बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के वैज्ञानिक शुक्र ग्रह (वीनस) की सतह और वायुमंडल के रहस्यों को उजागर करने के मिशन में जुट गए हैं। यह पहल न केवल ग्रह विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि साबित होगी, बल्कि हमारे सौरमंडल के सबसे रहस्यमय ग्रहों में से एक की अंदरूनी संरचना और गतिशीलता को समझने में भी मदद करेगी। वैज्ञानिकों का मुख्य लक्ष्य वीनस की सतह की संरचना, बनावट, ज्वालामुखीय गतिविधियों और उसके बेहद घने व गर्म वातावरण के कारणों को समझना है।
ज्वालामुखीय गतिविधि का ‘डायक्स मैपिंग प्रोजेक्ट’
BHU के भूविज्ञान विभाग का शोध समूह वीनस की सतह पर मौजूद डाइक्स वे चट्टानी संरचनाएँ जो मैग्मा के ठंडा होने पर बनती हैं की मैपिंग कर रहा है। इस अध्ययन से मिलने वाली जानकारी
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वीनस की ज्वालामुखीय गतिविधियों का इतिहास
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ग्रह की आंतरिक संरचना
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संभावित “मैग्मैटिक प्लूम सेंटर” यानी लावा सक्रियता केंद्र
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ग्रह के भूगर्भीय विकास का क्रम
डाइक्स के पैटर्न का वर्गीकरण करके वैज्ञानिक यह पहचानने का प्रयास कर रहे हैं कि वीनस के भीतर किस तरह की मैग्मैटिक गतिविधियाँ हुईं और आज भी यह ग्रह सक्रिय है या नहीं।
शुक्रयान मिशन 2028 से जुड़ेगी BHU की रिसर्च
यह शोध भविष्य में इसरो (ISRO) द्वारा प्रस्तावित “शुक्रयान मिशन”, जिसका प्रक्षेपण वर्ष 2028 में निर्धारित है, के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। BHU की टीम ने हाल ही में इसरो मुख्यालय, बेंगलुरु में आयोजित राष्ट्रीय बैठक में भी हिस्सा लिया, जहाँ देश भर के वैज्ञानिकों ने मिशन के वैज्ञानिक उद्देश्यों पर चर्चा की। वर्तमान में वैज्ञानिकों को वीनस की सतह से संबंधित डेटा मिल रहा है, लेकिन शुक्रयान मिशन से ग्रह की आंतरिक संरचना का भी विस्तृत डेटा प्राप्त होगा, जिससे शोध और अधिक गहन हो सकेगा।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग: दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिक एक मंच पर
यह अध्ययन एक अंतरराष्ट्रीय शोध समूह इंटरनेशनल वीनस रिसर्च ग्रुप के तहत किया जा रहा है। इसमें कनाडा, अमेरिका, रूस, भारत और मोरक्को के वैज्ञानिक शामिल हैं। इस वैश्विक टीम का नेतृत्व कनाडा की कार्लटन यूनिवर्सिटी के डॉ. रिचर्ड अर्न्स्ट और डॉ. हफीदा एल बिलाली कर रहे हैं। BHU टीम का समन्वय विज्ञान संकाय के डीन प्रो. राजेश के. श्रीवास्तव कर रहे हैं। टीम में शोधार्थी और छात्राएं आस्था सिंह, सौम्या साहू, प्रिया त्रिपाठी और आस्था मिश्रा शामिल हैं। यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग वीनस की सतह के मानचित्रण को और अधिक सटीक बनाएगा और ग्रह विज्ञान में नई दिशा देगा।
वायुमंडल का रहस्य: इतना घना और गर्म क्यों है Venus?
वीनस को अध्ययन करने का सबसे बड़ा चुनौती उसका अत्यंत कठोर वातावरण हैI
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सतह का तापमान 450 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक
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वायुमंडल लगभग पूरी तरह कार्बन डाइऑक्साइड से भरा
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ऊपरी परतों में सल्फ्यूरिक एसिड के बादल

