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अभिशाप नही है कुष्ठ रोग, जानें क्या है लेप्रोसी का इलाज

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मानव शरीर ईश्वर की बेहद ही खूबसूरत रचना है। स्वस्थ शरीर इंसान की सबसे बड़ी पूंजी है। लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं, जो हमें शारीरिक रूप से तो हानि पहुंचाती ही हैं, साथ ही मानसिक और सामाजिक रूप से भी आघात पहुंचाती हैं| ऐसी ही बीमारी लेप्रोसी (Leprosy) यानी कुष्ठ रोग है। यह विश्व की सबसे पुरानी और खतरनाक बीमारियों में से एक है। इसके नाम से ही लोगों के मन में हीन भावना उत्पन्न हो जाती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इस बीमारी के कारण रोगी का शरीर विकृत हो जाता है। दूसरा कारण इससे जुड़ी कुछ गलत धारणाएं भी हैं।

कुष्ठ रोग अभिशाप नहीं बल्कि इलाज से दूर होने वाला रोग है

कुष्ठ रोग को ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग पूर्व जन्म या देवी का प्रकोप और अभिशाप मानते हैं। लेप्रोसी (Leprosy) यानी कुष्ठ रोग के इस बीमारी को लेकर लोगों में अंधविश्वास है। इसलिए हमारी सोसायटी में लंबे वक्त तक इस बीमारी को शाप या भगवान द्वारा दिया गया दंड माना जाता रहा। लेकिन ऐसा है नहीं। कुष्ठ रोग या कोढ़ की बीमारी ठीक हो सकती है। आज विश्व लेप्रेसी डे है (World Leprosy Day 2021)। यानी कुष्ठ रोग को समर्पित दिवस। ताकि लोगों के बीच इस बीमारी को लेकर जागरूकता बढ़े और लोग इसके इलाज को महत्व दें ना कि इसे कोई शाप समझें। यह अभिशाप नहीं बल्कि इलाज से दूर होने वाला रोग है।

क्यों होता है लेप्रोसी, कुष्ठ रोग

लेप्रोसी एक संक्रामक रोग है। जो माइकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। इस बैक्टीरिया की खोज 1873 मे नार्वे के एक फिजीशियन ‘गेरहार्ड हेंसन’ ने की थी। इन्हीं के नाम पर इसे ‘हेंसन का रोग’ भी कहा जाता है। यह बैक्टीरिया मुख्य रूप से मानव त्वचा, ऊपरी श्वसन पथ, तंत्रिकाओं, आंखों और शरीर के अन्य हिस्सों को प्रभावित करता है। इस रोग में शरीर गलने के कारण विकृत हो जाता है। यह बीमारी बहुत धीमी रफ्तार से ग्रो होनेवाले बैक्टीरिया से फैलती है इसलिए पूरी तरह इसके लक्षण सामने आने में कई बार 4 से 5 साल का समय भी लग जाता है।

लेप्रोसी के 60 फीसदी मरीज भारत में हैं

दुनिया में हर साल कुष्ठ रोग के करीब दो लाख नए केस सामने आते हैं। इनमें 60 फीसदी मरीज भारत में हैं। साल 2019 में देश में कुष्ठ रोग के एक लाख 14 हजार नए केस सामने आए। हालांकि अब यह रोग धीरे-धीरे कम हो रहा है। समय पर इसका इलाज करने और नियमित दवा लेने से इसका इलाज किया जा सकता है। कुष्ठ रोग के केसों में कमी आने का एक कारण लोगों में आई जागरूकता है। इसमें देश भर में जागरूकता मुहिम चलाने वाले कई हजार वालंटियर भी हैं। भारत में कुष्ठ रोगियों का मुफ्त इलाज किया जाता है। देश में कुष्ठ रोग के सबसे ज्यादा केस उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिम बंगाल, दादर नागर हवेली में सामने आते हैं। कुष्ठ रोगी को 12 महीने नियमित दवा खानी होती है। इलाज में देरी से अपंगता की संभावना भी बढ़ जाती है।

क्या छुआछूत की बीमारी है लेप्रोसी?

