कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी यानी सीएसआर (CSR) की हर बारीकियां, सीएसआर कानून के हर पहलुओं और इसकी प्रत्येक जानकारियां The CSR Journal हमेशा आप तक पहुंचाता रहता है। सीएसआर कानून, सीएसआर के नियमों को लेकर हम हमेशा से ही आसान भाषा में आपको बताते रहतें हैं। सीएसआर कानून में बदलाव, अमेंडमेंड, संशोधन जब भी भारत सरकार करती है, पहली जानकारी The CSR Journal के माध्यम से आपको मिलता रहता है। क्या है सीएसआर, कौन करता है सीएसआर? किन नियमों के तहत सीएसआर किया जाता है। इस तरह के तमाम सीएसआर को लेकर हमारे जहन में सवाल रहता है। तो आईये जानते है उन सवालों के जवाब जो सीएसआर को लेकर अक्सर पूछे जाते हैं। (FAQs on CSR)
सीएसआर (CSR) का फुल फॉर्म कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (Corporate Social Responsibility) होता है, भारत में सीएसआर एक कानून है। इस कानून के तहत देश में कॉर्पोरेट्स कंपनीज को सामाजिक काम करना पड़ता है। सामाजिक काम यानी समाज के उत्थान में जो जरुरी हो वो, समाज के जरूरतमंद लोगों को आगे लाना, उन्हें बढ़ावा देने के लिए जरुरत की चीजें मुहैया कराना सीएसआर में शामिल है।
क्या कहता है कानून और कौन सी कंपनीज सीएसआर के दायरे में आती है?
भारत में किसी भी कंपनी को कारोबार करने के लिए अपने आप को रजिस्टर्ड करवाना पड़ता है, हर एक बड़ी कंपनी को कंपनीज एक्ट में रजिस्टर्ड करवाना होता है। लेकिन भारत में हर कंपनी सीएसआर के दायरे में नहीं आती। छोटी कंपनिया जिनकी कमाई बहुत सीमित है वो सीएसआर खर्च करने के लिए बाध्य नहीं हैं। कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत प्रावधानों के माध्यम से अनिवार्य कर दिया गया है। हर कंपनी जो प्राइवेट लिमिटेड या पब्लिक लिमिटेड है जिन्होंने 500 करोड़ रुपये का शुद्ध मूल्य या 1,000 करोड़ रुपये का टर्न ओवर या 5 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ का कारोबार किया है, उन्हें तीन वित्तीय वर्षों के लिए, तुरंत अपने औसत शुद्ध लाभ का कम से कम 2% सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना जरुरी है।
कौन हो सकता है सीएसआर के लाभार्थी?
सीएसआर के तहत देश के औद्योगिक घराने और कॉर्पोरेट कंपनीज करोड़ों रुपये खर्च करती हैं, इन पैसों का सीधा लाभ समाज को होता है, समुदाय को होता है। सीएसआर का लाभार्थी आम जन मानस और जरूरतमंद तो होता ही है लेकिन तब जब वो किसी न किसी समुदाय या कम्युनिटी से ताल्लुक रखता हो। सीएसआर के तहत कंपनीज किसी अकेले व्यक्ति को सीधे तौर पर सीएसआर फंड का फायदा नहीं पहुंचा सकती।
क्या अकेले इंसान पर कंपनियां अपने सीएसआर (CSR) फंड को खर्च कर सकती है?
नहीं, अकेले इंसान पर कंपनीज सीएसआर फंड को खर्च नहीं कर सकती, कंपनीज सीएसआर फंड को समुदाय पर खर्च करती है। हर कोई इंसान समुदाय का हिस्सा है इसलिए अकेला इंसान सीएसआर गतिविधियों का बिनिफिशरी यानी लाभार्थी हो सकता है। उदाहरण के तौर पर अगर आप पानी की किल्लत से जूझ रहें है तो पीने के पानी के लिए सीएसआर के तहत कंपनी उपाय योजना कर सकती है वो भी पूरे गांव के लिए। अगर सीएसआर पहल से गांव की पेयजल की समस्या खत्म हो जाएगी तो जाहिर है आप भी गांव के निवासी है और पेयजल के लाभार्थी भी।
प्राइवेट कंपनी के जैसे क्या सरकारी कंपनी भी सीएसआर करती है?
