संसद में मंगलवार को सीएसआर फंड पर कई सवाल जवाब हुए। कई सांसदों ने सीएसआर फंड को लेकर सवाल किये वहीं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब दिए। आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले सात सालों में विभिन्न कंपनियों द्वारा Corporate Social Responsibility Funds (CSR) के तहत करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
1.2 लाख करोड़ रुपये सीएसआर में से चार से पांच फीसदी पीएम केयर्स फंड में दिया गया
सरकार की ओर से मंगलवार को राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कॉरपोरेट मामलों के मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने बताया कि पिछले सात सालों में विभिन्न कंपनियों द्वारा कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं और उनका महज चार से पांच फीसदी ही पीएम केयर्स फंड में दिया गया है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान ये भी बताया कि पीएम केयर्स (PM Cares Fund) फंड में दिया गया सीएसआर राशि कोविड-19 महामारी के दौरान दी गई थी।
सीएसआर खर्च में पूर्वोत्तर सबसे पीछे
देश भर की तुलना में पूर्वोत्तर राज्यों में सबसे कम CSR खर्च हुए है। मंत्री ने राज्यसभा में सीएसआर का ब्यौरा देते हुए कहा कि सीएसआर कोष के तहत कुछ राज्यों में राशि ज्यादा खर्च हुई है और पूर्वोत्तर में इस कोष के तहत खर्च हुई राशि काफी कम है। अबतक नागालैंड में तो महज आठ करोड़ रुपये की राशि ही खर्च की गई है।
एक सांसद के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि सीएसआर कोष से खर्च करने के लिए क्षेत्र की बाध्यता नहीं है और यह देश में कहीं भी खर्च किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार इस संबंध में कंपनियों को निर्देश नहीं दे सकती कि वह राशि कहां खर्च करनी है। उन्होंने कहा कि मौजूदा कंपनी कानून में इस बात का प्रावधान है कि कंपनी स्थानीय क्षेत्र व अपने परिचालन के आस-पास के क्षेत्रों को वरीयता दे लेकिन सीएसआर खर्च करने के लिए क्षेत्र की बाध्यता नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार का जोर है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (Public Sector Undertaking) सीएसआर के तहत अपनी 60 प्रतिशत राशि पिछड़े व आकांक्षी जिलों यानी एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट (CSR in Aspirational District) में खर्च करें।