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June 13, 2025

बगदाद की ऐतिहासिक अल-मुतनब्बी स्ट्रीट, जहां रात में सड़क पर सजती है किताबों की महफ़िल 

Al Mutanabbi Street Baghdad: बगदाद, एक ऐसा शहर जो इतिहास और संस्कृति से गहराई से जुड़ा हुआ है, ऐसे स्थलों से भरा हुआ है जो एक अनूठी कहानी रखते हैं। इनमें से एक अल-मुतनब्बी स्ट्रीट है, जो एक साहित्यिक नखलिस्तान के रूप में मशहूर है। यहां का ऐतिहासिक पुस्तक बाज़ार रात के समय, जब सभी दुकानें बंद होती हैं, किताबों को सड़क पर रखने के लिए जाना जाता है। क्यों? क्योंकि यहां के लोगों का मानना है, “पढ़ने वाला चोरी नहीं करता और चोर पढ़ता नहीं है।”

अल मुतनब्बी- हज़ार साल पुरानी साहित्य की गलियां

एक हज़ार साल से भी ज़्यादा पुराने इतिहास वाली इस गली का नाम 10वीं सदी के मशहूर अरब कवि अल-मुतानबी के नाम पर रखा गया है। ऐसा कहा जाता है कि यह चहल-पहल वाली गली लंबे समय से लेखकों, कवियों और पुस्तक प्रेमियों का केंद्र रही है। अल-मुतनब्बी गली में किताबों की असीम आपूर्ति के कारण, यह मेसोपोटामिया के कभी न खत्म होने वाले राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों का गवाह रही है।
अल-मुतनब्बी स्ट्रीट का उद्घाटन सबसे पहले 1932 में किंग फैसल-1 ने किया था। अब पुराने बगदाद के दिल में एक संकरी गली, अल-मुतनब्बी ने लंबे समय से छात्रों और युवाओं को आकर्षित कर रखा है। अल मुतनब्बी का चहल-पहल वाला मार्ग लंबे समय से बगदाद का सांस्कृतिक और बौद्धिक केंद्र रहा है, जो अपने पुस्तक बाजार और साहित्यिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। हर शुक्रवार को, यह सड़क पुस्तक प्रेमियों, बुद्धिजीवियों और धार्मिक ग्रंथों और इतिहास से लेकर समकालीन साहित्य और शैक्षिक सामग्री तक की पुस्तकों की एक विस्तृत श्रृंखला बेचने वाले विक्रेताओं से जीवंत हो जाती है। सड़क के आसपास कई पारंपरिक कॉफ़ीहाउस, चाय की दुकानें और स्टेशनरी की दुकानें हैं जहां दशकों से लेखक, कवि और विचारक आते रहे हैं। रात में दुकानदार अल मुतनब्बी की सड़कों पर किताबें खुली बिछी हुई छोड़ देते हैं ताकि लोग इनका भरपूर फायदा ले सकें। 2007 में हुई उथल-पुथल भरी घटनाओं के बावजूद, अल मुतनब्बी स्ट्रीट इराकी लचीलेपन और विरासत का प्रतीक बनी हुई है। यह 2007 में एक दुखद कार बम विस्फोट का स्थल था, जिसके परिणामस्वरूप काफी नुकसान हुआ था। हालांकि, समुदाय के दृढ़ संकल्प ने सड़क की बहाली और सीखने और स्वतंत्र विचार के केंद्र के रूप में इसकी विरासत को जारी रखने का मार्ग प्रशस्त किया।

