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November 15, 2025

Akhilesh v/s Yogi: बिहार चुनाव में जिन सीटों पर अखिलेश यादव ने किया प्रचार, वे सभी हारे

The CSR Journal Magazine
Akhilesh v/s Yogi: बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार एक दिलचस्प तुलना देखने को मिली। एक तरफ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष Akhilesh Yadav का प्रचार लगभग बेअसर साबित हुआ, वहीं दूसरी ओर यूपी के मुख्यमंत्री Yogi Adityanath का प्रचार अभियान NDA के लिए गेम चेंजर बनकर उभरा। चुनावी मैदान में दोनों नेताओं की सभाओं का असर बिल्कुल विपरीत दिशाओं में जाता दिखा।

Akhilesh v/s Yogi: बिहार चुनाव में फेल हुए अखिलेश यादव, 22 सीटों में सिर्फ 2 पर जीत

महागठबंधन की तरफ से चुनाव प्रचार करने उतरे अखिलेश यादव ने 1 से 8 नवंबर के बीच बिहार की 22 सीटों पर जनसभाएं कीं। लेकिन परिणाम बेहद निराशाजनक रहे। इन 22 सीटों में से सिर्फ 2 पर महागठबंधन उम्मीदवारों को जीत मिली। यह साफ दिखाता है कि अखिलेश का Star Campaigner Impact इस बार जमीन पर काम नहीं कर पाया।

कौन-सी दो सीटें रहीं जीत वाली?

रघुनाथपुर (सीवान) — जहां ओसामा शहाब (शहाबुद्दीन के बेटे) ने जीत दर्ज की
बिस्फी (मधुबनी) — जहां आसिफ अहमद विजयी रहे
बाकी सभी सीटों पर महागठबंधन को हार का सामना करना पड़ा। यह आंकड़ा बताता है कि अखिलेश की सभाओं से Vote Transfer या Electoral Push जैसा कोई बड़ा फायदा गठबंधन को नहीं मिला। अखिलेश ने हर जगह जनता से समर्थन मांगा, लेकिन परिणाम ज़्यादातर नकारात्मक रहे।

Akhilesh v/s Yogi: CM योगी आदित्यनाथ बने NDA के Big Vote Puller

इसके उलट, NDA की तरफ से स्टार प्रचारक बनकर उतरे CM योगी आदित्यनाथ का Political Influence हर जगह दिखाई दिया। योगी ने कुल 43 सीटों पर प्रचार किया और इनमें से 32 सीटों पर NDA को शानदार बढ़त मिली। यह दर्शाता है कि Yogi Factor, Hindutva Pitch, और Governance Image ने बिहार में NDA के लिए बड़ा काम किया। जनसभाओं में उनकी लोकप्रियता और भाषण शैली ने स्पष्ट रूप से मतदाताओं को प्रभावित किया और जमीन पर वोटों में तब्दील भी किया।

NDA की बढ़त में Yogi Effect सबसे मजबूत कड़ी

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ की सभाओं का असर, कोर वोटर, युवा वर्ग, और महिलाओं पर सबसे ज्यादा दिखाई दिया। NDA की चुनावी रणनीति में योगी की आक्रामक और साफ-सुथरी छवि ने उसे मजबूत बढ़त दिलाई। Campaign Efficiency और Ground Mobilization दोनों में योगी की सभाएं बेहद असरदार रहीं।

एक तरफ फीका प्रचार, दूसरी तरफ प्रभावी नेतृत्व

बिहार चुनाव इस बात का बड़ा उदाहरण बन गया कि सिर्फ स्टार प्रचारक होना काफी नहीं, मैसेज, कनेक्ट और विश्वसनीयता ज़रूरी है। जहां अखिलेश यादव की सभाएं महागठबंधन को लाभ नहीं दिला सकीं, वहीं योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी NDA को जीत की तरफ ले जाती नजर आई। यह स्पष्ट है कि इस चुनाव में अखिलेश कमजोर साबित हुए और योगी NDA के सबसे प्रभावशाली प्रचारक बनकर उभरे।
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