लेना देश के लिए शर्मनाक है।

मामला कैसे बढ़ा: दिल्ली-NCR से पूरे देश तक

दरअसल, यह मामला शुरू में दिल्ली-NCR में बढ़ रहे आवारा कुत्तों के हमलों से जुड़ा था। लेकिन 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इसे ‘पैन इंडिया’ केस में बदल दिया।अब देशभर में लागू आदेश के तहत हर राज्य को यह सुनिश्चित करना है कि सभी आवारा कुत्तों की नसबंदी की जाए,उन्हें टीकाकरण के बाद उसी क्षेत्र में छोड़ा जाए,केवल बीमार या हिंसक कुत्तों को ही शेल्टर होम्स में रखा जाए।

पुराने आदेश पर मचा था बवाल

11 अगस्त को कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सभी आवारा कुत्तों को नसबंदी के बाद स्थायी रूप से शेल्टर होम्स में रखा जाए।इस आदेश की कई एनिमल वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन ने आलोचना की थी और इसे “अमानवीय” करार दिया था। याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने 22 अगस्त को अपने ही आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि सिर्फ बीमार या हिंसक कुत्तों को शेल्टर में रखा जाएगा, बाकी को नसबंदी और टीकाकरण के बाद छोड़ा जाए।

अगली सुनवाई 3 नवंबर को तय

अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि 3 नवंबर 2025 को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होना होगा और यह बताना होगा कि हलफनामा क्यों नहीं दाखिल किया गया।अगर वे ऐसा नहीं करते, तो कोर्ट जुर्माना या कड़ी कार्रवाई करने से नहीं हिचकेगा।
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