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October 7, 2025

बिहार चुनाव 2025: नीतीश के लिए ‘महापरीक्षा’ और बदलती रणनीति

The CSR Journal Magazine
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को ‘सभी चुनावों की मां’ बताया है, जो कई मायनों में राज्य की सियासत को नया रंग देने वाला है। पिछले दो दशकों से बिहार की राजनीति के केंद्र में रहे नीतीश कुमार के लिए यह चुनाव शायद आखिरी परीक्षा हो सकता है। गठबंधन में बार-बार बदलाव के बावजूद वह केंद्र में बने रहे, लेकिन इस बार उनके सामने विधायकों के प्रति नाराजगी, मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप और तेजस्वी यादव व कांग्रेस की मजबूत चुनौती है। यह चुनाव महिलाओं और अति पिछड़ा वर्ग मतदाताओं के बीच उनकी लोकप्रियता की कसौटी भी होगा।

‘फ्रीबीज़’ पर दांव: मुफ्त योजनाएं बनेंगी संजीवनी?

इस बार नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार ने अपनी सामान्य रणनीति से हटकर मुफ्त योजनाओं और नकद धनराशि पर जोर दिया है। आदर्श आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले, ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ के तहत 21 लाख महिलाओं को ₹10,000 भेजे गए। कुल मिलाकर, 1.21 करोड़ महिलाओं को ₹12,100 करोड़ हस्तांतरित किए गए हैं। इसके अलावा, पेंशन राशि ₹400 से बढ़ाकर ₹1,100 प्रति माह की गई है और कई सरकारी कर्मचारियों का मानदेय बढ़ाया गया है। यह ‘फ्रीबीज़’ की रणनीति एनडीए के लिए कितनी कारगर होगी, यह देखना बाकी है।

बदलता जाति समीकरण: चिराग का साथ, साहनी का वार

गठबंधन की सियासत में बड़े बदलाव दिख रहे हैं। चिराग पासवान की लोजपा (राम विलास) अब एनडीए के साथ है, जो 2020 में जदयू को सिमटाने का कारण बनी थी। एनडीए को चिराग के 5% पासवान वोट पर भरोसा है। वहीं, वीआईपी नेता मुकेश साहनी, जो 2020 में एनडीए के साथ चार सीटें जीते थे, अब इंडिया गठबंधन में शामिल हो गए हैं। INDIA गठबंधन को उम्मीद है कि साहनी का निषाद समुदाय का समर्थन मिथिलांचल, सीमांचल और चंपारण में उनकी जीत में निर्णायक साबित होगा।

प्रशांत किशोर: भ्रष्टाचार के आरोपों से नई चुनौती

बिहार की सियासत में कई वर्षों बाद एक नया चेहरा, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर चर्चा में हैं। उन्होंने ‘जन सुराज’ पार्टी शुरू की है और उनके भ्रष्टाचार के आरोप पूरे राज्य में चर्चा का विषय बने हुए हैं। उनके अभियान ने सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधन दोनों को सतर्क कर दिया है। 2025 का यह चुनाव केवल नीतीश की विरासत की नहीं, बल्कि नए चेहरों और बदलती रणनीतियों के साथ बिहार की सियासत को एक नया आयाम देने वाला है।

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