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July 26, 2025

बिहार की राजनीति में ‘रहस्यमयी नेता’ बन चुके हैं चिराग पासवान, NDA-जेडीयू दोनों की मुश्किलें बढ़ीं

The CSR Journal Magazine

NDA में रहकर JDU को घेरने की रणनीति

बिहार की सियासत में इन दिनों चिराग पासवान सबसे चर्चित चेहरा बन चुके हैं। खुद को NDA का हिस्सा बताते हुए भी वे लगातार नीतीश कुमार सरकार और जेडीयू पर तीखे हमले कर रहे हैं। चिराग की यह विरोधाभासी राजनीति राज्य के सियासी समीकरणों को उलझा रही है। एक ओर चिराग पासवान बिहार में NDA की जीत का दावा कर रहे हैं, तो दूसरी ओर वे जेडीयू सरकार को गया रेप कांड, गोपाल खेमका हत्या और नालंदा डबल मर्डर जैसे मामलों में पूरी ताकत से घेर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा, “दुख होता है कि मैं उस सरकार का हिस्सा हूं जहां अपराध बेलगाम है।” यह बयान सीधे नीतीश सरकार के गुड गवर्नेंस के दावों पर सवाल खड़ा करता है।

जनता और राजनीतिक दलों को कर रहे हैं कन्फ्यूज

कभी तेजस्वी यादव को खुली चुनौती देना, कभी प्रशांत किशोर की तारीफ करना, और कभी नीतीश कुमार के नेतृत्व की वकालत — चिराग का यह दोहरा चेहरा जनता और सियासी पार्टियों दोनों को भ्रमित कर रहा है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह एनडीए की कोई रणनीति है या चिराग की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा?

‘निकम्मा’ टिप्पणी से बढ़ा विवाद

गया गैंगरेप केस पर चिराग ने सरकार को “निकम्मा” कह डाला। जेडीयू ने तीखी प्रतिक्रिया दी। प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि चिराग का “शरीर कहीं है और आत्मा कहीं”। साथ ही ताना मारा कि यदि प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को नीतीश पर भरोसा है, तो चिराग क्यों विचलित हो रहे हैं?

2020 जैसा ‘वोट कटवा’ डर

जेडीयू को डर है कि चिराग फिर 2020 जैसी वोट-कटर की भूमिका निभा सकते हैं। उस साल उनकी पार्टी LJP ने 134 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिससे जेडीयू को भारी नुकसान हुआ था और पार्टी तीसरे नंबर पर खिसक गई थी। यही आशंका इस बार भी नीतीश कैंप में तनाव का कारण बन रही है।

चुनावी उलटफेर की चाभी चिराग के हाथ?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिराग पासवान की यह रहस्यमयी भूमिका बिहार चुनाव 2025 में बड़ा उलटफेर कर सकती है। NDA का हिस्सा होते हुए भी गठबंधन की सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी पर हमला करना यह दिखाता है कि चिराग अब सिर्फ नेता नहीं, बल्कि ‘Game Changer’ बनने की तैयारी में हैं। बिहार की राजनीति में चिराग पासवान की चालों को समझना फिलहाल सभी दलों के लिए चुनौती बना हुआ है। NDA-जेडीयू के रिश्तों में खटास और चिराग की मुखरता आने वाले महीनों में बड़े सियासी बदलावों की आहट दे रही है। अब देखना है कि चिराग किस तरफ फैसला करते हैं सहयोगी या चुनौतीकर्ता?
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