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July 19, 2025

सिटीजन सोशल रिस्पांसिबिलिटी से सुरक्षित होगा अपना देश

The CSR Journal Magazine
आज 26/11 है, मुंबई आतंकी हमले की दसवीं बरसी, देश नम आंखों से शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहा है, मुंबई के तमाम ठिकानों पर जहां आतंकियों ने खून की होली खेली थी वहां मुंबईकर  अपनों को याद कर रहे है, शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे है। 10 साल बीत गए, हर साल इसी तरह 26/11 की उस काली रात को याद कर देश पर हुए सबसे बड़े हमले के दर्द को हम कुरेदते है। मुंबई के जज्बे को सलाम करते है, लेकिन क्या हम कभी सोचे है कि आखिर कब तक इसी तरह से आतंकवादी गतिविधियों को हम सहते रहेंगे, कब तक हम आतंक का दंश झेलते रहेंगे। कही भी कुछ भी हो तो हम सब पुलिस की लचर व्यवस्था पर हमेशा उंगली उठाने लगते है लेकिन कभी ये नही सोचते कि आखिरकार देश का नागरिक होने के नाते हमारा भी सुरक्षा को लेकर कुछ कर्तव्य बनता है, हां ये भले नही हो सकता है कि हम हथियार उठा कर सुरक्षा की जिम्मेदारी ले लें, लेकिन एक जागरूक नागरिक जरूर बन सकते है, सोशल रिस्पांसिबल सिटीजन बनकर हम जरूर सुरक्षित माहौल बना सकते है।
देश में सुरक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी तो सुरक्षा एजेंसियों की ही होती है लेकिन हमारी सुरक्षा एजेंसियों के आंख और कान अगर समाज के जिम्मेदार नागरिक हो तो हमारी सुरक्षा और भी पुख्ता हो सकती है, हमारी सुरक्षा को कोई भेद नही सकता। 125 करोड़ की जनता में महज कुछ ही लाख सुरक्षाकर्मी होंगे, अगर हम इन सुरक्षाकर्मियों की आंख और कान बन जाये, अगर हम इन इंटेलिजेंस में सुरक्षाकर्मियों की मदद करे तो हम सब सुरक्षित हो सकते है। जब भी हम यात्रा करते है तो एक सजग नागरिक की जिम्मेदारी निभानी चाहिए, बस ट्रेन में बैठते समय अपने इर्द गिर्द निगरानी करनी चाहिए, संदिग्ध गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए, कुछ भी संशय लगे तो तुरंत इसकी सूचना सुरक्षाकर्मियों को देनी चाहिए, ये छोटी छोटी चीजें हमें बड़े आतंकी हमलों से बचा सकती है, आखिरकार कब तक हम सरकारों का रोना रोते रहेंगे।
26/11 आतंकी हमलों ने सरकारों को जवाबदेही तो बनाया ही है, अगर हम भी सुरक्षा के प्रति सजग और जवाबदेही होंगे तो हमें किसी पर मोहताज होने की जरूरत नही रहेगी। सुरक्षा की दृष्टि से मुंबई में कई बदलाव आए है, महाराष्ट्र को फोर्स वन कमांडो मिले, क्विक रेस्पॉन्स टीम का गठन किया गया, समुद्री किनारे सुरक्षित हुए, नेशनल सिक्युरिटी गार्ड के चार केंद्र खोले गए, अत्याधुनिक हथियारों से सुरक्षा व्यवस्था को और एडवांस किया गया, ये सभी कदम बेमानी है अगर हमारे देश का नागरिक सुरक्षा को लेकर स्वयं सोशल रिस्पांसिबल नही हुआ।

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