बम धमाके ने बदल दी थी अल मुतनब्बी की कहानी

5 मार्च 2007 को इराक की राजधानी बगदाद की ऐतिहासिक अल-मुतनब्बी स्ट्रीट पर एक भीषण बम विस्फोट हुआ। यह एक कार बम विस्फोट था। विस्फोट के समय सड़क पर बड़ी संख्या में आम नागरिक, छात्र और दुकानदार मौजूद थे। इसमें करीब 30 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 100 से अधिक घायल हुए। पूरा इलाका ध्वस्त हो गया, खासकर किताबों की दुकानों और कैफे को गंभीर नुकसान हुआ। यहां पर हजारों किताबें, पांडुलिपियाँ और साहित्यिक धरोहर मौजूद थीं, जो विस्फोट में नष्ट हो गईं। अल मुतनब्बी का हमला न सिर्फ लोगों की जान पर कहर था, बल्कि इराक की बौद्धिक विरासत पर एक हमला माना गया। इस घटना ने पूरी दुनिया में बुद्धिजीवियों, लेखकों और पाठकों को स्तब्ध कर दिया। इसने यह दिखाया कि चरमपंथ सिर्फ शरीर नहीं, विचारों को भी नष्ट करना चाहते थे।

अल क़ायदा पर उठी थीं उंगलियां

अल मुतनब्बी स्ट्रीट में हुए हमले की जिम्मेदारी किसी भी संगठन ने आधिकारिक रूप से नहीं ली थी। लेकिन, उस समय इराक में अल-कायदा से जुड़े सुन्नी आतंकवादी गुट कई जगहों पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए नागरिक इलाकों को निशाना बना रहे थे। इसलिए इस हमले के पीछे भी अल-कायदा इन इराक (Al-Qaeda in Iraq) या उससे जुड़े कट्टरपंथी गुटों का हाथ माना गया। अल-मुतनब्बी स्ट्रीट एक शिया बहुल इलाका माना जाता था और उस समय सुन्नी-शिया संघर्ष चरम पर था। यह इलाका शिक्षा, साहित्य, स्वतंत्र सोच और संवाद का प्रतीक था, जो कट्टरपंथियों के वैचारिक विरोध में आता है। ऐसे हमले आम तौर पर सांप्रदायिक हिंसा फैलाने, आम नागरिकों में डर पैदा करने और संस्कृति तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने के उद्देश्य से किए जाते थे।
हमले के विरोध में दुनिया भर में साहित्यिक समुदाय ने “Al Mutanabbi Street Starts Here” जैसे अभियानों की शुरुआत की, जिसमें पुस्तकों और लेखन के ज़रिए सांस्कृतिक स्वतंत्रता की रक्षा का संदेश दिया गया।

बुद्धिजीवियों और साहित्य प्रेमियों की जन्नत ‘अल मुतनब्बी’

समय के साथ अल मुतनब्बी का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है। अब अल मुतनब्बी स्ट्रीट सबसे शानदार कला प्रदर्शनियों, गैलरी उद्घाटन, पुस्तक मेलों और त्यौहारों का केंद्र बन गया है, जो उस स्वर्णिम युग को श्रद्धांजलि देता है जब बगदाद को अरब दुनिया की सांस्कृतिक राजधानियों में से एक माना जाता था।
एक दशक से भी ज़्यादा पहले, एक बम धमाका हुआ, जिसने सड़क के दिल को झकझोर कर रख दिया था। इन सबके बावजूद अल मुतनब्बी का हौसला पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत है।
यहाँ की एक खास बात है यहां के फुटपाथों पर स्थित देहाती कैफै! ये कैफ़े लंबे समय से कवियों और बुद्धिजीवियों के लिए एक मीटिंग पॉइंट रहे हैं,जहां वे जीवंत चर्चा करते हैं और मज़बूत अरबी कॉफ़ी के प्यालों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। स्थानीय लोगों के लिए, यह सिर्फ़ किताबों का बाज़ार नहीं है, यह बगदाद की समृद्ध साहित्यिक विरासत और संस्कृति का जीवंत प्रमाण है। यह इस बात की याद दिलाता है कि साहित्य की शक्ति प्रतिकूल परिस्थितियों में भी कैसे पनपती है!

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