बिहार में आगामी Assembly Elections 2025 से पहले सियासी सरगर्मी चरम पर है। C-Voter के ताजा सर्वे के अनुसार, मुख्यमंत्री Nitish Kumar की लोकप्रियता में स्थिरता बनी हुई है, जबकि Tejashwi Yadav की लोकप्रियता में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, Jan Suraaj अभियान के ज़रिए Prashant Kishor तेजी से राजनीतिक जमीन मजबूत करते दिख रहे हैं, जिसने राज्य के सियासी समीकरणों को और रोचक बना दिया है।
Nitish Kumar की स्थिति स्थिर, जनता में भरोसा कायम
सर्वे के मुताबिक, 58% जनता अब भी Nitish Kumar के काम से संतुष्ट है। हालांकि, उनके कमजोर स्वास्थ्य और राजनीतिक सक्रियता में कमी को लेकर चिंताएं हैं, साथ ही बार-बार बदलते political alliances ने उनकी छवि को आंशिक रूप से प्रभावित किया है। बावजूद इसके, law and order, governance और development के कुछ मोर्चों पर उनकी पकड़ अब भी कायम है।
Tejashwi Yadav की Popularity में 6% की गिरावट
C-Voter सर्वे में सामने आया है कि Tejashwi Yadav की लोकप्रियता फरवरी 2025 में 41% थी, जो जुलाई में घटकर 35% रह गई है। इसके पीछे मुख्य वजह उनके core vote bank, विशेष रूप से Yadav community में असंतोष बताया जा रहा है। Ajay Yadav की सांप्रदायिक हिंसा में मृत्यु के बाद तेजस्वी और RJD की चुप्पी ने समुदाय के एक वर्ग को नाराज किया है। यह नाराजगी RJD की पारंपरिक राजनीतिक पकड़ को कमजोर कर सकती है।
एक राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार, “Yadav समुदाय मानता है कि जब उनके हितों पर चोट हो, तो नेता को मुखर होना चाहिए। ‘पहले समाज रहेगा, तब पार्टी’—यह भावना अब गहराती जा रही है।”
Prashant Kishor: तीसरी शक्ति के रूप में उभरते
Prashant Kishor की लोकप्रियता जुलाई 2025 तक बढ़कर 18.4% तक पहुंच गई है, जो फरवरी में 14.9% थी। उनकी राजनीति caste-neutral अपील और urban-youth connect के चलते नई ऊर्जा ला रही है। ‘Jan Suraaj’ को गांवों और कस्बों में समर्थन मिल रहा है, जिससे वह Bihar politics में एक संभावित game-changer के रूप में उभर सकते हैं।
Jungle Raj बनाम Nitish Raj: पुराना नैरेटिव, नई बहस
NDA अब भी “Jungle Raj vs Nitish Raj” के नैरेटिव को चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। लालू-राबड़ी शासनकाल की तुलना में नीतीश की छवि अब भी “law and order icon” की बनी हुई है। वहीं, Tejashwi बेरोजगारी और अपराध जैसे मुद्दे उठाने के बावजूद, जनता को पूरी तरह से आकर्षित करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं।
बिहार की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर संभव है—जहां Nitish स्थिर हैं, Tejashwi संघर्ष में, और Prashant Kishor नई उम्मीद बनकर उभर रहे हैं।