Home Header News मूंज की इको फ्रेंडली डलियों में गंगा जल की पैकिंग, सीएसआर से...

मूंज की इको फ्रेंडली डलियों में गंगा जल की पैकिंग, सीएसआर से पहल, महाकुंभ के लिए स्टार्ट अप

555
0
SHARE
मूंज की इको फ्रेंडली डलियों में गंगा जल की पैकिंग, सीएसआर से पहल, महाकुंभ के लिए स्टार्ट अप
 
विश्व का सबसे बड़ा Human Gathering अगर कहीं होता है तो वो Kumbh Mela में होता है। इस बार प्रयागराज महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान उत्तर प्रदेश सरकार ने लगाया है। Prayagraj के त्रिवेणी के तट पर आने आने वाले हर श्रद्धालु की ख्वाहिश होती है कि वह यहां के त्रिवेणी का पावन जल लेकर वापस घर जाएं। महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं की इस ख्वाहिश को देखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी  सरकार अब रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन में ही त्रिवेणी का जल उपलब्ध कराएगी। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की इसकी जिम्मेदारी दी गई है।

रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड में मिलेगा त्रिवेणी का बोतल बंद पावन जल

पुण्य भूमि प्रयागराज की पहचान है यहां का तीन पावन नदियों का वह संगम जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन होता है। इसी वजह से यहां के इस पवित्र जल का विशिष्ट महत्व है। माघ मेला, कुंभ और महाकुंभ में यहां लोग स्नान करने आते हैं और अपने साथ संगम का जल ले जाते हैं। महाकुंभ में अधिक भीड़ होने के चलते बड़ी संख्या में लोगों को त्रिवेणी का पावन जल नहीं मिल पाता है। लेकिन इस बार महाकुंभ में श्रद्धालुओं को इसके लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। शहर के सभी बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर बोतल बंद और कलश में त्रिवेणी का जल उपलब्ध होगा। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इस जिम्मेदारी को निभाएंगी।

इको फ्रेंडली मूंज से बनी डलियों में होगी Ganga Jal की पैकिंग

त्रिवेणी का जल धातु से बने कलश और बोतलों में होगा जिसे खूबसूरत और सुरक्षित आधार प्रदान करने के लिए मूंज की डिजाइनर डलियां तैयार की गई हैं। प्रयागराज के एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) मूंज को इसके लिए खास तौर पर चुना गया है। नैनी के महेवा गांव मूंज के उत्पाद बनाने वाली महिलाओं ने इसके लिए डिजाइनर डलियां बनाई हैं। यह त्रिवेणी का जल एक लीटर,आधा लीटर और 250 मिली के पैकिंग में होंगी। इससे जिले के ओडीओपी की ब्रांडिंग भी होगी।

सीएसआर के तहत बनी Self Help Group की महिलाएं उठाएंगी जिम्मेदारी

महाकुंभ से पहले प्रयागराज में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड व धार्मिक स्थानों पर गंगाजल उपलब्ध कराएंगी। सीएसआर (CSR – Corporate Social Responsibility) की मदद से बने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह स्टार्टअप शुरू किया जा रहा है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन एक हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को इसके लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन महिलाओं को रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड व अन्य धार्मिक स्थानों पर गंगाजल की बिक्री का प्रशिक्षण दिया जाएगा। अगर इन महिलाओं का काम अच्छा रहा तो इनकी संख्या भी बढ़ाई जाएगी। इससे महिलाएं आत्मनिर्भर भी बनेंगी।