क्या छुआछूत की बीमारी है लेप्रोसी? ये सवाल अक्सर लोगों में मन में आता है लेकिन सच्चाई इससे परे है। लेप्रसी यानी कोढ़ एक ऐसी बीमारी है जो हवा में मौजूद बैक्टीरिया के जरिए फैलती है। हवा में ये बैक्टीरिया किसी बीमार व्यक्ति से ही आते हैं। इसलिए इसे संक्रामक रोग भी कहते हैं। यानी यह संक्रमण या कहिए कि सांस के जरिए फैलती है। लेकिन यह छुआछूत की बीमारी बिल्कुल नहीं है। अगर आप इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति से हाथ मिलाएंगे या उसे छू लेंगे तो आपको यह बीमारी बिल्कुल नहीं होगी। लेकिन अगर उसके खांसने, छींकने से लेप्रै बैक्टीरिया हवा में डिवेलप कर लेता है और आप उस हवा में सांस लेकर नमी के उन कणों को अपने अंदर ले लेते हैं तो संभावनाएं बन सकती हैं कि आप इस बीमारी से संक्रमित हो जाएं।

लेप्रोसी यानी कुष्ठ रोग के लक्षण

लेप्रसी या कोढ़ के दौरान हमारे शरीर पर सफेद चकत्ते यानी निशान पड़ने लगते हैं। ये निशान सुन्न होते हैं यानी इनमें किसी तरह का सेंसेशन नहीं होता है। अगर आप इस जगह पर कोई नुकीली वस्तु चुभोकर देखेंगे तो आपको दर्द का अहसास नहीं होगा। ये पैच या धब्बे शरीर के किसी एक हिस्से पर होने शुरू हो सकते हैं, जो ठीक से इलाज ना कराने पर पूरे शरीर में भी फैल सकते हैं। सिर्फ चुभन ही नहीं बल्कि लेप्रसी के मरीज को शरीर के विभिन्न अंगों और खासतौर पर हाथ-पैर में ठंडे या गर्म मौसम और वस्तु का अहसास नहीं होता है। प्रभावित अंगों में चोट लगने, जलने या कटने का भी पता नहीं चलता है। जिससे यह बीमारी अधिक भयानक रूप लेने लगती हैं और शरीर को गलाने लगती है।

क्या है लेप्रोसी यानी कुष्ठ रोग का इलाज?

लेप्रसी का इलाज संभव है। मल्टी ड्रग थेरेपी इसका सबसे सफल और असरदार उपचार है। इसके उपचार के लिए अधिकांश लोगों को हॉस्पिटल जाने की जरूरत ही नहीं होती है। इसका उपचार लेप्रोसी के प्रकार पर निर्भर करता है। जो 6 से 24 महीने तक चलता है| जितना अर्ली स्टेज में इसकी पहचान हो, उपचार आसानी से संभव है।

लेप्रोसी यानी कुष्ठ रोग के खात्मे में सीएसआर (CSR) की महत्त्वपूर्ण भूमिका

जिस तरह से टीबी, एड्स जैसी बिमारियों के खात्मे के लिए देश के कॉर्पोरेट्स भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर रहें हैं, ठीक उसी तरह कॉर्पोरेट्स लेप्रसी को खत्म करने के लिए काम कर रही है। कॉर्पोरेट्स अपने सीएसआर (CSR – Corporate Social Responsibility) फंड का इस्तेमाल लेप्रसी के प्रति जागरूकता और इसके इलाज के लिए खर्च कर रही हैं। नोवार्टिस, इस्कॉन, टाटा मोटर्स, जेएम फाइनेंस समेत कई फार्मा कंपनीज लेप्रसी बीमारी के खात्मे पर काम कर रही है।

राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी – National Leprosy Eradication Programme)

साल 1955 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय कुष्ठ रोग नियंत्रण कार्यक्रम यानी  National Leprosy Eradication Programme शुरू किया था। वर्ष 1982 से मल्टी ड्रग थेरेपी की शुरुआत के बाद, देश से रोग उन्मूलन के उद्देश्य से वर्ष 1983 में इसे राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) के रूप में बदल दिया गया। वर्ष 2005 में हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर कुष्ठ रोग का उन्मूलन किया गया है लेकिन अब भी विश्व के लगभग 60 फीसदी कुष्ठ रोगी भारत में रहते हैं।