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November 19, 2025

प्रेमानंद महाराज के ‘5 पांडव’? सेना, प्रोफेसर, CA और बिजनेसमैन, करोड़ों का करियर छोड़कर क्यों बन गए गुरु के सेवक? 

The CSR Journal Magazine
वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज अपने शांत स्वभाव, प्रभावशाली प्रवचनों और गहरी भक्ति भावना के लिए न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी जाने जाते हैं। उनके सत्संग में सेलिब्रिटीज से लेकर आम भक्तों तक की भीड़ उमड़ती है। लेकिन इसी भीड़ के बीच ऐसे चेहरे हैं, जो हमेशा महाराज के आसपास परछाई की तरह नजर आते हैं  इन्हीं को लोग ‘पांच पांडव’ कहकर बुलाते हैं। ये वे शिष्य हैं जिन्होंने ऊंचे पद, शानदार नौकरी और सफल करियर छोड़कर अपना पूरा जीवन गुरु सेवा को समर्पित कर दिया। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से।

नवलनगरी बाबा: सेना अधिकारी से बने संन्यासी

इन पांचों में सबसे चर्चित नाम है बाबा नवलनगरी का। पठानकोट, पंजाब के सैन्य परिवार में जन्मे नवलनगरी बाबा 2008 से 2017 तक भारतीय सेना में अफसर रहे। कारगिल जैसे कठिन इलाके में तैनाती के बाद जब वे वृंदावन पहुंचे और प्रेमानंद महाराज का सत्संग सुना, तो उनकी जीवन धारा ही बदल गई। 2017 में उन्होंने स्थिर और सम्मानित नौकरी छोड़ दी और संन्यास धारण कर गुरु सेवा में जुड़ गए। आज वे महाराज के सबसे करीब माने जाते हैं और भक्तों के सवाल, व्यवस्थाएं और सुरक्षा जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य संभालते हैं। महामधुरी बाबा: कॉलेज प्रोफेसर की नौकरी छोड़ चुना भक्ति मार्ग

महामधुरी बाबा: कॉलेज प्रोफेसर की नौकरी छोड़ चुना भक्ति मार्ग

दूसरे खास शिष्य हैं महामधुरी बाबा। पीलीभीत के रहने वाले महामधुरी बाबा एक डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर थे। भाई के साथ पहली बार जब वे वृंदावन आए और सत्संग में बैठे, तो भीतर कुछ ऐसा बदला कि उन्होंने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह आध्यात्मिक जीवन स्वीकार कर लिया। आज वे श्रीहित राधा केली कुंज आश्रम में महाराज जी के साथ रहते हैं और सत्संग व्यवस्था, परिक्रमा और भक्त सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

श्यामा शरण बाबा: रिश्ते में महाराज के भतीजे

तीसरे शिष्य श्यामा शरण बाबा का महाराज से रिश्ता सिर्फ आध्यात्मिक नहीं, पारिवारिक भी है। इनका जन्म कानपुर के अखरी गांव में उसी घर में हुआ जहां प्रेमानंद महाराज पैदा हुए थे। बचपन से ही महाराज की लीलाएं और जीवन सुनते-सुनते उन्होंने दीक्षा ले ली और आज वे हर क्षण महाराज की सेवा में उपस्थित रहते हैं। रात की परिक्रमा हो या भक्तों का मार्गदर्शन श्यामा शरण बाबा हर जिम्मेदारी शांत और सरल स्वभाव से निभाते हैं।

आनंद प्रसाद बाबा: फुटवियर बिजनेसमैन से बने आश्रम प्रबंधक

दिल्ली के सफल फुटवियर व्यापारी आनंद प्रसाद बाबा ने भी भौतिक जीवन से अचानक विराम ले लिया। वर्षों तक व्यापार संभालने के बाद एक दिन उन्हें महसूस हुआ कि सांसारिक दौड़ में असली सुख कहीं खो गया है। वृंदावन आने और महाराज से मिलने के बाद उन्हें यही मिला शांति। सब कुछ छोड़कर वे आश्रम में शामिल हो गए और आज पूरे आश्रम के प्रबंधन, अनुशासन और व्यवस्थाओं की रीढ़ माने जाते हैं।

अलबेलीशरण बाबा: CA की करियर छोड़ संन्यास ग्रहण किया

अलबेलीशरण बाबा, जो वृंदावन आने से पहले एक सफल चार्टर्ड अकाउंटेंट थे। दिल्ली के प्रतिष्ठित CA परिवार से ताल्लुक रखने वाले अलबेली बाबा का जीवन सुविधाओं से भरा था, फिर भी मन खाली सा लगता था। प्रेमानंद महाराज के सत्संग ने उन्हें भीतर से झकझोर दिया और उन्होंने करियर की चमक छोड़ दी। आज वे राधा रानी की सेवा और आश्रम के अनुशासन में पूरी निष्ठा से जुड़े हैं।

WWE के पूर्व स्टार रिंकू सिंह भी करते दिखे आश्रम में सेवा

हाल ही में एक वायरल वीडियो में WWE के पूर्व रेसलर रिंकू सिंह (वीर महान) को भी प्रेमानंद महाराज के आश्रम में झाड़ू लगाते हुए देखा गया। कभी हॉलीवुड फिल्म Million Dollar Arm से लेकर WWE रिंग तक दुनिया भर में पहचान बनाने वाले रिंकू अब शांत जीवन की तलाश में वृंदावन आए हैं। सादा वस्त्र, माथे पर तिलक और हाथ में झाड़ू रिंकू का यह रूप लोगों को बताता है कि सेवा का रास्ता हर किसी को बदल देता है, चाहे वह खिलाड़ी हो, सेलिब्रिटी हो या एक साधारण इंसान।

एक ही मंत्र: गुरु सेवा ही सबसे बड़ा धर्म

ये पांचों शिष्य अलग-अलग पेशों से आए कोई सेना में अधिकारी, कोई कॉलेज प्रोफेसर, कोई CA और कोई बिजनेसमैन। सभी के जीवन का एक ही मोड़ था प्रेमानंद महाराज की भक्ति और उनके विचारों का प्रभाव आज ये न सिर्फ सत्संग, आश्रम प्रबंधन, रात की परिक्रमा और भक्त सेवा का बड़ा हिस्सा संभालते हैं, बल्कि महाराज जी की तबीयत खराब होने के बाद उनकी देखभाल में 24 घंटे उपस्थित रहते हैं।

भक्ति, समर्पण और त्याग की मिसाल

इन शिष्यों की यात्रा यह साबित करती है कि आध्यात्मिकता पेशे, पद या पहचान की मोहताज नहीं। जब मन गुरु से जुड़ता है, तो जीवन का असली उद्देश्य खुद-ब-खुद स्पष्ट हो जाता है। आज ये पांचों शिष्य प्रेमानंद  की शक्ति, व्यवस्था और सेवा व्यवस्था की रीढ़ हैं और लाखों भक्तों के लिए प्रेरणा।
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