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June 3, 2025

तिब्बत के ऊपर प्लेन उड़ाने से क्यों बचते हैं पायलट

तिब्बत बहुत ही खूबसूरत क्षेत्र है। यहां की खूबसूरती अपने आप में एक म‍िसाल हैं। लेक‍िन तिब्बत में विमान सेवा बहुत ही कम है। दरअसल, क्या आपको पता है कि तिब्बत के ऊपर से हवाई जहाज नहीं उड़ते हैं? इसके पीछे एक वजह है जो हम से कई लोग नहीं जानते हैं। ऊंचाई पर होने के कारण इसके ऊपर से विमानों का उड़ पाना लगभग असंभव है

तिब्बत के ऊंचे पहाड़ हैं स्पीड ब्रेकर

तिब्बत एक ऐसा क्षेत्र है, जिसकी भूमि मुख्यत: उच्च पठारी हैं। यहां के पठार दुनिया में सबसे ऊंचे हैं और इसे हिमालय पर्वत का घर भी माना जाता है। Tibbet नेपाल के साथ Mount Everest की सीमा साझा करता है। इस स्थान को ऊंचे पठारों के कारण ‘Roof Of The World’ या ‘दुनिया की छत’ भी कहा जाता है और यह समुद्र तल से औसतन 4,500 मीटर (14,800 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। ज्‍यादात्तर विमान तिब्बत के ऊपर से नहीं उड़ते हैं। अगर उड़े तो इससे जान को खतरा हो सकता है।

माउंट एवरेस्‍ट है एक वजह

तिब्बत का हवाई मार्ग बाकी हवाई मार्गों की तुलना में बेहद ही संर्कीण है। माउंट एवरेस्ट से नजदीक होने के वजह से यहां जेट धाराएं तेजी से चलती रहती हैं और ऐसे में एक विमान के लिए इतनी तेज गति की धाराओं का सामना करना मौत को गले लगाने जैसा है। हालांकि यहां हवाई पट्टी है, लेकिन वो इतनी संकीर्ण है कि अब तक दुनिया के कुछ ही पायलट यहां विमान उतार पाने में सफल हो पाए हैं। माउंट एवरेस्ट की चोटियां आसमान में कई किलोमीटर तक ऊंची है। यह निचले वातावरण से काफी अलग वातावरण बनाती है। अत्यधिक ऊंचाई काफी पतली हवा पैदा करता है। इससे एयरक्राफ्ट के इंजन काफी मुश्किलों का सामना करते हैं। उड़ान के लिए जरूरी ऊर्जा बनाने के लिए यह मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थितियों में हवा का घनत्व बहुत कम होता है, जिससे विमानों के लिए लगातार उड़ान भर पाना मुश्किल हो जाता है। यह ठीक उसी तरह है, जैसे एवरेस्ट की चोटी पर हाफते हुए मैराथन दौड़ने की कोशिश की जा रही हो।

Clean Air Turbulence भी है एक वजह

एयरलाइंस विशेषज्ञों की मानें तो तिब्बत दुनिया का सबसे कम दबाव वाला क्षेत्र है। इस क्षेत्र में हवा की कमी है, इसलिए एक विमान के लिए यहां उड़ पाना संभव नहीं है। जब आसमान में हवा का पैटर्न बदलता है और दबाव कम या ज्यादा होता है, तो उसे टर्ब्यूलेंस कहते हैं। इस वजह से हवा में एयरप्लेन ह‍िलने लगता है। पायलट इसे पहचान कर निंयत्रित कर सकता है मगर तिब्‍बत जैसी जगह पर यह मुश्किल काम है, जिसे पायलट हैंडल नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा पायलट के पास यहां इमरजेंसी लैंडिंग का ऑप्शन नहीं है।

तिब्बत की ऊंचाइयों पर ऑक्‍सीजन की कमी

Tibbet के ऊंचाई वाले इलाकों में ऑक्सीजन की भारी कमी है। अगर विमान यहां उड़े तो यात्रियों को अधिक समय तक ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी, जबकि विमान से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि किसी भी परिस्थिति में यहां यात्रियों के लिए सिर्फ 20 मिनट तक ही ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा सकती है।

नेविगेशन और कम्युनिकेशन में परेशानियां

तिब्बत के क्षेत्रों में रडार और कम्युनिकेशन सुविधाएं सीमित हैं, जिससे पायलटों को नेविगेशन में मुश्किल होती है। कई हिस्सों में एयर ट्रैफिक कंट्रोल का सीमित दायरा होता है, जिससे विमानों की ट्रैकिंग मुश्किल हो जाती है। कुछ क्षेत्रों में डिटेल्ड Aeronautical Maps नहीं हैं, जिससे हवाई मार्गों की प्लानिंग बनाना मुश्किल होता है। इन्ही वजहों से तिब्बत के हवाई क्षेत्र में हवाई यात्रा की सुविधा कम है और केवल अतिकुशल पायलट ही इस हवाई अड्डे पर उड़ान भर सकते हैं।

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