देश के कई ऐसे जिले है जहां कुपोषण अभी भी एक समस्या है। कुपोषण से निपटने के लिए राज्य और केंद्र कई योजनाएं चला रही है लेकिन फिर भी कुपोषण की समस्या से निजात पाने में देरी हो रही है। सरकारी कुपोषण की ये योजनाएं पूरक ना होते हुए कई बार ऐसे मामले सामने आते है जिससे समाज पर एक धब्बा लगता है। कुपोषण से निजात पाने के लिए कॉरपोरेट भी आगे आ रहे है। Corporate Social Responsibility की मदद से Malnutrition in India पर मात पाने की कोशिश की जा रही है। कुपोषण से लड़ने के लिए अदाणी की ये सीएसआर प्रोजेक्ट बहुत सराहनीय है जिसकी खुद प्रीति अदाणी मॉनिटरिंग करती हैं।
दरअसल प्रोजेक्ट सुपोषण (Project Suposhan) अदाणी विल्मर (Adani Wilmar) की एक सीएसआर पहल है। जिसे अदाणी फाउंडेशन (Adani Foundation) द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। POSHAN Abhiyaan aims to achieve improvement in key nutrition parameters for both children and women. यह राष्ट्रीय पोषण मिशन ( Poshan Abhiyaan – Jan Andolan) के माध्यम से कुपोषण मुक्त भारत (कुपोषण मुक्त भारत) प्राप्त करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप है। इसे आंगनबाड़ी केंद्रों और फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर को पर्याप्त मदद करने के लिए रणनीतिक रूप से डिजाइन किया गया है।
खुद प्रीति अदाणी करती हैं प्रोजेक्ट सुपोषण की मॉनिटरिंग
अदाणी विल्मर (Adani Wilmar) की प्रोजेक्ट सुपोषण (Project Suposhan) को खुद Priti Adani मॉनिटर करती है। ये इससे पता चलता है कि हालही में Adani Foundation की अध्यक्ष प्रीति अदाणी ने गुजरात के आदिवासी जिले का किया दौरा और सुपोषण को बढ़ावा देने वाले स्वयंसेवकों से की मुलाकात की। Adani Foundation – अडानी फाउंडेशन की चेयरपर्सन Dr. Priti Adani ने नर्मदा जिले का दौरा किया। यहां अदाणी फाउंडेशन साल 2018 से सभी पांच प्रशासनिक ब्लॉकों (डेडियापाड़ा, गरुड़ेश्वर, तिलकवाड़ा, सागबारा और नंदोद) में फॉर्च्यून सुपोषण परियोजना चला रहा है। इस परियोजना का लक्ष्य भारत के 11 राज्यों में 14 सीएसआर साइटों पर महिलाओं और बच्चों (Woman and Child Development) (0 – 5 वर्ष की आयु) में कुपोषण से निपटना है।
गुजरात में प्रोजेक्ट सुपोषण से खत्म हो रहा है कुपोषण
हम आपको बता दें कि Narmada जिला ना सिर्फ एक आदिवासी जिला है बल्कि नर्मदा को भारत सरकार द्वारा आकांक्षी जिले (Gujarat Aspirational District) के रूप में नामित किया गया है, जो सुपोषण 38,388 बच्चों, 7,991 लड़कियों और 12,382 महिलाओं को कवर कर रहा है। इस दौरान डॉ. प्रीति अदाणी ने सुपोषण परियोजना टीम और 215 सुपोषण संगिनियों यानी ग्राम स्तर के स्वयंसेवकों को संबोधित किया और उनकी सराहना की। जिन्हें जिले में कुपोषण और एनीमिया को कम करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने नर्मदा के चुनौतीपूर्ण इलाके में सबसे कमजोर आबादी तक पहुंचने में उनके समर्पण की सराहना की। बहरहाल जैसे-जैसे भारत उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है वैसे स्वास्थ्य और पोषण के मापदंडों के मामले में देश को पीछे नहीं रहना चाहिए। सही पोषण से ही बच्चे और महिलाएं मजबूत और सशक्त होंगी जिससे सशक्त भारत का निर्माण होगा। इस दृष्टिकोण के साथ, अडानी फाउंडेशन सुपोषण परियोजना के माध्यम से पोषण अभियान को पूरक बना रहा है।