क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर गुरुवार को ही भगवान विष्णु की पूजा क्यों की जाती है? क्या सिर्फ इसलिए कि ये दिन बृहस्पति ग्रह का है या इसके पीछे कोई ऐसा दिव्य रहस्य छिपा है जो जीवन की दिशा बदल सकता है? पौराणिक कथाओं से लेकर ज्योतिष तक, हर जगह एक अद्भुत सूत्र जुड़ा है, गुरुवार का दिन सीधा नारायण से आपका रिश्ता जोड़ता है।
जो मेरा नाम इस दिन लेगा, उसके घर कभी अंधेरा नहीं होगा
शास्त्रों में वर्णन है कि एक बार स्वयं भगवान विष्णु ने कहा था “जो भक्त मेरे नाम का स्मरण बृहस्पतिवार को करेगा, उसके घर में कभी दुर्भाग्य नहीं ठहरेगा।”कहते हैं इसी वरदान के बाद से यह दिन “शुभता और समृद्धि का प्रतीक” बन गया। तभी से हर भक्त गुरुवार को व्रत रखकर, पीले वस्त्र पहनकर और केले के पेड़ की पूजा कर अपने जीवन में सौभाग्य आमंत्रित करता है।
बृहस्पति को देवताओं का गुरु कहा गया है, जबकि भगवान विष्णु स्वयं संसार के पालनहार हैं। दोनों ही “धर्म और ज्ञान” के प्रतीक हैं। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि बृहस्पति ने हमेशा विष्णु जी को सर्वोच्च गुरु माना, क्योंकि वे ही ब्रह्मांड में संतुलन और न्याय बनाए रखते हैं। इसलिए जब कोई भक्त गुरुवार को विष्णु जी की आराधना करता है, तो वह वास्तव में देवगुरु बृहस्पति की कृपा भी प्राप्त करता है।
बृहस्पति नहीं, ये है असली कारण जिससे बदलती है किस्मत
ज्योतिष कहता है कि गुरुवार का स्वामी ग्रह बृहस्पति है, मगर रहस्य ये है कि बृहस्पति केवल माध्यम हैं, लक्ष्य स्वयं विष्णु हैं। जब कोई व्यक्ति गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा करता है, तो उसके जीवन में ज्ञान, सौभाग्य और धर्म का संगम होता है। इस दिन का व्रत career, marriage, finance और inner peace चारों में संतुलन लाने वाला माना गया है।
जब भगवान विष्णु ने अपने वाहन को दिया अमर साथ
कम लोग जानते हैं कि गुरुवार की पवित्रता की शुरुआत गरुड़ से हुई थी, वो दिव्य पक्षी जिसने विष्णु जी को पाने के लिए वर्षों तक तप किया। कथा के अनुसार, जब गरुड़ ने बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु की आराधना की, तो विष्णु प्रसन्न होकर बोले तू मेरा सदा-सर्वदा साथी रहेगा। तभी से यह दिन “विष्णु उपासना” का प्रतीक बन गया। यही वजह है कि जो भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें विष्णु का “गरुड़ जैसा अटूट साथ” मिलता है।
क्यों जरूरी है पीला रंग और केला वृक्ष?
क्या आप जानते हैं, पीला रंग केवल शुभता नहीं, बल्कि ज्ञान और शांति का प्रतीक है। गुरुवार को जब कोई भक्त पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करता है, तो यह ब्रह्मांड में एक ऊर्जा-तरंग उत्पन्न करता है जो Jupiter की positive frequency को बढ़ाती है। केले के पेड़ की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि उसे “विष्णु वास” का प्रतीक माना गया है। इस दिन हल्दी, जल और दीपक अर्पण करने से घर में लक्ष्मी और विष्णु दोनों का वास होता है।
व्रत जो बदल देता है भाग्य
गुरुवार का व्रत सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि मानसिक और कर्मिक क्लीनज़िंग भी है। इस दिन उपवास और पूजा करने से न केवल विवाह बाधाएं दूर होती हैं, बल्कि व्यक्ति के भीतर सकारात्मकता, संयम और संतोष का भाव बढ़ता है। मान्यता है कि “जो भी इस दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करता है, उसके जीवन के अंधेरे पल खुद प्रकाश में बदल जाते हैं।”
अगर आप चाहते हैं कि आपकी जिंदगी में career growth, marital harmony और financial stability बनी रहे, तो हर गुरुवार सिर्फ एक बार “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप जरूर करें। आप खुद देखेंगे घर का माहौल, मन की शांति और भाग्य का रुख सब कुछ बदल जाएगा।
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