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July 2, 2025

Ola Uber मिनिटों में? रुकिए, पहले जान लीजिए किराये के नए नियम, वरना जेब होगी खाली!

Cab-Taxi Fare Increase: अगर आप नियमित रूप से कैब से यात्रा करते हैं, तो अब आपको उसके लिए और अधिक भुगतान करना पड़ सकता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2025 को संशोधित करते हुए कैब एग्रीगेटर्स जैसे Ola, Uber और Rappido को पीक ऑवर्स के दौरान बेस किराए से दो गुना तक शुल्क वसूलने की अनुमति दे दी है। पहले यह सीमा बेस किराए ki 1.5 गुना तक थी। यह बदलाव मंगलवार को जारी दिशा-निर्देशों में किया गया।

कैब सर्विस प्रोवाइडर्स की हो गई बल्ले बल्ले

नए नियमों के अनुसार, Cab Aggregators गैर-पीक ऑवर्स में छूट भी दे सकेंगे, जहां वे सवारी को आकर्षित करने के लिए बेस किराए से 50 प्रतिशत तक कम किराया ले सकते हैं। “बेस किराया” राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित उस दर के अनुसार होगा, जो प्रत्येक वाहन श्रेणी (जैसे Hatchbac, Sedan, SUV आदि) के लिए तय की जाएगी। यह बदलाव एक ओर जहां कीमतों को Regulate करने की कोशिश है, वहीं दूसरी ओर कैब एग्रीगेटर्स को मांग के अनुसार किराया समायोजित करने की छूट भी देता है।

कैब यात्रियों का फायदा या नुकसान?

पीक ऑवर्स, जैसे सुबह और शाम के व्यस्त समय या खराब मौसम की स्थिति में अब कैब किराया 100 फ़ीसदी तक अधिक हो सकता है, जिससे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे महानगरों में नियमित यात्रियों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा। उदाहरण के लिए, अगर पहले एक यात्रा का पीक ऑवर्स में किराया ₹200 था (1.5x लिमिट पर), तो अब वही यात्रा ₹266 तक हो सकती है। हालांकि, दूसरी ओर, गैर-पीक समय, जैसे दोपहर के बीच या देर रात में किराया बेस फेयर के आधे तक हो सकता है, जिससे कम खर्च में यात्रा करने वाले लोगों को राहत मिल सकती है। इससे एग्रीगेटेड कैब सेवाओं का उपयोग दिन के कम व्यस्त समय में बढ़ सकता है और मांग को संतुलित करने में मदद मिल सकती है।

 एग्रीगेटर्स खुश, उपभोक्ता चिंतित

संशोधित दिशानिर्देशों पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। राइड-हेलिंग कंपनियों ने पीक डिमांड के समय अधिक किराया वसूलने की छूट का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इससे ड्राइवरों को व्यस्त समय में काम करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे यात्रियों को इंतजार कम करना पड़ेगा। ओला के एक प्रवक्ता ने कहा, “यह ड्राइवर और यात्री दोनों के लिए फायदेमंद है। पीक ऑवर्स में अधिक किराया मिलने से ज्यादा ड्राइवर उपलब्ध होंगे और ऑफ-पीक ऑवर्स में रियायती किराया यात्रियों को सेवा लेने के लिए प्रेरित करेगा।”
वहीं, यात्री हित समूहों ने कैब किराया बढ़ोतरी पर चिंता जताई है और राज्य सरकारों से अपील की है कि वे किराया वृद्धि पर निगरानी बनाए रखें, ताकि यात्रियों का शोषण न हो।
कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्य, जहां राइड-हेलिंग सेवाएं पहले से अच्छी तरह स्थापित हैं, जल्दी इन नियमों को अपनाने की संभावना है। जबकि कुछ राज्य, प्रशासनिक या राजनीतिक कारणों से इसमें देर कर सकते हैं। राज्यों के बीच किराए में यह अंतर अलग-अलग क्षेत्रों में समान सेवाओं के लिए अलग-अलग दरें पैदा कर सकता है।

सरकार ने दी कैब कंपनियों को 3 महीने की मोहलत

सरकार ने सभी कैब कंपनियों को तीन महीने के अंदर नई गाइडलाइन फॉलो करने को कहा है। बेस फेयर राज्य सरकारें अपने स्तर पर तय करेंगी। उदाहरण के लिए अभी दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में कैब बेस फेयर 21-21 प्रति किलोमीटर है तो पुणे में 18 रुपये! अगर कोई राज्य ऐसा नहीं करता है तो कैब कंपनियां बेस फेयर फिक्स कर सकती हैं मगर उनको इसकी जानकारी मंत्रालय को देनी होगी।

कैब बुकिंग कैंसिल करने पर यात्री को देनी होगी पेनाल्टी

कस्टमर की तरफ से कैब राइड कैंसिल होने पर भी उसे किराये का 10 फीसदी या अधिकतम 100 रुपये पेनाल्टी के तौर पर देना होगा। यानि अगर किराया 200 रुपये था तो 20 रुपये पेनाल्टी लगेगी। ये पैसा कैब कंपनी और ड्राइवर के बीच में बांटा जाएगा। कैब कंपनियों को ये सुनिश्चित करना होगा कि कैब चलाने वाले चालकों के पास 5 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस और 10 लाख रुपये का टर्म इंश्योरेंस हो।

परिवहन उद्योग में महत्वपूर्ण बदलाव

परिवहन क्षेत्र में यह बदलाव ऐसे समय पर आया है जब शहरी परिवहन में तेज़ी से बदलाव हो रहा है। ईंधन की बढ़ती कीमतें, ड्राइवरों की कमी और inDrive तथा Namma Yatri जैसे नए प्रतिस्पर्धियों के आने से कैब उद्योग लाभप्रदता और उपभोक्ता संतुष्टि के बीच संतुलन साधने के लिए संघर्ष कर रहा है। नई गाइडलाइंस से एग्रीगेटर्स को भले ही कुछ आर्थिक राहत मिले, लेकिन कीमत को लेकर ग्राहक इससे नाराज़ भी हो सकते हैं, अगर उन्हें यह मूल्यवृद्धि अनुचित लगे।
यह कदम सरकार की Gig Economy को विनियमित करने की बड़ी योजना का हिस्सा भी है, जो शहरी परिवहन में नवाचार को बढ़ावा देने के साथ-साथ पारदर्शी और निष्पक्ष मूल्य निर्धारण प्रणाली लागू करने की दिशा में काम कर रही है। MoRTH ने कहा है कि ये दिशा-निर्देश एक ‘न्यायसंगत और पारदर्शी’ किराया प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं। हालांकि, इसकी सफलता इस पर निर्भर करेगी कि राज्य सरकारें इन्हें कैसे लागू और प्रवर्तित करती हैं।

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