प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लोगों को एक सौगात मिलने वाली है, वाराणसी जाने वाले सभी हवाई यात्रियों के साथ साथ आम वाराणसी की जनता को बहुत जल्द एक अत्याधुनिक मेडिकल की सुविधाएं मिलनेवाली है, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी यानि सीएसआर फंड से बहुत जल्द ही वाराणसी में एक और अत्याधुनिक मेडिकल उपकरणों से लैस अस्पताल बनाया जायेगा। इस अस्पताल का निर्माण एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के CSR फंड से बनाया जायेगा।
Airport Authority Of India वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लगभग 4.25 करोड़ खर्च कर Corporate Social Responsibility के तहत ये अस्पताल बनवा रही है जिसके लिए टेंडर भी जारी किये जा चुके है। लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट, वाराणसी से बेहद पास ये अस्पताल बन रहा है, बड़ागांव के बसनी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की खाली जमीन पर जल्द ही काम शुरू हो जायेगा। इस अस्पताल में 6 High Dependency Unit और दो ICU बनेंगी जो अत्याधुनिक चिकित्सकीय सुविधाओं से लैस होंगी।
लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट, वाराणसी के निदेशक आकाश दीप माथुर ने The CSR Journal से ख़ास बातचीत करते हुए बताया कि “एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लगातार वाराणसी में CSR एक्टिविटीज करती रहती है, हमारे सीएसआर के तहत 4.25 करोड़ रुपये की लागत से ये अस्पताल बनाया जा रहा है। अस्पताल के इंफ्रास्ट्रक्चर पर AAI 3.5 करोड़ खर्च करेगी तो वही मेडिकल उपकरणों पर 76 लाख रुपये। ये अस्पताल उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ विभाग की मदद में बनाया जा रहा है। यूपी सरकार की हेल्थ डिपार्टमेंट ने Airport Authority Of India के पास प्रपोज़ल भेजा था जिसको मंजूर करते हुए जल्दी ही अस्पताल की सौगात जनता को सौप दी जाएगी”।
आम जनता के साथ हवाई यात्रियों को भी मिल सकेंगी सेवाएं
पहले एयरपोर्ट के पास कोई अत्याधुनिक अस्पताल नहीं होने की वजह से विमान से सफर करने वाले यात्रियों की तबीयत बिगडऩे व आपातकालीन समय में उन्हें तत्काल मेडिकल उपचार के लिए दूसरे बड़े अस्पतालों में ले जाना मज़बूरी रहती थी। एयरपोर्ट के मुख्य टर्मिनल में एक मेडिकल इमरजेंसी रूम था लेकिन किसी यात्री की तबीयत बिगडऩे पर उसे केवल प्राथमिक उपचार ही मिल पाती थी। अब सीएसआर के तहत बन रहे इस अस्पताल में इलाज ना सिर्फ हवाई यात्रियों की होगी बल्कि आसपास की जनता भी इसका फायदा उठाएगी।
पहले भी एयरपोर्ट पर कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें बीमार यात्रियों को अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उनकी मौत हो गयी। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो साल 2016 से अब तक 12 लोगों की जान महज इसलिए जा चुकी है, क्योंकि यहां आसपास में अत्याधुनिक अस्पताल नहीं था। एयरपोर्ट प्रशासन की माने तो टेंडर प्रक्रिया मार्च तक पूरी हो जाएगी और उसके बाद नौ माह में हॉस्पिटल बनकर तैयार हो जाएगा। हॉस्पिटल बनने के बाद उसे जिला प्रशासन को सौंप दिया जाएगा।