बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। जहां एक ओर महागठबंधन और NDA आमने-सामने हैं, वहीं अब Chandrashekhar Azad की पार्टी Azad Samaj Party (Kanshi Ram) ने मैदान में उतरकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। पार्टी ने बुधवार को 40 Assembly Incharges की सूची जारी की है, जिनमें 10 मुस्लिम नेताओं को भी शामिल किया गया है।
यह कदम साफ तौर पर minority vote bank, विशेषकर Muslim voters को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। Chandrashekhar Azad की यह रणनीति बड़े राजनीतिक दलों के लिए चुनौती बन सकती है, जो अब तक मुस्लिम मतदाताओं को अपने पाले में मानते रहे हैं।
Azad Samaj Party की नई लिस्ट से बदले सियासी समीकरण
Azad Samaj Party ने अपने X हैंडल से पूरी सूची सार्वजनिक की। जिन विधानसभा क्षेत्रों के लिए प्रभारी घोषित किए गए हैं, उनमें नरकटियागंज से मुख्यार मियां, सिकटा से मोनिउद्दीन आलम, पिपरा से मुमताज आलम, साहेबगंज से सरफुद्दीन मोहम्मद कासिम, कांटी से इफ्तेखार ताबिश, सासाराम से शहजाद हुसैन, दमदहा से इस्तियाक आलम, रामगढ़ से हिसामुद्दीन अंसारी, बगहा से महफूज आलम, और किशनगंज से वसीम अकरम जैसे मुस्लिम चेहरे प्रमुख हैं।
जातीय और क्षेत्रीय संतुलन का प्रयास
पार्टी ने सामाजिक संतुलन साधने का प्रयास करते हुए विभिन्न जातियों और समुदायों से नेताओं को प्रतिनिधित्व दिया है। Dalit, OBC, और EBC वर्ग के नेताओं के साथ-साथ युवाओं को भी प्रमुखता दी गई है। इससे यह स्पष्ट है कि Chandrashekhar Azad की पार्टी Social Justice की अपनी विचारधारा को बिहार में मजबूत करना चाहती है।
चुनावी रणनीति पर बड़ा दांव
बिहार की राजनीति में यह पहली बार है कि Azad Samaj Party इतनी संगठित रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि पार्टी ग्राउंड पर सक्रियता बनाए रखती है, तो vote share में सेंधमारी कर सकती है, जिससे विशेषकर RJD और कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।
Azad Samaj Party की यह घोषणा न केवल सियासी हलचल का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आने वाले चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। 40 विधानसभा सीटों पर प्रभारी तय कर पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह इस बार full-fledged electoral battle के लिए तैयार है।