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अब चल पड़ेगी आशियाने की ख्वाहिश

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रोटी कपड़ा और मकान की जरूरतों को पूरा करने की जद्दोजहद में मकान को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है, इससे एक छत की ख्वाहिश रखने वाले इंसान के सपनों को बल मिलेगा, ताउम्र कमाने के बाद भी हम आप एक आशियाना तक नही ले सकते और शहरी इलाकों में तो ये फासला और भी बढ़ता जा रहा है, ऐसे में नरेंद्र मोदी सरकार का आवास को लेकर अर्थशास्त्र के जानकार एक बड़ी पहल मान रहे है। दरअसल अर्थव्यवस्था की सुस्त हो रही रफ़्तार और रियल स्टेट को संभालने के लिए रुकी पड़ी आवास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 25 हज़ार करोड़ रुपये के विशेष कोष का सरकार गठन करेगी जिससे रियल स्टेट सेक्टर को सहारा मिल सकता है।
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया और फिर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका एलान करते हुए कहा कि इसमें 10 हज़ार करोड़ रुपए केंद्र सरकार देगी। इसके अलावा इसमें जीवन बीमा निगम और स्टेट बैंक जैसी सरकारी कंपनियाँ भी पैसे डालेंगी। निर्मला सीतारमण ने बताया कि निजी क्षेत्र की कंपनियाँ भी इसमें सहयोग कर सकती हैं। वित्त मंत्रालय की माने तो लगभग 1,600 आवास परियोजना अलग-अलग स्थितियों में रुकी पड़ी हैं, जिनमें लगभग 4.58 लाख घर बन रहे हैं। ऐसे में सरकार का ये फैसला ना सिर्फ होम बायर के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि इससे रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। रियल एस्टेट सेक्टर के साथ साथ सीमेंट, आयरन, स्टील इंडस्ट्री भी अपने बुरे दौर से गुजर रही हैं लिहाजा 25 हज़ार करोड़ रुपये उनके लिए रामबाण साबित होगा।
रिएल एस्टेट डेवलपर्स की एसोसिएशन ने इस कदम का स्वागत किया है। उसका कहना है कि अब सिर्फ नेटवर्थ पॉजिटिव होने की शर्त बची है। फंड की जल्द उपलब्धता और इस स्कीम का फायदा लेने की योग्यताओं के संबंध में प्रभावी फैसले से घर खरीदारों की समस्याएं दूर होंगी। यहां बताना जरूरी है कि अगर किसी यूनिट का एक प्रॉजेक्ट शुरू हुआ है और पूरा नहीं हो पाया है, उसे ये सरकार के स्कीम की मदद मिलेगी लेकिन उसी कंपनी का दूसरा प्रॉजेक्ट जो शुरू नहीं हुआ है, उसे इसका फायदा नहीं मिलेगा। बहरहाल उन बायर्स के लिए बड़ी राहत है जो अपनी जिंदगी का पाई पाई लगाकर प्रोजेक्ट शुरू होते हुए ही इन्वेस्ट कर देते है लेकिन फंड की कमी का रोना रोककर बिल्डर बिल्डिंग तय सीमा में नही बना पाता और ग्राहक अधर में लटके रहते है।