कंपनी कोई भी हो, प्राइवेट हो या फिर सरकारी, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत प्रावधानों के माध्यम से अनिवार्य कर दिया गया है। और जो कंपनी इस नियम के दायरे में आती है उसे सीएसआर खर्च करना ही है, चाहे वह प्राइवेट हो या सरकारी। प्राइवेट कंपनीज में इनफ़ोसिस हो या विप्रो या रिलायंस हो हर कोई सीएसआर करता है वहीं सरकारी कंपनियों में PSU यानी पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग भारत पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल, एनटीपीसी जैसी सरकारी कंपनियां बड़े पैमाने पर सीएसआर करती हैं।
सरकारी स्कीमों में कंपनीज क्या सीएसआर ख़र्च कर सकतीं हैं या नहीं?
बिलकुल कर सकतीं हैं, भारत सरकार पूरे देश में कई सरकारी योजनाओं को चलाती है, इन योजनाओं को क्रियांवित करने के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है, फंड की कमी जरूर होती है लेकिन बड़े पैमाने पर कॉर्पोरेट कंपनीज इन योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम करती है। स्वच्छ भारत मिशन हो या फिर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इन प्रोग्राम को सीएसआर का बल मिला है इसलिए ये बहुत सफल साबित हो रही हैं।
कंपनीज कैसे तय करती हैं कि कौन सा सीएसआर (CSR) एक्टिविटीज कहां करनी है?
कंपनियों के लिए सीएसआर के मानक तय होते हैं। कंपनीज को अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी संबंधी गतिविधियों का संचालन स्पष्ट दिशा निर्देशों के अनुकूल करना होता है। नियम के मुताबिक हर कंपनी में सीएसआर कमिटी होती है। इस कमिटी और कंपनी के बोर्ड में यह तय होता है कि कंपनी को कौन-सी गतिविधि, कब और कहां चलानी है। ज्यादातर कंपनियों की सीएसआर एक्टिविटीज वहीं की जाती है जहां वो संचालित है। इस तरह तय गतिविधि ही सीएसआर के दायरे में आती है।
क्या कंपनी कोई भी काम सीएसआर के तहत करवा सकती है?
नहीं, कंपनी कोई भी काम सीएसआर के तहत नहीं करवा सकती है, इसके लिए कुछ नियम होते हैं। सीएसआर कानून में कंपनी को कौन सा सामाजिक काम करवाना है वो भी निर्धारित किये गए है। इन सीएसआर गतिविधियों के आलावा दूसरे सीएसआर एक्टिविटीज को नहीं करवाया जा सकता है। कानून में सीएसआर गतिविधियों की सूची दी गई है, जो सीएसआर के दायरे में आती हैं। यह सूची नियम की 7वीं अनुसूची में शामिल हैं। कंपनियों को इन्हीं में से अपने सीएसआर के लिए गतिविधियों का चयन करना है।
1. राष्ट्रीय धरोहर, कला और संस्कृति की सुरक्षा, जिसमें ऐतिहासिक महत्व वाली इमारतें और स्थल एवं कला शामिल हैं।
2. पारंपरिक कला एवं हस्तशिल्प को बढ़ावा देना और उनका विकास।
3. सार्वजनिक पुस्तकालयों की स्थापना।
4. अनाथालय और छात्रावास की स्थापना, उनके लिए भवन का निर्माण, उनका रख रखाव व संचालन।
5. वृद्धाश्रम की स्थापना, उनके लिए भवन का निर्माण, उनका रख -रखाव व संचालन।
6. डे केयर केंद्रों की स्थापना, उनके लिए भवन का निर्माण, उनका रख-रखाव व संचालन।
7. महिलाओं के लिए घर और छात्रावासों की स्थापना।
8. ग्रामीण खेलों, राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त खेलों, ओलंपिक खेलों और पैरालंपिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण मुहैया कराना।
9. केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त शैक्षणकि संस्थानों में स्थित प्रौद्योगिकी इनक्यूबेटरों के लिए फंड मुहैया कराना।
10. शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए काम करना।
11. मिट्टी, हवा और जल की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए काम करना।
12. प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
13. पारिस्थितिक संतुलन को सुनिश्चित करना।
14. वनस्पतियों, जीव संरक्षण, पशु कल्याण, कृषि वानिकी का संरक्षण।
15. ग्रामीण विकास परियोजनाएं।
16. जीविका वृद्धि संबंधी परियोजनाएं।
17. स्वास्थ्य एवं स्वच्छता को बढ़ावा देना।
18. असामानता का दंश झेल रहे सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समूहों के लिए काम करना।
19. युद्ध में मारे गए शहीदों की विधवाओं, सशस्त्र बलों के वीरों और उनके आश्रितों के लाभ से जुड़े काम।
सीएसआर कानून के पहले भी क्या कंपनीज सीएसआर खर्च करती थीं?
1 अप्रैल 2014 को कंपनी अधिनियम में सीएसआर कानून को लागू किया गया, उनके बाद से भारत में सीएसआर अनिवार्य हो गया लेकिन सीएसआर कानून के पहले भी कंपनियां सामाजिक काम किया करती थी। ये सामाजिक काम कंपनियों की स्वैच्छिक थी लेकिन कानून आने के बाद ये बाध्य है।
कौन सी गतिविधियां सीएसआर (CSR) खर्च नहीं मानी जाएंगी?
कंपनी अधिनियम की धारा 135 के अनुसार वो सीएसआर गतिविधियां जो केवल कंपनी के कर्मचारियों और उनके परिवारों को लाभान्वित करती हैं, उन्हें सीएसआर गतिविधियों के रूप में नहीं माना जाएगा। मैराथन / पुरस्कार / धर्मार्थ योगदान / विज्ञापन / टीवी कार्यक्रमों के प्रायोजन जैसे कार्यक्रम सीएसआर ख़र्च में मान्य नहीं होंगे।
क्या कंपनीज चुनाव के वक़्त या फिर किसी भी समय राजनितिक पार्टियों को सीएसआर के तहत दान दे सकती हैं?
नहीं, सीएसआर फंड समाज की भलाई के लिए होता है ना कि किसी राजनितिक दल की भलाई के लिए। किसी भी राजनीतिक दल को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी राशि का योगदान सीएसआर गतिविधि के रूप में नहीं माना जाता है।
आपदा राहत पर खर्च सीएसआर के लिए योग्य है या नहीं?
सीएसआर नियमों में भारत सरकार समय समय पर कानून और नियमों में बदलाव करती रहती है, कोरोना जैसे महामारी के दौरान भारत सरकार ने नियमों में बदलाव कर कॉर्पोरेट्स के साथ साथ आम जनता की भी बहुत मदद की। कंपनीज अब सीधे तौर पर अपने सीएसआरफंड को पीएम केयर्स फंड में दान कर सकतें हैं। केंद्र सरकार ने स्पष्ट कहा है कि राज्य सरकार को दिया गया फंड सीएसआर के दायरे में नहीं आएगा।
कोरोना के राहत और बचाव कार्य में खर्च की गयी राशि को क्या सीएसआर खर्च माना जा सकता है?
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने सामान्य परिपत्र संख्या 10/2020 दिनांकित की 23 मार्च, 2020 में ये स्पष्ट किया है कि COVID-19 संबंधित गतिविधियों के लिए खर्च करना सीएसआर के दायरे में मान्य होगा। इतना ही नहीं बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि COVID-19 के रोकथाम में स्वास्थ्य देखभाल के खर्च को भी सीएसआर माना जायेगा।