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जब पुणे नहीं हुआ साफ़, तो मुंबई में आज़माया हाथ

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अब मुंबई की गंदगी को साफ़ सिर्फ बीएमसी ही नहीं बल्कि कॉर्पोरेट जगत भी करेगा, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया और IDFC First बैंक अब मुंबई की सड़कों पर साफ़ सफाई करते हुए नज़र आएंगे। घर घर जाकर सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया और IDFC First बैंक के कर्मचारी कचरा इक्कठा करेंगे। सुबह हो या शाम, मुंबई की सड़कों को चकाचक बनाने के लिए अबतक बीएमसी के कर्मचारी लगातार साफ़ सफाई में लगे रहते है। लेकिन अब सीएसआर के तहत कॉर्पोरेट जगत भी साफ़ सफाई में उतर आया है। कॉर्पोरेट जगत के लिए मुंबई की साफ़ सफाई की इस परियोजना पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए है, साफ़ सफाई का ये काम सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया और IDFC First बैंक के लिए किसी टेढ़ी खीर से काम नहीं साबित होगा।

नहीं सफल हुआ आदर पूनावाला क्लीन सिटी इनिशटिव, स्वछता सर्वेक्षण में पुणे 37 वें स्थान पर

दरअसल ये सवाल इसलिए भी क्योंकि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के सीईओ आदर पूनावाला पुणे शहर में अदर पूनावाला क्लीन सिटी इनिशटिव चलाते है, पुणे शहर में साफ़ सफाई की ये पहल आदर पूनावाला साल 2015 से चलाते आ रहे है, जिसके तहत आदर पूनावाला ने अपने सीएसआर का 100 करोड़ लगाकर 400 कर्मचारी और 200 अत्याधुनिक कचरे की गाड़ियों के साथ 600 किलोमीटर पुणे के रास्ते और गलियों घूमघूमकर साफ़ सफाई करते है ऐसा दावा अपने वेबसाइट द्वारा खुद आदर पूनावाला करते है लेकिन सच्चाई की बात करें तो पुणे मुंसिपल कॉर्पोरेशन और आदर पूनावाला क्लीन सिटी इनिशटिव के बाद भी पुणे अन्य शहरों के मुकाबले गंदा है। स्वछता सर्वेक्षण की बात करें तो पुणे साल 2019 की रैंकिंग में 37 स्थान पर रहा, ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि सीएसआर के 100 करोड़ लगाकर भी आदर पूनावाला ने पुणे को साफ़ नहीं कर पाए।

पुणे में फेल, मुंबई में क्या सफल होगा आदर पूनावाला क्लीन सिटी इनिशटिव?

अब यही काम आदर पूनावाला मुंबई में करने जा रहे है, मुंबई में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू होने वाले इस पहल में आदर पूनावाला के साथ IDFC First बैंक भी रहने वाली है। बीएमसी का ये पायलट प्रोजेक्ट आदित्य ठाकरे की विधान सभा क्षेत्र में होने वाला है, मुंबई के वर्ली इलाके से विधायक और ठाकरे सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे सीएसआर के तहत कई काम अपने विधान सभा में करवा रहे है लेकिन सीएसआर के तहत इस तरह के पहल बेहतरीन तभी हो सकते है जब कॉर्पोरेट्स के पिछले कामों का आकलन कर के उन्हें काम करने का मौक़ा दिया जाय। स्वछता रैंकिंग को देखने के बाद तो ये बिलकुल कहा जा सकता है कि आदर पूनावाला क्लीन सिटी इनिशटिव पुणे में नहीं चला बावजूद मुंबई में क्यों लाया जा रहा है, अब बीएमसी लेबर यूनियन ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है, The CSR Journal से बातचीत करते हुए बीएमसी लेबर यूनियन के महासचिव मिलिंद रानाडे ने कहा कि “बीएमसी का मूल काम ही साफ़ सफाई करना है, शिक्षा, स्वास्थ जैसे महत्वपूर्ण काम बीएमसी करती है, लेकिन अब बीएमसी कर्मचारियों से मूलरूप से काम छीनने का काम बीएमसी के अधिकारी प्राइवेट कॉर्पोरेट को लाकर कर रहे है”। आदर पूनावाला से जब इस मसले पर The CSR Journal ने बात करनी चाही तो कोई फ़ोन पर नहीं आया।