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May 10, 2025

भारत-पाक तनाव के बीच टेरिटोरियल आर्मी की 14 बटालियन एक्टिव, सेना प्रमुख को मिली पावर

Territorial Army: प्रादेशिक सेना को भारत की ‘दूसरी रक्षा पंक्ति’ के रूप में जाना जाता है। यह सेना आम नागरिकों से बनी होती है जो सामान्य जीवन में विभिन्न पेशों में कार्यरत होते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर सेना की मदद के लिए बुलाए जा सकते हैं। पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के बीच भारत सरकार ने Territorial Army (प्रादेशिक सेना) को सक्रिय करने का आदेश जारी किया है। सरकार ने हाल ही में जारी एक अधिसूचना में कहा है कि भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी को टेरिटोरियल आर्मी रूल्स 1948 के नियम 33 के तहत अधिकार प्रदान किया है, जिसके तहत वे किसी भी प्रादेशिक सेना अधिकारी या जवान को सेना के नियमित बलों की सहायता के लिए बुला सकते हैं।

14 बटालियनों को सक्रिय किया

Territorial Army: इस आदेश के तहत, मौजूदा 32 इन्फैंट्री बटालियनों में से 14 बटालियनों को सक्रिय किया जाएगा। इन बटालियनों को देश के विभिन्न सैन्य कमानों में तैनात किया जाएगा, जिनमें दक्षिणी कमान, पूर्वी कमान, पश्चिमी कमान, केंद्रीय कमान, उत्तरी कमान, दक्षिण-पश्चिमी कमान, अंडमान और निकोबार कमान और आर्मी ट्रेनिंग कमान (ARTRAC) शामिल हैं। सरकारी बयान में कहा गया है, “हर अधिकारी और हर नामांकित जवान को आवश्यक गार्ड ड्यूटी देने या नियमित सेना को समर्थन देने के उद्देश्य से सक्रिय किया जा सकता है।”

क्या है Territorial Army

Territorial आर्मी: टेरिटोरियल आर्मी ज्वॉइन करके आप देश के आम नागरिक रहते हुए सैन्य अनुभव ले सकते हैं। यह एक वॉलंटियर सर्विस होती है। आपको ट्रेनिंग देने के बाद जरूरत पड़ने पर सेना आपकी सेवा ले सकती है। ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो कुछ वजहों से सेना में भर्ती नहीं हो पाते, ऐसे युवाओं को सेना टेरिटोरियल आर्मी भर्ती के जरिए देश सेवा का एक और मौका देती है। देश का आम आदमी अपनी जॉब या बिजनेस के साथ इसे जॉइन कर सकता है। प्रादेशिक सेना या Territorial Army एक स्वैच्छिक संगठन है जो नियमित रोजगार की गारंटी नहीं देता है। लंबी अवधि के रोजगार के लिए संगठन का कोई वादा नहीं करता है। यह रेगुलर जॉब की तरह नहीं है। इसे सोर्स ऑफ इनकम के तौर पर नहीं माना जाता। टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) भारतीय सेना की एक सहायक सैन्य संगठन है जो नियमित सेना को सहायता प्रदान करती है। यह एक स्वैच्छिक संगठन है, जो नागरिक जीवन में भी अपनी नौकरी या व्यवसाय करते हुए सैनिक सेवा का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। टेरिटोरियल आर्मी की मुख्य भूमिकाएं हैं:
नियमित सेना को स्थिर कर्तव्यों से मुक्त करना:
यह नियमित सेना को ऐसे कर्तव्यों से मुक्त करने में मदद करती है जो नियमित सेना के लिए आवश्यक नहीं होते हैं, जिससे वे युद्ध या आपातकालीन स्थिति में अधिक ध्यान केंद्रित कर सकें।
प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और ज़रूरी सेवाओं के रखरखाव में नागरिक प्रशासन की सहायता करना:
टेरिटोरियल आर्मी प्राकृतिक आपदाओं के समय और नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए ज़रूरी सेवाओं को बनाए रखने में मदद करती है।
आवश्यकता पड़ने पर नियमित सेना के लिए यूनिट प्रदान करना:
जब भी जरूरत होती है, तो यह नियमित सेना को युद्ध या अन्य आपातकालीन स्थितियों में यूनिट प्रदान करती है।
संक्षेप में, टेरिटोरियल आर्मी एक ऐसा सैन्य संगठन है जो नियमित सेना को सहायता प्रदान करता है और देश के आम नागरिकों को सैन्य अनुभव प्राप्त करने का अवसर देता है।

