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October 3, 2025

‘I Love Muhammad’ के सामने लगे ‘I Love Mahadev’ के पोस्टर, UP में शुरू हुआ पोस्टर वॉर, कानपुर से वाराणसी तक बढ़ा विवाद

The CSR Journal Magazine
कानपुर (UP) में बारावफात में शुरू हुए ‘आई लव मोहम्मद’ जुलूस और पोस्टर अभियान के जवाब में अब वाराणसी के संतों ने ‘आई लव महादेव’ पोस्टर जारी कर दिया है। काशी की गलियों और चौक-चौराहों पर यह पोस्टर लगाए गए, जिसके बाद धार्मिक माहौल और गर्म हो गया है।

संतों का विरोध और शंखनाद

वाराणसी के अस्सी इलाके स्थित सुमेरु पीठ आश्रम में संतों ने ‘आई लव महादेव’ पोस्टर जारी किया। इस दौरान पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद समेत कई संतों ने हाथों में पोस्टर लिए और जोरदार शंखनाद के साथ ‘हर हर महादेव’ के नारे लगाए।पोस्टर में भगवान शिव के प्रतीक और भगवा रंग का प्रयोग किया गया।सुमेरु पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद ने कहा –
देश में विदेशी फंडिंग से साजिश की जा रही है।भारत को नेपाल या बांग्लादेश नहीं बनने देंगे।अगर कोई बात नहीं मानेगा तो उसे ठोक देंगे।
उनके इस बयान से माहौल और गरमा गया है यह अभियान सिर्फ वाराणसी तक सीमित नहीं रहा।कानपुर और उज्जैन जैसे अन्य शहरों में भी “आई लव महादेव” पोस्टर लगाए जाने की खबर है।सोशल मीडिया पर इन पोस्टरों और वीडियो को बड़े पैमाने पर शेयर किया जा रहा है।

आई लव मोहम्मद” अभियान क्यों शुरू हुआ?

यह सबसे पहले कानपुर (UP) में बारावफात (ईद-ए-मिलादुन्नबी) के जुलूस में शुरू हुआ।वहां लोगों ने जुलूस में “I Love Muhammad” लिखा पोस्टर लगाया।मुस्लिम समाज का कहना था  यह पैग़म्बर मोहम्मद के प्रति प्यार और श्रद्धा दिखाने का तरीका है।लेकिन कुछ लोगों ने इसे नई परंपरा कहकर विरोध किया और विवाद खड़ा हो गया।इसके बाद यह अभियान तेज़ी से फैला और कई जिलों में जुलूस पोस्टर के रूप में दिखने लगा।शुरुआत में यह छोटे जुलूसों और पोस्टरों तक सीमित था, लेकिन सोशल मीडिया और स्थानीय संगठनों की भागीदारी से यह तेजी से फैलने लगा और युवाओं के बीच चर्चा का विषय बन गया।
संतों और हिंदू संगठनों का मानना है कि यह अभियान जानबूझकर चलाया जा रहा है ताकि धार्मिक टकराव की स्थिति बने।वाराणसी के संतों ने इसे  हिंदू समाज की आस्था को चुनौती बताते हुए इसका विरोध किया और इसके जवाब में “आई लव महादेव” पोस्टर निकाले। यानी एक ओर इसे श्रद्धा का अभियान बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे धार्मिक ध्रुवीकरण का जरिया माना जा रहा है। 

सोशल मीडिया पर बहस

इस घटना के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं। एक तरफ समर्थक इसे धार्मिक आस्था की रक्षा बता रहे हैं तो दूसरी तरफ विरोधी इसे साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाने वाली कोशिश मान रहे हैं।इस घटना को लेकर शहर में बहस छिड़ गई है।इस घटना को लेकर शहर में बहस छिड़ गई है।समर्थक इसे आस्था की रक्षा बता रहे हैं।वहीं विरोधी पक्ष का कहना है कि ऐसे कदम से धार्मिक ध्रुवीकरण बढ़ सकता है।

पुलिस की प्रतिक्रिया

स्थानीय पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यदि इस तरह के पोस्टर और जुलूस से कानून-व्यवस्था बिगड़ती है या यह अभियान गैरकानूनी पाया जाता है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, अभी तक किसी गिरफ्तारी या कानूनी नोटिस की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
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