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May 31, 2025

दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता ने दिखाया निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों के उत्पीड़न पर कड़ा रुख

Delhi News- जब से नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुआ है, Delhi में प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां तक की एक प्राइवेट स्कूल ने बढ़ी फीस न देने पर छात्रों को स्कूल में आने से रोकने के लिए बाउंसर नियुक्त कर लिए। यह मामला दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के अधीन है। वहीं दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार भी इस मामले पर अब बड़ी कार्रवाई करने का मन बना चुकी है। दिल्ली सरकार प्राइवेट स्कूलों की फीस पर लगाम लगाने के लिए अध्यादेश लाने की तैयारी कर रही है। यह अध्यादेश दिल्ली स्कूल शिक्षा विधेयक, 2025 के लिए होगा। इस अध्यादेश के तहत कई कड़े नियमों का प्रावधान होगा जिसका उल्लंघन करने वाले स्कूलों पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। बार-बार उल्लंघन होने पर स्कूल की संपत्ति भी जब्त की जाएगी।

अध्यादेश लाने के पीछे सरकार का उद्देश्य

Delhi News- इस अध्यादेश का उद्देश्य स्कूलों द्वारा फीस में की जाने वाली मनमानी वृद्धि पर लगाम लगाना है। अध्यादेश एक अस्थाई उपाय होगा जिसे दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र में विधेयक पेश करने से पहले लागू किया जाएगा। इस विधेयक में फीस को लेकर सख्त नियम होंगे। नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही, फीस संबंधी शिकायतों के निवारण के लिए विभिन्न समितियों का गठन किया जाएगा।

Delhi विधानसभा सत्र में पास कराना था अधिनियम

Delhi News- पहले इस अधिनियम को दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में पारित करने की योजना थी। यह सत्र 13-14 मई को होने वाला था। लेकिन, यह सत्र नहीं हो पाया। दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि मसौदा विधेयक का उद्देश्य शहर के सभी स्कूलों के लिए फीस को नियंत्रित करने के लिए दिशानिर्देश तय करना है। इसमें फीस बढ़ाने वाले स्कूलों के लिए सख्त प्रावधान होंगे। मसौदे में स्कूल स्तर पर शुल्क विनियमन समिति, जिला शुल्क अपीलीय समिति और शुल्क संरचनाओं की निगरानी और शिकायतों के समाधान के लिए एक संशोधन समिति की स्थापना की वकालत की गई है।
Delhi News-राज्य विधानसभा में, अध्यादेश एक कानून होता है। यह तब जारी किया जाता है जब विधायिका सत्र में नहीं होती है। राज्य विधायिका के पास यह अधिकार होता है कि वह अध्यादेश को स्वीकार करे, अस्वीकार करे या उसमें बदलाव करे। दिल्ली सरकार के सूत्रों के अनुसार, इस संबंध में एक प्रस्ताव पहले ही कानून विभाग को भेजा जा चुका है। सूत्रों ने बताया कि अध्यादेश एक सीमित समय के लिए लागू रहेगा। इसके बाद विधेयक को दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र में लाया जाएगा।

जांच में कई उच्च अधिकारी और अभिभावक शामिल

Delhi News- जिला शुल्क अपीलीय समिति में, अध्यक्ष शिक्षा के उप निदेशक होंगे और सदस्य सचिव शिक्षा के उप निदेशक (क्षेत्रीय) होंगे। इसमें एक चार्टर्ड अकाउंटेंट, माता-पिता और शिक्षक भी शामिल होंगे। संशोधन समिति में, शिक्षा क्षेत्र का एक प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा। विधेयक में स्कूल स्तर पर एक फीस निर्धारण समिति बनाने की बात कही गई है। यह समिति स्कूल प्रबंधन, प्रिंसिपल, तीन शिक्षकों और पांच अभिभावकों को मिलाकर बनेगी। इस समिति का काम होगा कि वह स्कूल की फीस पर नजर रखे और यह सुनिश्चित करे कि फीस में मनमानी वृद्धि न हो। इसके अलावा, जिले स्तर पर भी एक फीस अपीलीय समिति बनाई जाएगी। इस समिति में शिक्षा विभाग के अधिकारी, चार्टर्ड अकाउंटेंट, अभिभावक और शिक्षक शामिल होंगे। यह समिति फीस से जुड़ी शिकायतों की सुनवाई करेगी।

संशोधन समिति भी बनाई जाएगी

Delhi News-एक संशोधन समिति भी बनाई जाएगी। इस समिति में शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होंगे। यह समिति फीस से जुड़े मामलों में सुझाव देगी। सरकार का कहना है कि इस विधेयक का मकसद निजी स्कूलों में फीस को लेकर पारदर्शिता लाना है। सरकार चाहती है कि स्कूल फीस के नाम पर अभिभावकों से मनमानी वसूली न करें।
विधेयक में यह भी प्रावधान है कि अगर कोई स्कूल नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। बार-बार उल्लंघन करने पर स्कूल की मान्यता भी रद्द की जा सकती है। सरकार का कहना है कि यह विधेयक अभिभावकों के हितों की रक्षा करेगा. इससे निजी स्कूलों में फीस को लेकर पारदर्शिता आएगी।

Delhi CM रेखा गुप्ता ने दी निजी स्कूलों को चेतावनी

Delhi की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बीते दिनों ही दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल Queen Merry Private School Model Town में दौरे के दौरान एक छात्रा के रोने से व्यथित होकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों से इस मामले पर संज्ञान लेने का आदेश दिया था। सीएम रेखा गुप्ता ने कहा,”राज्य सरकार यह स्पष्ट करना चाहती है कि किसी भी निजी स्कूल को यह अधिकार नहीं है कि वह अभिभावकों पर अनुचित दबाव बनाए, अत्यधिक फीस वसूले या जबरन किताबें, यूनिफॉर्म या अन्य सामान अपने निर्धारित विक्रेताओं से खरीदवाने के लिए मजबूर करे। शिक्षा एक सेवा है, न कि व्यापार का माध्यम।
हमें कई शिकायतें प्राप्त हुई हैं कि कुछ निजी स्कूल अभिभावकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं, बच्चों को कक्षा में बैठने से रोक रहे हैं या रिजल्ट रोकने की धमकी दे रहे हैं। यह पूर्ण रूप से अस्वीकार्य है।”
उन्होंने कहा कि, “राज्य सरकार जल्द ही एक सख्त नीति लाने जा रही है जिसके अंतर्गत-
सभी निजी स्कूलों को फीस संरचना पारदर्शी रूप से घोषित करनी होगी।
किसी भी प्रकार की गैर-शैक्षणिक वस्तुएं स्कूल से खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा। शिकायतों के निवारण हेतु एक हेल्पलाइन और त्वरित कार्रवाई सेल की स्थापना की जाएगी।
दोषी पाए जाने वाले स्कूलों के विरुद्ध मान्यता रद्द करने तक की कार्रवाई की जा सकती है। मैं अभिभावकों को आश्वस्त करना चाहती हूं कि उनकी आवाज़ सुनी जाएगी और उन्हें न्याय दिलाना हमारी प्राथमिकता है। शिक्षा के नाम पर शोषण किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा।”

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