Territorial Army का कार्यकाल

Territorial Army: टेरिटोरियल आर्मी (TA) में नौकरी का कार्यकाल आमतौर पर 7 साल का होता है। हालांकि, यदि कोई व्यक्ति कमिशंड रैंक पर 20 साल की फिजिकल सर्विस पूरी करता है, तो उसे पेंशन का लाभ मिलता है। संक्षेप में, टेरिटोरियल आर्मी में पेंशन की गारंटी नहीं है, लेकिन अगर आप 20 साल तक कमिशंड रैंक पर फिजिकल सर्विस करते हैं तो आपको पेंशन मिलेगी। यदि आप 10 साल से अधिक समय तक टेरिटोरियल आर्मी में सेवा करते हैं और TA मैडल से नवाजे जाते हैं, तो आप पेंशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। टेरिटोरियल आर्मी में वेतन रैंक के अनुसार भिन्न होता है। उदाहरण के लिए, लेफ्टिनेंट के लिए वेतन 56,100 रुपये से 1,77,500 रुपये प्रति माह के बीच होता है, जबकि कैप्टन का वेतन 61,300 रुपये से 1,93,900 रुपये प्रति माह के बीच होता है।

भारत-पाक तनाव के चलते सक्रिय हुई TA

Territorial Army: यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब बीती रात सीमा से सटे कई राज्यों में पाकिस्तानी ड्रोन हमले देखे गए। हालांकि भारत की मजबूत वायु रक्षा प्रणाली ने पाकिस्तान के सभी ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया। इन हमलों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ड्रोन के जरिए विस्फोटक और हथियार गिराने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे सुरक्षा बलों की चौकसी और अधिक बढ़ गई है। Territorial Army हालांकि आम नागरिकों से बनी होती है जो सामान्य जीवन में विभिन्न पेशों में कार्यरत होते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर सेना की मदद के लिए बुलाए जा सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा हालातों में प्रादेशिक सेना की तैनाती से न केवल सेना को अतिरिक्त बल मिलेगा, बल्कि सीमावर्ती इलाकों में निगरानी और जवाबी कार्रवाई की क्षमता भी मजबूत होगी।

धोनी, सचिन से लेकर अनुराग ठाकुर तक, कई बड़े नाम हैं शामिल

Territorial Army: भारत की टेरिटोरियल आर्मी का हिस्सा बनने वाले कुछ बड़े और प्रसिद्ध नामों में कई प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल रही हैं। Cricket World से महेंद्र सिंह धोनी, सचिन तेंदुलकर, कपिल देव का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। फिल्म अभिनेता मोहनलाल भी टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में जुड़े हैं और उन्हें यह सम्मान 2009 में दिया गया था।

टेरिटोरियल आर्मी के बड़े नाम

Territorial आर्मी: महेंद्र सिंह धोनी (लेफ्टनेंट कर्नल, मानद): भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और विश्व प्रसिद्ध क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को 2011 में प्रादेशिक सेना में मानद लेफ्टनेंट कर्नल की उपाधि से सम्मानित किया गया था। वे 106 TA बटालियन (पैरा), पैराशूट रेजिमेंट का हिस्सा हैं। धोनी ने न केवल क्रिकेट के मैदान पर अपनी नेतृत्व क्षमता दिखाई, बल्कि सेना के साथ प्रशिक्षण और शिविरों में भी सक्रिय भागीदारी की है।
सचिन पायलट (कप्तान): कांग्रेस के प्रमुख नेता और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट प्रादेशिक सेना में नियमित कमीशंड अधिकारी हैं। 2012 में कमीशन प्राप्त करने वाले पायलट पहले केंद्रीय मंत्री हैं, जिन्होंने प्रादेशिक सेना में नियमित अधिकारी के रूप में सेवा की। उनके पिता, स्वर्गीय राजेश पायलट, और दादा भी सैन्य पृष्ठभूमि से थे, जिससे उनकी यह सेवा एक पारिवारिक विरासत का हिस्सा बन गई है।
सचिन तेंदुलकर (ग्रुप कैप्टन, मानद): क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को भारतीय वायुसेना ने 2010 में मानद ग्रुप कैप्टन की उपाधि दी थी, और वे प्रादेशिक सेना से भी जुड़े रहे हैं। तेंदुलकर ने अपनी प्रसिद्धि का उपयोग युवाओं को सैन्य सेवा के प्रति जागरूक करने में किया है।
अनुराग ठाकुर (कप्तान): भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भी प्रादेशिक सेना में कप्तान के रूप में सेवा दे चुके हैं। वे प्रादेशिक सेना में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं और देश सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बार-बार प्रदर्शित किया है।
अभिनव बिंद्रा (मेजर): भारत के पहले व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज अभिनव बिंद्रा भी प्रादेशिक सेना में मेजर के पद पर हैं। बिंद्रा ने अपनी खेल उपलब्धियों के साथ-साथ सेना में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
कपिल देव (कर्नल, मानद): 1983 में विश्व कप विजेता भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान कपिल देव को प्रादेशिक सेना में मानद कर्नल की उपाधि प्राप्त है। उनकी नेतृत्व क्षमता और देश के प्रति प्रेम ने उन्हें प्रादेशिक सेना में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।
लेफ्टिनेंट दीप्ति राणा: प्रादेशिक सेना की महिला अधिकारी लेफ्टिनेंट दीप्ति राणा ने इतिहास रचा है। उनकी कहानी और समर्पण प्रादेशिक सेना में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण है।

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