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March 6, 2025

41 साल बाद आया फैसला, 39 साल की उम्र में बैंक फ्रॉड, 78वें साल में सजा

दिल्ली की निचली अदालतों में चल रहे सबसे पुराने केसों में से एक में आखिरकार फैसला आ गया। 1986 में पहली बार दर्ज किए गए एक बैंक फ्रॉड मामले में पिछले पांच महीने से सुनवाई चल रही थी। राउज एवेन्यू कोर्ट के CJM दीपक कुमार ने इस मामले में अपना फैसला दे दिया है। साल 1986 में ये मामला पहली बार दर्ज किया गया था। पिछले पांच सालों से इस केस की फाइल 11 जजों के चैंबर से होकर गुजरी। कुछ छह महीने पहले ये मामला दीपक कुमार की कोर्ट के पास आया। अब मामले में आरोपी एसके त्यागी ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है वो भी 39 सालों बाद।

क्या है पूरा मामला

हम आपको बता दें कि 20 मार्च, 1986 को पंजाब एंड सिंध बैंक, नई दिल्ली के रीजनल मैनेजर और बैंक के चीफ विजिलेंस ऑफिसर द्वारा धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए दो शिकायतें दर्ज कराई गई थी। इन दोनों को एक साथ जोड़कर CBI ने ये मामला दर्ज किया। इसके दो साल बाद 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। आरोप था कि आरोपियों ने धोखाधड़ी करके और अपने खातों में अवैध रूप से पैसे जमा करके बैंक को 32 लाख रुपये का नुकसान पहुंचाया है। त्यागी पर 1984-85 में खातों में हेराफेरी करके, गलत क्रेडिट एंट्री करके और खाते में बिना कोई पैसा हुए चेक क्लियर करके पंजाब एंड सिंध बैंक को धोखा देने का आरोप लगा था।

2001 में आरोप तय किए गए

मामले में चार्जशीट दाखिल होने के 13 साल बाद, यानी 28 मई 2001 को तीस हजारी कोर्ट के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट जेपीएस मलिक ने सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 477 ए (खातों में हेराफेरी) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप तय किए।
रिपोर्ट के मुताबिक 2001 से 2019 के बीच इस मामले की प्रगति के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिली। तीस हजारी में ये मामला चल रहा था, लेकिन केस के रिकॉर्ड वहां नहीं मिल सके। जुलाई 2019 में ये मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया। पिछले छह साल से त्यागी समेत चार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है। इनमें से दो, सुभाष गर्ग और आरके मल्होत्रा की मौत हो चुकी है। गर्ग की मौत राउज एवेन्यू कोर्ट में केस आने से पहले हो गई। जबकि मल्होत्रा की मौत 19 अप्रैल, 2021 को हुई थी।

39 साल बाद अपराध स्वीकारा

24 जनवरी को त्यागी कोर्ट पहुंचे। 39 साल बाद मामले में उन्होंने अपना अपराध स्वीकार करने का फैसला किया था। CJM कुमार ने त्यागी की अर्जी देखते हुए कहा, “मैं आपको अपने फैसले पर विचार करने के लिए एक सप्ताह का समय दे रहा हूं.” हालांकि, त्यागी अपने फैसले पर अडिग रहे। 29 जनवरी को त्यागी जज कुमार की अदालत के समक्ष फिर से पेश हुए। अदालत से सजा में नरमी बरते जाने की मांग करते हुए त्यागी ने कहा कि वो 78 वर्ष के हैं और उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है। उन्होंने अदालत को ये भी बताया कि उनकी पत्नी की आय पर वो निर्भर हैं। उनकी पत्नी को पार्किंसंस रोग है। त्यागी ने ये भी बताया कि बैंक से लिया गया पैसा वन-टाइम सेटलमेंट (OTS) के रूप में बैंक को वापस कर दिया गया था।

जज ने ये सुनाया फैसला

“दोषी ने पश्चाताप करने की सच्ची इच्छा दिखाई है, इसलिए उसे सुधार के लिए उचित अवसर दिया जाना चाहिए। ताकि वो देश का एक उपयोगी नागरिक बन सके। साथ ही, दोषी को ऐसी सजा दी जानी चाहिए जो अन्य समान विचारधारा वाले लोगों को अपराध की दुनिया में प्रवेश करने से रोके.” बता दें कि अदालत के उठने तक की सज़ा के तहत आरोपी व्यक्ति को अदालत के बंद होने तक हिरासत में रहना होता है। त्यागी पर प्रत्येक अपराध के लिए 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
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