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वाराणसी – सीएसआर की भरमार, मोदी के नाम पर निवेश

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यूपी के वाराणसी में सीएसआर की भरमार है, सीएसआर यानि कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी जिसके कानून के तहत देश की नामी गिरामी कंपनियां सीएसआर फंड का इस्तेमाल कर रही है, इन सीएसआर फंड से करोड़ों रुपये निवेश हो रहा है जिसका सीधा फायदा आम जनमानस को हो रहा है। हम आपको बता दें कि वाराणसी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है जहां स्कूलों की स्तिथि बदलने के लिए कंपनियों ने सीएसआर फंड खोल दिया है। वाराणसी में बड़े पैमाने पर हर क्षेत्र में सीएसआर फंड से विकास का काम हो रहा है, सीएसआर की ताकत को ना सिर्फ राज्य सरकारें समझ रही है बल्कि जिला स्तर पर जिलाधिकारी भी यही कोशिश में जुटे हुए है कि ज्यादा से ज्यादा सीएसआर का इस्तेमाल उनके जिले के विकास के लिए हो।

सीएसआर से स्कूलों का हो रहा है विकास

सिर्फ वाराणसी में नहीं बल्कि यूपी के कई जिलों में कंपनियां सीएसआर का काम कर रहीं है। कहते है कि किसी भी इलाके में अगर स्वास्थ सेवाएं और शिक्षा का स्तर उच्च हो तो वहां विकास चौतरफा संभव है यही वजह है कि वाराणसी में स्वास्थ के साथ साथ शिक्षा में बड़े पैमाने पर काम हो रहा है। वाराणसी में सीएसआर के तहत कंपनियों ने स्कूलों के लिए 19 करोड़ रुपये का फंड दे चुकी हैं। इन पैसों से सरकारी स्कूलों में लाइब्रेरी बनाए गए हैं। 69 स्कूलों में स्मार्ट क्लास व 57 स्कूलों को कंप्यूटर से सुसज्जित किया जा चुका है। इसके अलावा विद्यालयों में तमाम कार्य सीएसआर फंड से हो रहे हैं। जिसकी वजह से वाराणसी में सरकारी स्कूलों की तस्वीर तेजी से बदल रही है।

19 करोड़ का हुआ वाराणसी में सीएसआर

वाराणसी के बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह ने The CSR Journal से ख़ास बातचीत करते हुए बताया कि वाराणसी के सरकारी स्कूलों के विकास के लिए सीएसआर के तहत फंड आ रहा है, अबतक 19 करोड़ रुपये की धनराशि का इस्तेमाल कर वाराणसी के स्कूलों में कई काम किये गए है, स्मार्ट क्लासरूम, टॉयलेट्स, टैब वितरण, इ लर्निंग के संसाधन, अत्याधुनिक लायब्रेरी जैसे कई काम लगातार वाराणसी में किये जा रहे है। इन सब के साथ ही यूपी सरकार भी अनुदान दे रहा है। छात्र संख्या के आधार पर विद्यालयों को एक लाख रुपये तक का कंपोटिज ग्रांट दिया गया है। इसके अलावा कंपनियों के सीएसआर फंड से विद्यालयों में तमाम कार्य कराए गए हैं।

इन कंपनियों ने किया CSR

रिपोर्ट की माने तो अब तक एचडीएफसी बैंक 50 लाख, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया ने 1.40 लाख, एसबीआई 95 लाख, सोनाटा इंडिया छह लाख, रोटरी क्लब, वाराणसी ने 3.6 लाख, यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी ने 5.5 लाख, पावर फाइनेंस कारपोरेशन ने 218 लाख, कोको कोला 20 लाख, गेल इंडिया ने 43.6 लाख, बैंक ऑफ बड़ौदा ने 4.5 लाख सहित अन्य कंपनियों के सीएसआर फंड से स्कूलों में सुविधाओं से सुसच्जित किया जा चुका है।
यूपी के सीएसआर के आकड़ों को देखने के बाद ऐसा लगता है कि देश की सभी बड़ी कंपनियां वाराणसी में ही सीएसआर फंड खर्च कर रही है, बल्कि यूपी के कई ऐसे जिले है जहां सीएसआर फंड की अधिक जरूरत है, कई ऐसे जिले है जिन्हे निति आयोग में एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट की कैटेगरी में रखा है बावजूद मोदी के संसदीय क्षेत्र में ही ज्यादा निवेश है।