धरती, जमीन का वो टुकड़ा, जिसपर खड़े होकर हम पले बढ़े, हमारी पूरी जिंदगानी बनी, जिसे हम अपनी मां का दर्जा देंतें है। धरती मां से पूरी जिंदगी हम लेते ही रहते है, लेकिन जब बारी आती है कुछ देने का हम तो अपनी धरती मां को क्या देंतें है, प्रदूषण, कई ऐसे धरती के लाल होते है जिनकी पूरी ज़िंदगी निकल जाती है लेकिन अपने जीवनकाल में एक पेड़ तक नही उगाया होता है। आज उसी धरती का कर्ज चुकाने का दिन है, आज दिन पर्यावरण संरक्षण का, आज दिन है शपथ लेने का कि हम अपने पर्यावरण को दूषित नही होने देंगे, आज दिन है कसम खाने का कि हम अपनी पृथ्वी पर कोई आंच नही आने देंगे। आज पृथ्वी दिवस (Earth Day) है।
क्यो मनाया जाता है पृथ्वी दिवस
महात्मा गांधी ने कहा था कि प्रकृति में इतनी ताक़त है कि वह मनुष्य की हर जरूरत पूरा कर सकती है लेकिन लालच नहीं। यही कारण है कि पृथ्वी के संरक्षण को लेकर 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। पृथ्वी पर रहने वाले तमाम जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों को बचाने तथा दुनिया भर में पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लक्ष्य के साथ 22 अप्रैल के दिन ‘पृथ्वी दिवस’ यानि‘ अर्थ डे’ मनाने की शुरूआत की गई थी। यह पृथ्वी दिवस की पचासवीं वर्षगांठ भी है। 22 अप्रैल 1970 को अमेरिका के लगभग दो करोड़ लोग, जो उस समय अमेरिका की आबादी के दस फीसद के बराबर थे, पर्यावरण की रक्षा के लिए पहली बार सड़कों पर उतरे थे। अमेरिकी जनता की इस पहल को आधुनिक पर्यावरण आंदोलन का प्रारंभ माना जाता है।
इस शुरुआत के समय किसी ने सोचा तक नहीं था कि पृथ्वी दिवस दुनिया के सबसे बड़े नागरिक आयोजन का रूप ले लेगा। वर्ष 2020 के लिए पृथ्वी दिवस का मुख्य विषय है- जलवायु परिवर्तन के बारे में कार्रवाई। 1970 में शुरू की गई इस परंपरा को 192 देशों ने खुली बांहों से अपनाया और आज लगभग पूरी दुनिया में हर साल पृथ्वी दिवस के मौके पर धरा की धानी चुनर को बनाए रखने और हर तरह के जीव-जंतुओं को पृथ्वी पर उनके हिस्से का स्थान और अधिकार देने का संकल्प लिया जाता है।
कोरोना ने लौटाया प्रकृति का सुंदर स्वरूप
कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया लॉकडाउन है। जानवर बाहर आ गए हैं। वो चिड़ियां दिखने लग गई हैं जिन्हें हमारे बचपन ने देखा था। नदियां साफ हो गयी है, खुली आँखों से पूरा शहर देखा जा सकता है जो पहले धुंध के साये में रहता था। प्रदूषण का स्तर कम है। मानों पृथ्वी ने अपना जिम्मा खुद अपने हाथों में ले लिया हो। कोरोना के दौरान हमारी प्रकृति का सुंदर स्वरूप लौट आया है। कोरोना लॉक डाउन के चलते मनुष्य के छेड़छाड़ न करने का ही नतीजा है कि नदी नालों से लेकर हवाएं तक साफ व स्वच्छ हो उठी हैं तो घर आंगन में पक्षियों की चहचहाहट लौट रही हैं। वन्य जीवो का व्यवहार ज्यादा स्वछंद व उन्मुक्त हुआ है। प्रदूषण कम होने से हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है तो नदियों की निर्मलता लौट रही है।
खतरे में धरती
पर्यावरण पर बढ़ते खतरे से पूरे विश्व में चिंता जताई जा रही है। जलवायु परिवर्तन आज समस्त प्राणी जगत के अस्तित्व के लिए बड़ी चुनौती है। जलवायु परिवर्तन के कारण मानव स्वास्थ्य पर इसका असर हो रहा है। हमारी धरा इतनी प्रदूषित हो गयी है कि औद्योगीकरण पूर्व काल में कार्बन डाइआक्साइड का स्तर 280 पीपीएम था, जो अब 410 पीपीएम तक पहुंच गया है। स्थिति सचमुच भयानक है। जलवायु परिवर्तन का मानव स्वास्थ्य पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। विश्व के अनेक भागों में पड़ने वाली तेज गर्मी और लू के थपेड़ों का सीधा संबंध जलवायु परिवर्तन से है और ये परिस्थितियां लाखों लोगों के जानलेवा बन जाती हैं।
जलवायु परिवर्तन ने अनेक बीमारियों के प्रसार को भी बढ़ावा दिया है। मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियां इसी का नतीजा हैं। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन से श्रमिकों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और इससे उत्पादकता प्रभावित होती है। इस प्रकार यह किसी देश की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है।
भारत के जनजीवन और अर्थव्यवस्था को जलवायु परिवर्तन बहुत गहराई से प्रभावित कर रहा है। देश में सत्तर करोड़ से ज्यादा लोग आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। भारत विश्व की ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का साढ़े चार फीसद हिस्सा उत्सर्जित करता है। जलवायु परिवर्तन से सूखे और बाढ़ के हालात बनते हैं, जिनका सीधा प्रभाव किसानों पर पड़ता है। देश की साढ़े सात हजार किलोमीटर लंबे तटीय इलाके और इन पर बसे हुए देश के प्रमुख शहर भारत को जलवायु परिवर्तन के लिए अत्यंत संवेदनशील बनाते हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी ने भी धरती का आभार जताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस के मौके पर धरती का आभार जताया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि मां पृथ्वी के अंतरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर हम सभी की देखभाल और करुणा के लिए इस ग्रह का आभार व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा कि हम सभी को पृथ्वी को स्वच्छ, स्वस्थ्य और अधिक समृद्ध बनाने की दिशा में काम करने का संकल्प लेना चाहिए। पीएम मोदी ने आगे लिखा कि हमें कोविड-19 को हराने के लिए काम करने वालों की प्रशंसा करनी चाहिए।
आईये साथ मिलकर धरती मां के लिए लें संकल्प
पृथ्वी बहुत व्यापक शब्द है जिसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इससे जु़ड़े अन्य कारक भी हैं। धरती को बचाने का आशय है इसकी रक्षा के लिए पहल करना। न तो इसे लेकर कभी सामाजिक जागरूकता दिखाई गई और न राजनीतिक स्तर पर कभी कोई ठोस पहल की गई। लेकिन इसके लिए किसी एक दिन को ही माध्यम बनाया जाए, क्या यह उचित है? हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके बचाव के लिए कुछ न कुछ उपाय करते रहना चाहिए। तो आइए, इस पृथ्वी दिवस यानि अर्थ डे के दिन खुद से एक वादा करते हैं कि इस पृथ्वी की खूबसूरती को न सिर्फ बनाकर रखेंगे बल्कि इसे और ज्यादा प्राकृतिक बनाने की ओर पहल करेंगे।