तस्वीर में दिख रहे ये हैं अजीत पड़वलकर और डॉ. गौरव गुप्ता, अजीत पड़वलकर के चेहरे पर मुस्कराहट है। परिवार में खुशियां है क्योंकि अजीत को एक ऐसी जीत मिली है जिससे अजीत को नई जिंदगी मिल गयी है। दो साल पहले अजीत की जिंदगी में भूचाल सा आ गया जब उनको एक ऐसी बीमारी का पता चला। कुछ साल पहले अजीत को लिवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis) हो गया था। शुरुआती दिनों में अजीत को लगा कि वो किसी सामान्य बीमारी से जूझ रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं था, अजीत का टॉयलेट काला होता था, कभी-कभी मुंह से खून निकलता, भूख नहीं लगती थी। एक ऐसा भी वक़्त आया जब अजीत के पेट में 5 लीटर तक पानी भर गया।
कई जानलेवा बीमारी का सफल इलाज होता है ऑर्गन ट्रांसप्लांट
अजीत पड़वलकर ने अपना इलाज मुंबई के मुलुंड फोर्टिस में करवाना शुरू किया। तमाम टेस्ट होने के बाद अब ये पता चल चुका था कि अजित को लिवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis) हो गया है। Fortis Hospital मुलुंड में Dr. Gaurav Gupta, Chief Surgeon, Dept. of Liver Transplant and HPB Surgery के अंडर में अजीत का इलाज शुरू हुआ। अजीत की हालत बिगड़ती जा रही थी। आलम ये हो गया था कि अजीत का वजन 20 किलो कम हो गया था। पहले अजीत का वजन 66 किलो था जो घटकर 46 किलो हो गया था। यहां तक कि अड़ोस पड़ोस के लोग अजीत को पहचान भी नहीं पा रहे थे। अजीत का लिवर पूरी तरह से खराब हो गया था।

Organ Donation से ही होता है Organ Transplant
डॉक्टर गौरव गुप्ता ने सफल इलाज के लिए अजीत को लिवर ट्रांसप्लांट (Organ Donation) का सुझाव दिया। लिवर ट्रांसप्लांट इतना आसान भी नहीं था क्योंकि Organ Donation में सबसे बड़ी दिक्कत डिमांड और सप्लाई की आती है। जितना ऑर्गन डोनेशन की डिमांड होती है उतना ऑर्गन डोनेशन होता नहीं है इसलिए चाहे लिवर ट्रांसप्लांट (Liver Transplant) हो या किडनी (Kidney Transplant) या हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) वेटिंग बहुत ज्यादा होता है। कई बार ऐसे केसेस आते है कि बेनिफिशरी Organ के इंतज़ार में इस दुनिया से चला जाता है फिर भी उसका वेटिंग खत्म नहीं होता।
